'जनलोकपाल' के लिए अन्ना का अनशन फिर शुरू
Updated Dec 10, 2013 at 03:12pm
नई दिल्ली। सामाजिक
कार्यकर्ता अन्ना हजारे जन लोकपाल की मांग को लेकर एक बार फिर बेमियादी
अनशन पर बैठ गए हैं। इस बार अन्ना अपने गांव रालेगण सिद्धि में अनशन पर
बैठे हैं। अनशन पर बैठने से पहले अन्ना ने गांव में तिरंगा झंडा लेकर एक
प्रभात फैरी निकाली। इसके बाद अन्ना ने गांव के यादव बाबा मंदिर में जाकर
पूजा की। अन्ना के मुताबिक उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है इसलिए वो
अनशन कर रहे हैं।
अन्ना
हजारे ने कांग्रेस पर धोखा देने और जन लोकपाल के वादे से मुकरने का आरोप
लगाते हुए कहा कि उन्होंने सोनिया के जनलोकपाल बिल लाने के वादे के बाद
अपना अनशन खत्म किया था। लेकिन यूपीए सरकार ने उनके साथ और जनता के साथ
धोखा किया। अन्ना के मुताबिक दो साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने अपने वादे
पर अमल नहीं किया।
अन्ना
ने कहा कि हाल में हुए विधानसभा चुनावों में लोगों ने कांग्रेस को करारा
जवाब दिया है। अन्ना ने कहा कि जब तक संसद में उनका जन लोकपाल अध्यादेश
पारित नहीं हो जाता तब तक वो अनशन पर बैठे रहेंगे।
अनशन पर अन्ना, आप ने की समर्थन की अपील
Updated Dec 11, 2013 at 08:18am
नई दिल्ली। अन्ना हजारे
जनलोकपाल की मांग को लेकर एक बार फिर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। इस बार
उनका अनशन उनके गांव रालेगण सिद्धि में चल रहा है। अन्ना के अनशन के पहले
दिन उनके गांव और आसपास के गांवों से तकरीबन पांच हजार लोग जुटे। हालांकि
डॉक्टरों ने अन्ना को 72 घंटे से ज्यादा अनशन ना करने की हिदायत दी है।
लेकिन अन्ना का कहना है कि जब तक सरकार लोकपाल बिल नहीं लाएगी उनका अनशन
जारी रहेगा।
रालेगन
सिद्धि से जनलोकपाल के लिए अन्ना एक बार फिर गरज रहे हैं। ये अलग बात है
कि अब उनके साथ ना अरविंद केजरीवाल हैं ना उनकी टीम। अनशन के पहले दिन
हजारों लोग अन्ना के समर्थन में नजर आएं। कुछ उनके गांव के थे। कुछ आसपास
के गावों के तो कुछ दूसरे राज्यों से भी आए थे। अन्ना इस बार ये अनशन अपने
नए संगठन जनतंत्र मोर्चा के बैनर तले कर रहे हैं। मंगलवार सुबह उन्होंने
वालों के साथ प्रभात फेरी निकाली और तकरीबन 9 बजे यादवबाबा मंदिर के पास
अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए।
अन्ना
पिछले दो साल से जनलोकपाल की लड़ाई लड़ रहे हैं। 2011 के अगस्त और दिसंबर
महीने में अन्ना के आंदोलन को देश भर में बड़ा जनसमर्थन हासिल हुआ। सरकार पर
इतना दबाव बढ़ा कि वो अन्ना की मांगों पर विचार करने के लिए मजबूर हो गई।
अनशन और आंदोलन खत्म करने के लिए अन्ना ने सरकार के सामने तीन शर्तें रखी
थी।
1. निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों लोकपाल के दायरे में लाए जाएं।
2. सरकारी विभागों में सिटिजन चार्टर लागू हो।
3. लोकपाल बिल के तहत सभी राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त हो।
सरकार
की पहल पर संसद ने अन्ना की इन तीन शर्तों पर सहमति जताई और 28 अगस्त,
2011 को अन्ना ने अपना अनशन खत्म करने का ऐलान किया। लेकिन सरकार से निराश
होकर दिसंबर महीने में एक बार फिर अन्ना ने अनशन शुरू किया। हालांकि सेहत
के चलते उन्हें अनशन छोड़ना पड़ा। बाद में उनकी जगह केजरीवाल अनशन पर बैठे।
लेकिन फिर राजनीतिक दल के निर्माण को लेकर टीम अन्ना अरविंद के नेतृत्व में
अन्ना से अलग हो गई। हालांकि वो टीम एक बार फिर लोगों से अन्ना से जुड़ने
की अपील कर रही है।
वैसे
अब केंद्र सरकार एक बार फिर वादा कर रही है कि वो संसद के इस सत्र में
लोकपाल बिल पास कराने की कोशिश करेगी। सरकार के इस बिल में सीबीआई को
लोकपाल से बाहर रखा गया है। सिटिजन चार्टर पर सरकार से अलग बिल ला चुकी है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में सशर्त रखा गया है। लोकपाल
चयन कमेटी में पांचवें सदस्य को चुनने का अधिकार सरकार के पास नहीं होगा।
एक साल के भीतर सभी राज्यों में लोकायुक्त का गठन जैसी कई सिफारिशें मानी
गई हैं।
लेकिन
क्या सरकार का ये बिल इस काबिल होगा कि वो अन्ना की मांगों को संतुष्ट कर
सके। फिलहाल तो अन्ना एक बार फिर सरकार से आरपार के मूड में हैं। उनके
समर्थन में मुंबई के आजाद मैदान और दिल्ली के जंतर मंतर पर लोगों की भीड़
जुटी। वैसे पुरानी टीम हो या ना हो, जनसमर्थन मिले या ना मिले। लेकिन
फिलहाल अन्ना ने सरकार पर नैतिक दबाव तो बढ़ा ही दिया है।
अन्ना के अनशन का दूसरा दिन, सेहत में गिरावट से डॉक्टर चिंतित
रालेगण सिद्धि (महाराष्ट्र), 11 दिसम्बर 2013 | अपडेटेड: 10:38 IST
अपने अनशन के पहले दिन अन्ना ने कांग्रेस पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि चार राज्यों में हाल ही में संपन्न विधानासभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी को हकीकत समझ लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोकपाल विधेयक तत्काल पारित हो. पिछले तीन साल में ऐसा चौथी बार हुआ है कि अन्ना जनलोकपाल विधेयक के समर्थन में भूख हड़ताल पर बैठे हैं. जनलोकपाल की मांग को लेकर अनशन पर बैठे अन्ना को पहले दिन ही एक और सांसद का समर्थन प्राप्त हुआ है. सांसद और स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी ने एक पत्र लिखकर उन्हें पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है. अन्ना के सचिव अवारी ने बताया कि अब तक 200 से अधिक संगठनों ने हजारे को अपना समर्थन पत्र भेजा है.
अन्ना के अनशन का पहला दिन
अन्ना हजारे के उपवास के पहले दिन उनके समर्थकों ने महाराष्ट्र में जिला मुख्यालयों और तहसील कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया कि स्वयंसेक सांसदों को पत्र लिखेंगे और उनसे यह सुनिश्चित करने की अपील करेंगे कि वे इस बात के लिए पूरा जोर लगा दें कि शीतकालीन सत्र में जन लोकपाल विधेयक पारित हो जाए.
अन्ना ने अनशन शुरू करने से पहले एक स्थानीय मंदिर में पूजा-अर्चना की और ईश्वर से कामना की कि जनलोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार को सद्बुद्धि दे. अन्ना ने कहा, 'राष्ट्र-निर्माण की दिशा में जनलोकपाल विधेयक एक बड़ा कदम होगा.'
अन्ना ने कहा कि वक्त आ गया है कि यूपीए सरकार अपने वादे पूरे करे या सत्ता छोड़े. अपने गांव के यादव बाबा मंदिर में अनशन कर रहे अन्ना ने कहा कि भूख हड़ताल खत्म करने की कोई योजना नहीं है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के जोरदार प्रदर्शन से सकते में आयी सरकार ने कहा कि वह संसद के चालू सत्र में विधेयक पारित कराने को लेकर गंभीर है. कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह सदन चलने नहीं दे रहा.
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