#Israel #Election #Netanyahu: इसराइल से संबंध और बिगड़ेंगे अमरीका (#US #USA) के?
इसराइल
में नेतन्याहू चौथी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. परिणाम को अमरीका
में सकारात्मक ढंग से नहीं लिया गया है क्योंकि वहां नेतन्याहू को शांति
में बाधा के तौर पर देखा जाता है.
दरअसल अमरीकी प्रशासन और इसराइल के बीच इस समय जिस तरह का तनाव नज़र आ रहा है वह पहले कम ही दिखा है.नेतन्याहू की चुनावी मुहिम का एक तरह से केंद्र बिंदु था अमरीका और ईरान के बीच परमाणु समझौते की कोशिशों का विरोध.
इसी मामले पर वह रिपब्लिकन्स के न्यौते पर, ओबामा प्रशासन की नाराज़गी के बावजूद, भाषण देने अमरीका भी आ गए थे.
राजनीतिक मजबूरी
उन्होंने कहा कि फ़लस्तीनी राष्ट्र इस्लामी चरमपंथियों के लिए इसराइल के ख़िलाफ़ एक अड्डा बन जाएगा.
लेकिन अमरीकी राजनीति की एक सच्चाई यह भी है कि न तो रिपब्लिकन और न ही डेमोक्रेट- कोई भी सार्वजनिक रूप से इसराइल के ख़िलाफ़ खड़ा नहीं हो सकता.
अब ओबामा प्रशासन को अपने बचे हुए दो सालों में बात नेतन्याहू की ही करनी होगी.
हालांकि इस बारे में अभी तक औपचारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है लेकिन मंगलवार शाम विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने नेतन्याहू के बयान का ज़िक्र किया था.
प्रवक्ता ने कहा था कि चुनावी अभियान के दौरान बहुत सी बातें कही जाती हैं, सरकार बनने के बाद क्या नीति अपनाई जाती है हम उस पर ग़ौर करेंगे.
अगर ऐसा हुआ तो नेतन्याहू द्विराष्ट्र समझौते का विरोध और विवादित इलाकों में यहूदियों को बसाने की मुहिम और तेज कर सकते हैं.
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