Monday 25 August 2014

कोयला घोटाला: 1993-2010 के आवंटन अवैध;कोल ब्लॉक पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 1993 के बाद के सभी आवंटन गैरकानूनी

कोयला घोटाला: 1993-2010 के आवंटन अवैध;कोल ब्लॉक पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 1993 के बाद के सभी आवंटन गैरकानूनी 

सोमवार, 25 अगस्त, 2014 को 16:05 IST 
टैग्स: सुप्रीम कोर्ट| कोल ब्लॉक आवंटन| गैरकानूनी| आरएम लोढ़ा| सीबीआई

छत्तीसगढ़ कोल ब्लॉक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वर्ष 1993 से 2010 के बीच हुए कोयले के ब्लॉक के आवंटन अवैध हैं.
वकील प्रशांत भूषण के अनुसार कोर्ट ने ये भी कहा है कि ये फ़ैसले चाहे स्क्रीनिंग कमेटी के हों या फिर सरकार के, सभी अवैध हैं.

उनके मुताबिक़ अदालत ने कहा कि इन क्लिक करें कोयला ब्लॉक के आवंटन में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई और मनमर्ज़ी से इन्हें बांटा गया था.
भारतीय जनता पार्टी के नेता शाहनवाज़ हुसैन ने कहा है कि उनकी पार्टी अदालत के फ़ैसले का अध्ययन कर रही है.
उन्होंने कहा, "अदालत ने कहा है कि इन्हें रद्द किया जाए या नहीं, इसका फैसला बाद होगा."
लेकिन इसके बहाने उन्होंने एक बार फिर केंद्र की पूर्व यूपीए सरकार पर निशाना साधा.
हालांकि जिस अवधि के आवंटनों को अवैध करार दिया गया है, उसमें एनडीए सरकार के दौरान हुए आवंटन भी शामिल हैं.

कोयला घोटाला

प्रशांत भूषण ने कहा कि जिन कंपनियों ने खनन शुरू कर दिया है उनके बारे में विचार करने के लिए कोर्ट एक सितंबर को सुनवाई करेगी.

कोयला खदान
प्रशांत भूषण ने कहा कि रिलायंस को कोयला बेचने की अनुमति दी गई थी और सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक इससे 29,000 करोड़ रुपए का सरकार को नुकसान हुआ था.
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ क्लिक करें कोयला घोटाले से एक लाख 86 हज़ार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है.
सीएजी ने कहा था कि निजी कंपिनयों को कोयला के ब्लॉक बिना बोली लगाए दे दिए गए.
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, एसार पॉवर, हिंडाल्को, टाटा स्टील, टाटा पॉवर, जिंदल स्टील एंड पॉवर सहित 25 कंपनियों को क्लिक करें विभिन्न राज्यों में कोयले की खानें दी गईं.
पूर्व कोल सचिव पीसी पारिख ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी के पास कोई वैधानिक अधिकार नहीं थे.

कोयला घोटाला

कोल ब्लॉक पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 1993 के बाद के सभी आवंटन गैरकानूनी



1993 के बाद से अभी तक कुल 218 कोल ब्लॉक आवंटन
1993 के बाद से अभी तक कुल 218 कोल ब्लॉक आवंटन
कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए 1993 के बाद के सभी आवंटनों को गैरकानूनी करार दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और नियमों को ताक पर रखा गया. हालांकि इस दौरान हुए 218 आवंटनों को रद्द करने को लेकर अभी कोई आदेश नहीं दिया गया है. चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की बेंच ने मामले में सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा, '1993 के बाद से कोल ब्लॉक आवंटन के दौरान जरूरी पारर्शिता नहीं बरती गई. दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया और सभी आवंटनों को गैरकानूनी ढंग से अंजाम दिया गया.' कोर्ट ने कहा कि सभी आवंटनों में मनमानी की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आवंटन को गैरकानूनी तो बताया है, लेकिन आवंटन रद्द करने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है. कोर्ट ने कहा कि सभी 218 आवंटनों को रद्द किया जाए या नहीं इस पर निर्णय से पहले सुनवाई और विचार की जरूरत है. बताया जाता है कि सभी आवंटन को रद्द करने का फैसला 1 सितंबर को अगली सुनवाई के दौरान लिया जा सकता है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच 194 कोल ब्लॉक आवंटन में अनियमितता की सुनवाई कर रही थी. ये कोल ब्लॉक झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और मध्य प्रदेश में निजी कंपनियों और पार्टियों को 2004 से 2011 के बीच आवंटित किए गए थे. सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस एमबी लोकुर और कुरियन जोसफ सीबीआई द्वारा इस घोटाले की जांच की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. सीबीआई ने कुल 23 मामले दर्ज किए थे.


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