समलैंगिक संबंधों पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आज
नई दिल्ली,
First Published:11-12-13 09:32 AMवयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने के दिल्ली हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकता है।
कोर्ट योग गुरु बाबा रामदेव के अलावा विभिन्न गैर सरकारी संगठनों की विशेष अनुमति याचिकाओं पर अपना महत्वपूर्ण फैसला दे सकता है, जो समलैंगिकों के अधिकारों की दृष्टि से ऐतिहासिक हो सकता है। बाबा रामदेव और कुछ धार्मिक व गैर सरकारी संगठनों ने दिल्ली हाईकोर्ट के जुलाई 2009 के फैसले को यह कहते हुए चुनौती दी है कि हाईकोर्ट का यह फैसला देश की संस्कृति के लिए खतरनाक साबित होगा। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि भारत की संस्कृति पाश्चात्य देशों से अलग है और इस तरह के आदेश देश की सांस्कृतिक नींव हिला सकते हैं। उनकी यह भी दलील है कि समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि ये प्रकृति के खिलाफ भी है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एपी शाह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आपसी सहमति से वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने का आदेश दिया था। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-377 के तहत सहमति से भी बनाए गए समलैंगिक संबंधों को जुर्म माना गया है।
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