चीन की तरह का मीडिया चाहते हैं मोदी,पत्रकारों को
सरकार का भोंपू बना कर काम लिया जाएगा
दुनिया के प्रमुख देशों में चीन एक ऐसा देश है जहां पर चीनी सरकार की हर
छोटी बात को भी मीडिया बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है। बेशक देश के प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी चीन की नीतियों से खुश नहीं हैं लेकिन जिस तरह से चीन का
मीडिया वहां की सरकार का मुखपत्र बन गया है उसी नीति को खुद मोदी भी अपनाना
चाहते हैं। इसके लिए देश में जल्द ही पत्रकारिता पर आधारित एक यूनिवर्सिटी
स्थापित किए जाने की योजना पर काम चल रहा है जहां से तैयार पत्रकारों को
सरकार का भोंपू बना कर काम लिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार चीन में वहां की सरकार ने कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना के नाम से एक संस्थान की स्थापना की है जहां पर पत्रकारों को विशेष प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है। पत्रकारिता के साथ-साथ अन्य विषयों पर भी इस यूनिवर्सिटी में शिक्षा दी जाती है। चीन में इस यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल करने वालों को बाकायदा सरकार में भी अच्छे पदों पर नौकरी उपलब्ध रहती है।
जानकारी के अनुसार कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना में विद्यार्थियों को वही सब कुछ सिखाया जा सकता है जो वहां की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को गंवारा हो। खासकर सरकार को कोसने तथा पत्रकार सम्मेलनों में सवाल खड़े करने की बजाय विद्यार्थियों को सरकार के पक्ष में रिपोॄटग करने की सीख दी जाती है जबकि दूसरी तरफ भारत में हालात कुछ अलग हैं जो कि सरकार खासकर मोदी को गवारा नहीं हैं।
भारत में मीडिया स्वतंत्र तौर पर काम करता है तथा कुछेक को छोड़ कर अधिकतर समय-समय पर केंद्र की सरकार पर उंगली उठाने में भी कमी नहीं छोड़ी जाती। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि भारत में भी मीडिया काम करे तो वह सरकार का भोंपू बनकर। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत में भी कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना जैसी ही यूनिवर्सिटी स्थापित किए जाने की तैयारी चल रही है।
वैसे सत्ता में आने के साथ ही मोदी ने चीन के मॉडल को अपनाना शुरू कर दिया था जिसके तहत सबसे पहले मंत्रियों व अधिकारियों को मीडिया से दूर रहने को कहा गया। इसके साथ ही विदेश यात्राओं में भी मोदी ने मीडिया को न ले जाकर गिने-चुने पत्रकारों को साथ ले जाने का सिलसिला शुरू किया। अब जब वह इससे भी मीडिया में छवि नहीं बना पाए तो अब नई योजना के तहत यूनिवर्सिटी बनाने पर काम चल रहा है।
जानकारी के अनुसार चीन में वहां की सरकार ने कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना के नाम से एक संस्थान की स्थापना की है जहां पर पत्रकारों को विशेष प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है। पत्रकारिता के साथ-साथ अन्य विषयों पर भी इस यूनिवर्सिटी में शिक्षा दी जाती है। चीन में इस यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल करने वालों को बाकायदा सरकार में भी अच्छे पदों पर नौकरी उपलब्ध रहती है।
जानकारी के अनुसार कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना में विद्यार्थियों को वही सब कुछ सिखाया जा सकता है जो वहां की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को गंवारा हो। खासकर सरकार को कोसने तथा पत्रकार सम्मेलनों में सवाल खड़े करने की बजाय विद्यार्थियों को सरकार के पक्ष में रिपोॄटग करने की सीख दी जाती है जबकि दूसरी तरफ भारत में हालात कुछ अलग हैं जो कि सरकार खासकर मोदी को गवारा नहीं हैं।
भारत में मीडिया स्वतंत्र तौर पर काम करता है तथा कुछेक को छोड़ कर अधिकतर समय-समय पर केंद्र की सरकार पर उंगली उठाने में भी कमी नहीं छोड़ी जाती। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि भारत में भी मीडिया काम करे तो वह सरकार का भोंपू बनकर। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत में भी कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना जैसी ही यूनिवर्सिटी स्थापित किए जाने की तैयारी चल रही है।
वैसे सत्ता में आने के साथ ही मोदी ने चीन के मॉडल को अपनाना शुरू कर दिया था जिसके तहत सबसे पहले मंत्रियों व अधिकारियों को मीडिया से दूर रहने को कहा गया। इसके साथ ही विदेश यात्राओं में भी मोदी ने मीडिया को न ले जाकर गिने-चुने पत्रकारों को साथ ले जाने का सिलसिला शुरू किया। अब जब वह इससे भी मीडिया में छवि नहीं बना पाए तो अब नई योजना के तहत यूनिवर्सिटी बनाने पर काम चल रहा है।
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