Monday 1 June 2015

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#Justice4SaurabhKalia: शहीद सौरभ पर केंद्र का यू-टर्न, विदेशी कोर्ट में जाने के लिए मांगेगा इजाजत
 | 2 Jun, 2015
  • फाइल फोटोः कारगिल के शहीद सौरभ कालिया
 
 
नई दिल्ली. कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए सौरभ कालिया सहित पांच भारतीय जवानों को न्याय दिलाने के लिए केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देगी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिली तो उनकी सरकार इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में उठाएगी। इससे पहले एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट में जानकारी दी गई कि सरकार ने पिछले दिनों संसद में एक प्रश्न के जवाब में स्पष्ट कर दिया था कि फिलहाल इस मुद्दे को इंटरनेशनल कोर्ट में नहीं उठाया जाएगा। इस बात के सामने आने के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार की आलोचना शुरू कर दी थी। 
 
क्या है पेंच? 
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में एक कॉमनवेल्थ देश दूसरे से जुड़े मुद्दे को नहीं उठा सकता है। भारत और पाकिस्तान-दोनों कॉमनवेल्थ देश हैं। ऐसी अदालतों में मामले तभी उठाए जा सकते हैं, जब दोनों देश राजी हों। इसी तकनीकी पेंच की वजह है कि अब तक की सरकारें इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में नहीं ले जा पाई हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कहना है कि बावजूद इस पेंच के कैप्टन कालिया की शहादत एक अलग तरह का मामला है और हम सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा बदलेंगे। इस मामले में 25 अगस्त को सरकार नया हलफनामा दाखिल करेगी। 
 
शहीद का परिवार कार्रवाई की मांग कर रहा है 
बता दें कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सीमा पर 4 जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया सहित पांच जवानों को पाकिस्तान सैनिकों ने बंदी बना लिया था और उनके साथ अमानवीय प्रताड़ना दी गई थी, जिस वजह से उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद से शहीद के परिवार वाले पाकिस्तान के सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। शहीद कालिया के बारे में पाकिस्तान ने ये कहा था कि उनका शव एक गड्ढे में मिला था। लेकिन पाकिस्तान के झूठ से पर्दा चंद दिनों बाद ही उठ गया। पाक सेना की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में गुल ए खांदन नामक सेना ने पूरी दुनिया के सामने यह कबूल किया था कि कैप्टन कालिया और पांच लोगों की हत्या की गई थी। (वीडियो देखने के लिए क्लिक करें) 
 
संसद में सवाल और सरकार का जवाब
सांसद चंद्रशेखर ने संसद में सवाल पूछा था कि क्या सरकार सौरभ और पांच अन्य भारतीय सैनिकों की पाकिस्तानी सेना द्वारा हत्या किए जाने के मामले को युनाइटेड नेशंस के मानवाधिकार आयोग के समक्ष उठाएगी? क्या इस मामले पर आईसीजे का दरवाजा खटखटाया जाएगा, ताकि दोषी पाकिस्तानी सैनिकों सजा दी जा सके। सवाल के जवाब में सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा था, ''इस मसले से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को न्यूयॉर्क अधिवेशन के दौरान 22 सितंबर, 1999 को और मानवाधिकार आयोग को अप्रैल 2000 में ही अवगत करा दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के जरिए कानूनी कार्रवाई के बारे में भी सारे पहलुओं पर विचार किया गया, लेकिन यह संभव नहीं लगता।''
 
क्या हुआ था
4 जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया पहले आर्मी अफसर थे, जिन्होंने 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी दी थी। उन्हें पांच जवानों के साथ 15 मई, 1999 को पकड़ लिया गया था। पाकिस्तानी आर्मी ने 6 जून, 1999 को भारत की सेना को उनका शव लौटाया था। शरीर पर सिगरेट से जलाने और कान को गर्म रॉड से सेंकने के निशान थे। इसके अलावा, आंख फोड़ी और निकाल ली गई थी। दांत टूटे थे तथा हड्डियों और कमर को टुकड़े-टुकड़े में काटा गया था। पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि कालिया और पांच अन्य भारतीय सैनिकों का शव गड्ढे में पाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई।
 
पाकिस्‍तान ने बनाया था बंधक

साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान 4 जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया के साथ पांच अन्य भारतीय जवानों सिपाही अर्जुनराम बसवाना, मूलाराम बिडियासर, नरेश सिंह सिनसिनवार, भंवरलाल बगडिया और भीकाराम मुध के साथ पेट्रोलिंग के लिए गए थे। तभी पाकिस्तानी सैनिकों ने इन्‍हें बंधक बना लिया था। पाकिस्तान ने इनके ऊपर खूब अत्याचार किया और इन पर हुए अमानवीय सलूक के कारण कुछ समय बाद इनकी मौत हो गई थी। 
 
सुप्रीम कोर्ट में अपील कर चुके हैं सौरभ के पिता
सौरभ कालिया के पिता एनके कालिया ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उनकी मांग है कि विदेश मंत्रालय इस मसले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उठाए, ताकि जिन पाकिस्तानी जवानों ने उनके बेटे की हत्या की उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके, क्योंकि इस प्रकार का बर्ताव युद्ध बंदियों के साथ जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है। सौरभ के पिता एनके कालिया 16 साल बाद भी अपने बेटे के लिए न्याय के लिए लड़ाई कर रहे हैं। 
 
यूपीए सरकार का स्टैंड
यूपीए सरकार ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि आईसीजे (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) में अपील नहीं की जा सकती, क्योंकि पाकिस्तान सुनवाई के लिए राजी नहीं है और किसी देश को इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। सरकार ने कहा था कि पड़ोसियों के साथ रिश्तों को ध्यान में रखते हुए आईसीजे में जाना कानूनी रूप से वैध नहीं होगा। 16 साल बाद भी एनडीए सरकार पाकिस्तान के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपील करने को लेकर गंभीर नहीं है। सरकार संसद में कह चुकी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाना संभव नहीं है। 
 
इंटरनेट पर है वीडियो
सौरभ कालिया के साथ दरिंदगी की गई है, इसे पाकिस्तानी सैनिकों ने स्वीकार किया था। इसका वीडियो सालों से यूट्यूब पर पड़ा है। बावजूद इसके मोदी सरकार पिछली सरकार के स्टैंड पर ही चल रही है। एनके कालिया का कहना है, ''मुझे उम्मीद थी कि बीजेपी सरकार ज्यादा देशभक्त है। लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि नई सरकार भी पुरानी सरकार के स्टैंड पर कायम है। सांसद राजीव चंद्रशेखर द्वारा संसद में पूछे गए सवाल पर विदेश मामलों के राज्य मंत्री वीके सिंह के बयान से स्पष्ट है कि नई सरकार भी कारगिल के शहीदों को न्याय दिलाने के पक्ष में नहीं है।'' 
 
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
 
जी.डी. बख्शी का कहना है कि सौरव कालिया का मामला इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में ले जाने में कानूनी पेचीदगियां हैं। उनके अनुसार 1971के युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ था जिसके तहत दोनों देशों ने मुद्दे को आपस में सुलझाने का फैसला किया था। सौरव कालिया का केस आईसीजे में ले जाने से विश्व के कुछ  'चौधरी ' आपके अंदरुनी मामलों में दोबारा दखल देना शुरु कर सकते हैं । हम बार बार कर रहे हैं कि जम्मू कश्मीर समेत सभी मुद्दे हम द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाएंगे। सौरव कालिया केस आईसीजे में ले जाने  से कश्मीर मुद्दे को भी हवा लग सकती है। बख्शी का कहना है कि भारत के पास और दूसरे तरीके हैं जिसके जरिए पाकिस्तान पर दवाब बना जा सकता है। NGO कालिया के मुद्दे को इंटरनेशल कोर्ट में ले जा सकते हैं। भारतीय और पश्चिमी मीडिया के जरिए पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सकता है। भारत को पाकिस्तान से ये भी कहना चाहिए हैं कि रवैये में सुधार करो वरना भविष्य में जैसे को तैसे से जवाब दिया जाएगा। उनके अनुसार 1971 की जंग में भारत ने पाकिस्तान के 93,000  सैनिकों को वापस कर दिया था लेकिन पाकिस्तान ने केवल 300 भारतीय सैनिकों को वापस किया। उनके अनुसार अभी 54 के करीब भारतीय सैनिक पाकिस्तान जेलों में बंद हैं और खबरें हैं कि उन्हें यातनाएं दी जा रही हैं। जब भी पाकिस्तान से वार्ता हो भारत को सौरव कालिया और भारतीय सैनिकों के मुद्दे को मजबूती से उठाया चाहिए ताकि पाकिस्तान पर दबाव बना रहे ।
 
भारत सरकार शिमला समझौते का तर्क दे रही है लेकिन यह बिल्कुल अटपटा है। पुष्पेश पंत के अनुसार, ‘मेरी राय में मोदी सरकार, यूपीए सरकार की तरह गलती कर रही है। इससे सैनिकों में असंतोष बढ़ेगा। अभी वन रैंक वन पेंशन का मामला भी चल रहा है। सौरव कालिया मामले में कानून की पेचीगियां हैं लेकिन भारत सरकार को कालिया के पिता को समर्थन करना चाहिए। सरकार से इस तरह की भाषा की उम्मीद नहीं थी। पाकिस्तान एक संप्रभु राष्ट्र है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर पाकिस्तान दोषी साबित होता है तो उसकी विश्वभर में निंदा होगी और भविष्य में दवाब रहेगा। चुनाव के पहले बड़े-बड़े नारे दिए गए थे लेकिन वो सारी चीजें समाप्त होती जा रही हैं। ऐसे मुद्दों पर सरकार को जनभावना की राय के साथ आगे जाना चाहिए।’   
 
कर्नल दानवीर सिंह का कहना है कि मोदी सरकार शिमला समझौते के हवाला देकर भले ही इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस नहीं जा रही है लेकिन सवाल ये है कि 1971 में शिमला समझौते के बाद क्या सभी काम इसी समझौते के तहत हुए हैं। समझौते में कहा गया था कि आपसी मुद्दे द्वपक्षीय और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे तो फिर हमने कारगिल युद्ध क्यों लड़ा। सरकार जम्मू-कश्मीर जैसे मुद्दे को लेकर डर रही है तो सवाल ये है कि आपमें और यूपीए में फर्क क्या है। दानवीर सिंह के मुताबिक भारत सरकार को सौरव कालिया के मुद्दे को ICJ में ले जाना चाहिए और पाकिस्तान की कलई खोलनी चाहिए कि किस तरह से वह लगातार जेनेवा संधि का उल्लंघन कर रहा है। पाकिस्तान यूनाटेड नेशंस के प्लेटफॉर्म से कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है। लिहाजा केवल समझौते का हवाला देकर मामले को आईसीजे में नहीं ले जाने का तर्क सही नहीं है।

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#Justice4SaurabhKalia: Capt Saurabh Kalia case- Govt says will change affidavit in Supreme Court  

AND

Kargil conflict #‎SaurabhKalia #‎Jaihind‬ : Modi sarkar fails Kargil martyr: NDA WON'T take Captain Saurabh Kalia's case to international court... despite evidence he was tortured by Pakistan :::: Yes, we killed Captain Saurabh Kalia: Pak soldier :::: कारगिल शहीदों को न्याय के मामले पर यूपीए की नीति पर चल रही मोदी सरकार

 

 

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