विंबलडन में एंडी मरे ने रचा इतिहास
रविवार, 7 जुलाई, 2013 को 23:25 IST तक के समाचार
दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी
ब्रिटेन के एंडी मरे ने दुनिया के नंबर एक और शीर्ष वरीय सर्बिया के नोवाक
जोकोविच को सीधे सेटों में 6-4, 7-5, 6-4 से हराकर विंबलडन पुरूष एकल
ख़िताब जीत लिया है.
मरे और जोकोविच के बीच तीन घंटे 10 मिनट तक चले
मुका़बले के दौरान तीनों सेटों में बेहतरीन खेल देखने को मिला. ख़ासकर
दूसरे सेट में दोनों के बीच लंबा संघर्ष हुआ लेकिन बाज़ी मरे के हाथ लगी जब
उन्होंने 7-5 से दूसरा सेट जीता.खेल विशेषज्ञों का कहना है कि रविवार को खेले गए फ़ाइनल मैच में जोकोविच अपने रंग में बिल्कुल भी नहीं दिख रहे थे. यहां तक की जोकोविच के कई रिटर्न्स सीधे नेट में जा टकराए जहां पर उन्हें आसानी से अंक मिल सकते थे.
शानदार प्रदर्शन
दूसरी तरफ़ एंडी ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया. उनकी कोट कवरेज बहुत ही शानदार थी. कई मौक़ों पर तो मरे ने अविश्नीय खेल का प्रदर्शन किया.ख़ासकर उनके दोनों हाथों से लगाए गए बैकहैंड रिटर्न्स का जोकोविच के पास कोई जवाब नहीं था.
रविवार का दिन 1966 में फ़ुटबॉल विश्व कप जीतने के बाद ब्रिटेन के खेल इतिहास का शायद ये सबसे बड़ा दिन था. 77 साल बाद ब्रिटेन का कोई पुरूष खिलाड़ी विंबलडन एकल ख़िताब जीतने में सफल हुआ.
इससे पहले 1936 में ब्रिटेन के फ़्रेड पेरी ने विंबलडन पुरूष एकल ख़िताब जीता था.
साल 2012 में भी मरे विंबलडन के फ़ाइनल में पहुंचे थे लेकिन तब उन्हें फ़ेडरर से हार का सामना करना पड़ा था.
एंडी मरे का ये दूसरा ग्रैंडस्लैम ख़िताब है, इससे पहले वो साल 2012 में अमरीकी ओपन भी जीत चुके हैं.
भारतीय पहलू
2013 के विंबलडन फ़ाइनल का एक भारतीय पक्ष भी था. मैच के शुरू में भारत से लंदन पहुंची एक छोटी सी लड़की की मुस्कान ने स्टेडियम में बैठे 15 हज़ार लोगों का मन मोह लिया.11 वर्षीय क्लिक करें पिंकी सोनकर जब पैदा हुई थीं तो उसका होंठ कटा हुआ था. स्माइल ट्रेन नाम की एक अंतरराष्ट्रीय चैरिटी संस्था ने 2007 में उसका सफल ऑपरेशन कराकर उसे एक मनोहारी मुस्कान दी है. इसका ज़िक्र ऑस्कर विजेता शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री 'स्माइल पिंकी' में भी किया गया था.
इसी संस्था की ओर से पिंकी को रविवार को सेंटर कोर्ट में लाया गया था जहां पिंकी ने सिक्का उछाल कर टॉस किया, जिसके बाद से मैच शुरू हुआ.
इससे पहले क्लिक करें सेमीफ़ाइनल में मरे ने पोलैंड के 24वीं वरीयता प्राप्त जेर्जी जानोविज को लगभग तीन घंटों तक चले 'छत' विवाद वाले मैच में 6-7, 6-4, 6-4, 6-3 से हरा कर विंबलडन टेनिस ग्रैंडस्लैम के पुरुष एकल के फाइनल में जगह बनाई थी. जबकि नोवाक जोकोविच ने शुक्रवार को इतिहास में विंबलडन के सबसे लंबे सेमीफ़ाइनल में जुआन डेल पोत्रो को 7-5, 4-6, 7-6, 6-7, 6-3 से हराकर 11वीं बार ग्रैंडस्लैम फ़ाइनल में जगह बनाई थी.
मरे को अंतिम गेम याद ही नहीं: हेनमैन
एंडी मरे ने आख़िरकार विंबलडन जीतकर ब्रिटेन के लोगों का 77 साल का लंबा इंतजार समाप्त कर दिया.
मरे ने फ़ाइनल में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी सर्बिया के
नोवाक जोकोविच को लगातार सेटों में हराकर सेंटर कोर्ट में बैठे 15000 दर्शकों और देश भर के लाखों टेनिस प्रेमियों को जश्न मनाने का मौक़ा दे दिया.
बीबीसी के कमेंटेटर और चार बार विंबलडन से सेमीफ़ाइनल में पहुंचे टिम हेनमैन लॉकर रूम में मरे की जीत के जश्न में शामिल हुए.
उन्होंने कहा, “मुझे मैच के तुरंत बाद लॉकर रूम में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. एंडी को अपनी जीत पर विश्वास नहीं हो रहा था. मैंने उन्हें गले लगाया और उनसे कहा मैं नहीं जानता आपने ऐसा कैसे किया? इस पर उनका जवाब था ‘मैं भी नहीं जानता’.”
अविश्वसनीय उपलब्धि
"इसमें अब कोई शक नहीं है कि उन्होंने ब्रिटेन की जनता का दिल जीत लिया है. इससे पहले चंद लोगों को उनकी काबिलियत पर संदेह था"
टिम हेनमैन
उन्होंने कहा, “मैंने लॉकर रूम में एंडी की टीम के सभी सदस्यों से बात की. वहां शैंपेन उड़ाई जा रही थी. मैं तो जैसे-तैसे बच गया लेकिन एंडी पूरी तरह शैंपेन में नहा गए. वह शराब नहीं पीते हैं लेकिन उन्हें एक घूंट पीनी पड़ी. जैसे ही शैंपेन उनके हलक से उतरी उनके मुंह से निकला ‘बहुत ख़राब’.”
हेनमैन ने बताया, “पिछली बार उन्होंने शैंपेन तब ली थी जब वो यूएस ओपन जीतकर घर वापस आ रहे थे. उस समय उन्होंने विमान में टूथपेस्ट के बजाय फेस क्रीम इस्तेमाल कर लिया था. तब उन्होंने शैंपेन का ली थी.”
उन्होंने कहा, “एंडी के लिए ये शानदार दिन है. टेनिस, टेनिस प्रेमियों और ब्रिटेन के खेलों के लिए भी ये एक शानदार दिन है. उन्हें इस साल बीबीसी स्पोर्ट्स पर्सनेलिटी ऑफ़ द ईयर अवार्ड मिलना ही चाहिए.”
जीत लिया दिल
हेनमैन ने कहा, “इसमें अब कोई शक नहीं है कि उन्होंने ब्रिटेन की जनता का दिल जीत लिया है. इससे पहले चंद लोगों को उनकी काबिलियत पर संदेह था. पिछले 12 महीने में लोगों ने उनका अलग रंग देखा है.”हेनमैन के अनुसार, “मुझे हमेशा से लगता था कि ये क्षण आएगा. उनकी प्रतिभा को मैं उसी समय पहचान गया था जब वह डेविस कप में ऑरेंज ब्वॉय या वॉटर ब्वॉय हुआ करते थे. मैंने उनके साथ स्पेन में क्ले कोर्ट पर हाथ आजमाए थे जहां वह बतौर जूनियर प्रशिक्षण ले रहे थे.”
उन्होंने कहा, “छोटी उम्र में भी वह काफी समय बॉल के साथ गुजारते थे और यही बात उन्हें दूसरे खिलाड़ियों से अलग करती है.
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