खुद अपनी सीट भी हारीं शीला दीक्षित
खुद अपनी सीट भी हारीं शीला दीक्षित
नई दिल्ली [जागरण संवाददाता]। दिल्ली में कांग्रेस की जबरदस्त पराजय हुई
लेकिन पार्टी में सबसे करारी हार निवर्तमान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की
मानी जा रही है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से लगातार
चुनाव जीत रहीं और सूबे में कांग्रेस का चेहरा समझी जाने वाली दीक्षित को
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लगभग 26 हजार मतों से पराजित
किया।सरकारी कर्मचारियों वाली इस विधानसभा सीट पर दीक्षित को महज 18 हजार 405 वोट मिले, जबकि केजरीवाल को 44 हजार 269 लोगों ने अपना मत दिया। मतलब यह कि शीला को जितने वोट मिले नहीं, उससे अधिक मतों से उनकी हार हुई। शीला ने उप राज्यपाल नजीब जंग को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
भाजपा के विजेन्द्र गुप्ता यहां पर तीसरे स्थान पर रहे। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि उनके मिले मत भी दीक्षित को मिले मत से कुछ ही कम थे। पिछले कुछ दिनों से खासकर मतदान के बाद से ऐसे कयास लगाए जाने लगे थे कि शीला को पहली बार पराजय का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन उनके कद को देखते हुए और नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में सरकारी कर्मचारियों की बड़ी संख्या में मौजूदगी के मद्देनजर माना जा रहा था कि चाहे कम ही मतों से सही, वह चुनाव जीत जाएंगी। लेकिन चुनाव परिणामों से साफ हो गया कि क्षेत्र के लोगों को केजरीवाल पसंद ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा पसंद आए।
रिकार्ड मतों से जीते डॉ हर्षवर्धन
भाजपा के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी डॉ हर्षवर्धन ने रिकार्ड 43 हजार मतों से जीत हासिल की है। कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र से लगातार पांचवीं बार विधायक बने हर्षवर्धन पहली बार इतने बड़े अंतर से विजयी हुए हैं। पिछली बार तो वह महज 3204 वोटों से जीते थे। 1993 में 16 हजार मतों से जीतने के बाद लगातार उनकी जीत का अंतर कम होता गया था।
40 फुट का हार, करता रहा शीला का इंतजार
40 फुट का हार, करता रहा शीला का इंतजार
पूर्वी दिल्ली। आम आदमी पार्टी को कम आंकना कांग्रेस के साथ ही बहुत
लोगों को भारी पड़ गया। पिछले पंद्रह साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज शीला
दीक्षित की वापसी की आस लगाए, गाजीपुर फूल मंडी के कारोबारियों को तब
निराशा का सामना करना पड़ा जब शीला को नवोदित आम आदमी पार्टी के अरविंद
केजरीवाल ने भारी मतों से हरा दिया। दरअसल मंडी के कारोबारियों ने शीला
दीक्षित के जीतने पर उपहार के तौर पर देने के लिए 40 फुट का हार तैयार
करवाया था लेकिन दिल्ली में कांग्रेस की शर्मनाक हार के चलते कारोबारियों
द्वारा बनवाया गया यह हार मंडी में ही पड़ा रह गया। पिछले पंद्रह साल से लगातार दिल्ली में कांग्रेस को जीत मिलती रही ऐसे में फूल कारोबारियों को उम्मीद थी कि शीला एक बार फिर से दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर चुनी जाएंगी। लिहाजा उन्हें तोहफा देने के मकसद से फूल मंडी के कारोबारियों ने 40 फुट का हार तैयार करवाया गया था जो गुलाब, गुलदावदी और रजनीगंधा आदि फूलों से तैयार किया गया। करीब 25000 रुपये की लागत के इस हार को बनाने में दो दिन लगे और इसके लिए 12 मजदूरों ने काम किया। हालांकि दिल्ली विधान सभा चुनाव के नतीजे सामने आने पर प्रदेश में कांग्रेस की शर्मनाक हार से कारोबारियों को यह हार शीला दीक्षित को भेंट करने का मौका ही नहीं मिला और यह मंडी में ही पड़ा रह गया।
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