Tuesday, 26 August 2014

उत्तराखंड-वीरता की अद्भुत कहानी:जब महिला(56) ने अकेले तेंदुए को दरांती और कुदाल से मार गिराया ::उत्तराखंड की शेरनी कमला को बहादुरी के लिए एक लाख ईनाम:: गुलदार को मौत की नींद सुलाने वाली कमला देवी की जुबानी कैसे उन्होंने कैसे किया गुलदार का 'शिकार'

उत्तराखंड-वीरता की अद्भुत कहानी:जब महिला(56) ने अकेले तेंदुए को दरांती और कुदाल से मार गिराया

-उत्तराखंड की शेरनी कमला को बहादुरी के लिए एक लाख ईनाम

-गुलदार को मौत की नींद सुलाने वाली कमला देवी की जुबानी कैसे उन्होंने कैसे किया गुलदार का 'शिकार'

उत्तराखंड, महिला
तेंदुए के हमले में कमला को गंभीर चोटें आई हैं.
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले की एक महिला ने अपने ऊपर हमला करने वाले तेंदुए को अकेले ही दरांती और कुदाल से मार गिराया.
कमला नेगी नाम की इन महिला को बुरी तरह घायल अवस्था में स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
उन्होंने इस पूरी घटना के बारे में बताया, “मेरे पास दरांती और कुदाल थी. उसी से तेंदुए पर कई वार किए, जिससे उसके दांत भी टूट गए. लगभग आधा घंटे मेरी उससे लड़ाई चली. बाद में पता चला कि उसकी मौत हो गई.”
सेमकोटी गांव की रहने वाली 56 साल की कमला नेगी का कहना है कि वो रविवार सुबह पास ही के एक नाले से अपने खेत के लिए पानी खींचने गई थीं. तभी झाड़ियों में छिपे तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया.
तेंदुए को मारने के बाद खून से लथपथ कमला पहले अपने गांव पहुंचीं. गांव वाले उन्हें अगस्त मुनि क़स्बे के छोटे अस्पताल में ले गए.
इसके बाद उन्हें श्रीनगर के बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया.

गंभीर चोट


हाल ही में एक वीडियो सामने आया था जिसमें एक तेंदुए को इस तरह लोगों पर झपटते दिखाया गया था
कमला का इलाज कर रहे श्रीनगर बेस अस्पताल के डॉक्टर अब्दुल रउफ़ ने बताया, “उनके बाएं हाथ की हड्डी बाहर आ गई है. दोनों हाथों की कोहनियां टूटी हैं. सिर पर भी घाव हैं. पूरे शरीर में काटने के निशान और नाखून की खरोंचे हैं. वैसे उनकी हालत ठीक है.”
वन विभाग का कहना है कि वो तेंदुए का पोस्टमार्टम करवा रहा है. पिछले दो सप्ताह में उत्तराखंड में तेंदुए के हमले की ये तीसरी घटना है.
अपनी जगहों में बढ़ते खलल और पेड़ों के कटने से तेंदुए जैसे जंगली जानवर रिहाइशी इलाकों का रुख कर रहे हैं. इस वजह से इस तरह के हमले बढ़ते जा रहे हैं.

गुलदार को मौत की नींद सुलाने वाली कमला देवी की जुबानी कैसे उन्होंने कैसे किया गुलदार का 'शिकार'

मरे हुए पति को याद किया
मेरी ओर झपट रहे गुलदार के दोनों कानों को पकड़कर मैंने देर तक झंझोड़ा और फिर पीछे धकेल दिया। पढ़िए, गुलदार को मौत की नींद सुलाने वाली कमला देवी की जुबानी कैसे उन्होंने हमलावर गुलदार को मारा

मेरी ओर झपट रहे गुलदार के दोनों कानों को पकड़कर मैंने देर तक झंझोड़ा और फिर पीछे धकेल दिया। अपनी ईष्टदेवी दक्षिण काली तथा 21 वर्ष की उम्र में मुझे अकेले छोड़ गए पति को याद किया और गुलदार की छाती पर चढ़कर एक हाथ से उसके कान को पकड़ा और दूसरे से उस पर कुदाल से वार किए। ये गाथा जब शेरनी सरीखी कमला देवी ने सुनाई, तो सब लोग अचंभित हो गए।

बेस अस्पताल के अस्थि रोग विभाग में 8 नंबर बेड पर लेटी कमला देवी की खैर-खबर पूछने वालों का तांता लगा हुआ है। जब वह अपने साहस भरी कहानी सुनाती हैं, तो ऐसे लगता है जैसे उन पर घात लगाकर प्रहार कर रहे गुलदार को वह एक बार फिर मार गिराना चाहती हैं।

गुलदार के कान पकड़ लिए

गुलदार के कान पकड़ लिए
अपने पति, ईष्ट देवता तथा इकलौते बेटे का नाम ले-लेकर कमला देवी की आंखों में बार-बार आंसू छलक रहे थे, जबकि जुबां पर हमलावर गुलदार के प्रति रोष।

कमला कहती हैं कि रविवार को वे गांव से करीब एक किमी दूर गदेरे में घास काटने तथा कपड़े धोने गई थी। जब वह गदेरे के पास पहुंची, तो सामने गुलदार को देख शोर कर भगाने का प्रयास किया।

इस पर गुलदार भाग भी गया। गदेरे के पास गुलदार को देख घास नहीं काटा और सिर्फ कपड़े धोकर ही घर लौटने का निर्णय लिया। इसी बीच गुलदार ने फिर अचानक उन पर हमला कर दिया।

कमला देवी कहती हैं कि बचपन में सुना था कि गुलदार के कान यदि कुत्ता पकड़ ले, तो वह प्रहार नहीं कर पाता। मैंने भी यही किया। मैंने गुलदार के दोनों कान पकड़कर जोर-जोर से झंझोड़ना शुरू किया।

कुदाल से प्रहार करती रही

कुदाल से प्रहार करती रही
काफी देर तक ऐसा करते हुए उसे पीछे की ओर धकेला। फिर उसकी छाती पर चढ़कर दायें हाथ से उसका कान पकड़ा और बाएं हाथ से कुदाल से प्रहार करती रही।

उसके दांतों तथा सिर पर कुदाल से प्रहार करने के बाद जब उसने मेरे दायें हाथ पर मुंह से वार किए, तो मैंने पास पड़े छोटे-छोटे पत्थर उसके मुंह में भर दिए।

काफी देर तक चली इस तरह की गुत्थमगुत्थी के बाद मुझे लगा कि मुझे भागना चाहिए। मैं दौड़ती रही, एक जगह गिर पड़ी, लेकिन मुझे लगा कि वह मेरे पीछे भाग रहा है। दौड़ते-भागते अपने घर के पास पहुंची। बाद में गांव वालों ने बताया कि गुलदार मर चुका है।

21 वर्ष में खो दिया था पति को

21 वर्ष में खो दिया था पति को
वीरता की अद्भुत कहानी बयां कर रही कमला देवी ने अपने यौवन से ही साहस को जिया है। मात्र 18 वर्ष में जखोली के किरोरा गांव से ब्याही कमला ने मात्र 21 वर्ष की आयु में पति को खो दिया।

इकलौते बेटे दिनेश को पालने-पोसने तथा पढ़ाने के लिए कमला ने कठिन तपस्या की। उनके ही शब्दों में मिन ध्याड़ी कैरि, ढुंगा सारी, बालू सारी, भैंस पाली (दिहाड़ी की, पत्थर तथा बालू ढोए, भैंसें पाली।) बेटे को ग्रेजुएट कराने के बाद उसे बेहतर रोजगार की उम्मीद भी उसे थी, लेकिन रोजगार न मिलने से इस बहादुर महिला का इकलौता बेटा दिल्ली के किसी होटल में दिहाड़ी पर काम करता है। 

शेरनी को बहादुरी के लिए एक लाख ईनाम

शेरनी को बहादुरी के लिए एक लाख ईनाम
बहादुरी से लड़कर अपनी जान बचाने और गुलदार को दरांती और कुदाल से मार गिराने वाली महिला को सरकार की ओर से एक लाख रुपए दिए जाएंगे।

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में इसकी घोषणा की। मुख्यमंत्री का कहना है कि पहाड़ की इस बहादुर महिला का जज्बा गांवों में काम करने वाली अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणादायी है।

ऐसे में उन्हें भी मुश्किलों में अपनी रक्षा करने का साहस मिलता है। खूंखार गुलदार के हमले से कमला का दांया हाथ टूटा साथ बाएं हाथ की हड्डी दो स्थानों से निकल गई थी। घायल महिला का श्रीनगर के बेस अस्पताल में इलाज चल रहा है।

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