Friday, 12 July 2013

BREAKING NEWS FROM 4 JULY TO TILL DATE

विंबलडन में एंडी मरे ने रचा इतिहास

 रविवार, 7 जुलाई, 2013 को 23:25 IST तक के समाचार

एंडी मरे
एंडी मरे विंबलडन कप के साथ.
दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी ब्रिटेन के एंडी मरे ने दुनिया के नंबर एक और शीर्ष वरीय सर्बिया के नोवाक जोकोविच को सीधे सेटों में 6-4, 7-5, 6-4 से हराकर विंबलडन पुरूष एकल ख़िताब जीत लिया है.
मरे और जोकोविच के बीच तीन घंटे 10 मिनट तक चले मुका़बले के दौरान तीनों सेटों में बेहतरीन खेल देखने को मिला. ख़ासकर दूसरे सेट में दोनों के बीच लंबा संघर्ष हुआ लेकिन बाज़ी मरे के हाथ लगी जब उन्होंने 7-5 से दूसरा सेट जीता.
मरे ने आख़िरकार तीसरा सेट 6-4 के अंतर से जीत कर क्लिक करें विंबलडन पुरूष एकल का ताज अपने नाम कर लिया.
खेल विशेषज्ञों का कहना है कि रविवार को खेले गए फ़ाइनल मैच में जोकोविच अपने रंग में बिल्कुल भी नहीं दिख रहे थे. यहां तक की जोकोविच के कई रिटर्न्स सीधे नेट में जा टकराए जहां पर उन्हें आसानी से अंक मिल सकते थे.

शानदार प्रदर्शन

दूसरी तरफ़ एंडी क्लिक करें मरे ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया. उनकी कोट कवरेज बहुत ही शानदार थी. कई मौक़ों पर तो मरे ने अविश्नीय खेल का प्रदर्शन किया.
ख़ासकर उनके दोनों हाथों से लगाए गए बैकहैंड रिटर्न्स का जोकोविच के पास कोई जवाब नहीं था.

1966 फ़ुटबॉल विश्व कप जीत के बाद ब्रिटेन के खेल इतिहास का सबसे बड़ा दिन.
रविवार को मरे ने अपना सांतवा ग्रैंडस्लैम फ़ाइनल मैच खेला जबकि जोकोविच के साथ ग्रैंडस्लैम में यह उनका चौथा मुक़ाबला था.
रविवार का दिन 1966 में फ़ुटबॉल विश्व कप जीतने के बाद ब्रिटेन के खेल इतिहास का शायद ये सबसे बड़ा दिन था. 77 साल बाद ब्रिटेन का कोई पुरूष खिलाड़ी विंबलडन एकल ख़िताब जीतने में सफल हुआ.
इससे पहले 1936 में ब्रिटेन के फ़्रेड पेरी ने विंबलडन पुरूष एकल ख़िताब जीता था.
साल 2012 में भी मरे विंबलडन के फ़ाइनल में पहुंचे थे लेकिन तब उन्हें फ़ेडरर से हार का सामना करना पड़ा था.
एंडी मरे का ये दूसरा ग्रैंडस्लैम ख़िताब है, इससे पहले वो साल 2012 में अमरीकी ओपन भी जीत चुके हैं.

भारतीय पहलू

2013 के विंबलडन फ़ाइनल का एक भारतीय पक्ष भी था. मैच के शुरू में भारत से लंदन पहुंची एक छोटी सी लड़की की मुस्कान ने स्टेडियम में बैठे 15 हज़ार लोगों का मन मोह लिया.
11 वर्षीय क्लिक करें पिंकी सोनकर जब पैदा हुई थीं तो उसका होंठ कटा हुआ था. स्माइल ट्रेन नाम की एक अंतरराष्ट्रीय चैरिटी संस्था ने 2007 में उसका सफल ऑपरेशन कराकर उसे एक मनोहारी मुस्कान दी है. इसका ज़िक्र ऑस्कर विजेता शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री 'स्माइल पिंकी' में भी किया गया था.
इसी संस्था की ओर से पिंकी को रविवार को सेंटर कोर्ट में लाया गया था जहां पिंकी ने सिक्का उछाल कर टॉस किया, जिसके बाद से मैच शुरू हुआ.
इससे पहले क्लिक करें सेमीफ़ाइनल में मरे ने पोलैंड के 24वीं वरीयता प्राप्त जेर्जी जानोविज को लगभग तीन घंटों तक चले 'छत' विवाद वाले मैच में 6-7, 6-4, 6-4, 6-3 से हरा कर विंबलडन टेनिस ग्रैंडस्लैम के पुरुष एकल के फाइनल में जगह बनाई थी. जबकि नोवाक जोकोविच ने शुक्रवार को इतिहास में विंबलडन के सबसे लंबे सेमीफ़ाइनल में जुआन डेल पोत्रो को 7-5, 4-6, 7-6, 6-7, 6-3 से हराकर 11वीं बार ग्रैंडस्लैम फ़ाइनल में जगह बनाई थी.

विंबलडन में एंडी मरे ने रचा इतिहास

 रविवार, 7 जुलाई, 2013 को 23:25 IST तक के समाचार

एंडी मरे विंबलडन कप के साथ.
दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी ब्रिटेन के एंडी मरे ने दुनिया के नंबर एक और शीर्ष वरीय सर्बिया के नोवाक जोकोविच को सीधे सेटों में 6-4, 7-5, 6-4 से हराकर विंबलडन पुरूष एकल ख़िताब जीत लिया है.
मरे और जोकोविच के बीच तीन घंटे 10 मिनट तक चले मुका़बले के दौरान तीनों सेटों में बेहतरीन खेल देखने को मिला. ख़ासकर दूसरे सेट में दोनों के बीच लंबा संघर्ष हुआ लेकिन बाज़ी मरे के हाथ लगी जब उन्होंने 7-5 से दूसरा सेट जीता.
मरे ने आख़िरकार तीसरा सेट 6-4 के अंतर से जीत कर क्लिक करें विंबलडन पुरूष एकल का ताज अपने नाम कर लिया.
खेल विशेषज्ञों का कहना है कि रविवार को खेले गए फ़ाइनल मैच में जोकोविच अपने रंग में बिल्कुल भी नहीं दिख रहे थे. यहां तक की जोकोविच के कई रिटर्न्स सीधे नेट में जा टकराए जहां पर उन्हें आसानी से अंक मिल सकते थे.

शानदार प्रदर्शन

दूसरी तरफ़ एंडी क्लिक करें मरे ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया. उनकी कोट कवरेज बहुत ही शानदार थी. कई मौक़ों पर तो मरे ने अविश्नीय खेल का प्रदर्शन किया.
ख़ासकर उनके दोनों हाथों से लगाए गए बैकहैंड रिटर्न्स का जोकोविच के पास कोई जवाब नहीं था.
1966 फ़ुटबॉल विश्व कप जीत के बाद ब्रिटेन के खेल इतिहास का सबसे बड़ा दिन.
रविवार को मरे ने अपना सांतवा ग्रैंडस्लैम फ़ाइनल मैच खेला जबकि जोकोविच के साथ ग्रैंडस्लैम में यह उनका चौथा मुक़ाबला था.
रविवार का दिन 1966 में फ़ुटबॉल विश्व कप जीतने के बाद ब्रिटेन के खेल इतिहास का शायद ये सबसे बड़ा दिन था. 77 साल बाद ब्रिटेन का कोई पुरूष खिलाड़ी विंबलडन एकल ख़िताब जीतने में सफल हुआ.
इससे पहले 1936 में ब्रिटेन के फ़्रेड पेरी ने विंबलडन पुरूष एकल ख़िताब जीता था.
साल 2012 में भी मरे विंबलडन के फ़ाइनल में पहुंचे थे लेकिन तब उन्हें फ़ेडरर से हार का सामना करना पड़ा था.
एंडी मरे का ये दूसरा ग्रैंडस्लैम ख़िताब है, इससे पहले वो साल 2012 में अमरीकी ओपन भी जीत चुके हैं.

भारतीय पहलू

2013 के विंबलडन फ़ाइनल का एक भारतीय पक्ष भी था. मैच के शुरू में भारत से लंदन पहुंची एक छोटी सी लड़की की मुस्कान ने स्टेडियम में बैठे 15 हज़ार लोगों का मन मोह लिया.
11 वर्षीय क्लिक करें पिंकी सोनकर जब पैदा हुई थीं तो उसका होंठ कटा हुआ था. स्माइल ट्रेन नाम की एक अंतरराष्ट्रीय चैरिटी संस्था ने 2007 में उसका सफल ऑपरेशन कराकर उसे एक मनोहारी मुस्कान दी है. इसका ज़िक्र ऑस्कर विजेता शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री 'स्माइल पिंकी' में भी किया गया था.
इसी संस्था की ओर से पिंकी को रविवार को सेंटर कोर्ट में लाया गया था जहां पिंकी ने सिक्का उछाल कर टॉस किया, जिसके बाद से मैच शुरू हुआ.
इससे पहले क्लिक करें सेमीफ़ाइनल में मरे ने पोलैंड के 24वीं वरीयता प्राप्त जेर्जी जानोविज को लगभग तीन घंटों तक चले 'छत' विवाद वाले मैच में 6-7, 6-4, 6-4, 6-3 से हरा कर विंबलडन टेनिस ग्रैंडस्लैम के पुरुष एकल के फाइनल में जगह बनाई थी. जबकि नोवाक जोकोविच ने शुक्रवार को इतिहास में विंबलडन के सबसे लंबे सेमीफ़ाइनल में जुआन डेल पोत्रो को 7-5, 4-6, 7-6, 6-7, 6-3 से हराकर 11वीं बार ग्रैंडस्लैम फ़ाइनल में जगह बनाई थी.

मरे को अंतिम गेम याद ही नहीं: हेनमैन


एंडी मरे
एंडी मरे ने आख़िरकार विंबलडन जीतकर ब्रिटेन के लोगों का 77 साल का लंबा इंतजार समाप्त कर दिया.
क्लिक करें मरे ने फ़ाइनल में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी सर्बिया के क्लिक करें नोवाक जोकोविच को लगातार सेटों में हराकर सेंटर कोर्ट में बैठे 15000 दर्शकों और देश भर के लाखों टेनिस प्रेमियों को जश्न मनाने का मौक़ा दे दिया.
26 साल के मरे का ये दूसरा ग्रैंड स्लैम है. इससे पहले उन्होंने पिछले साल यूएस ओपन का ख़िताब और ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता था.
बीबीसी के कमेंटेटर और चार बार विंबलडन से सेमीफ़ाइनल में पहुंचे टिम हेनमैन लॉकर रूम में मरे की जीत के जश्न में शामिल हुए.
उन्होंने कहा, “मुझे मैच के तुरंत बाद लॉकर रूम में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. एंडी को अपनी जीत पर विश्वास नहीं हो रहा था. मैंने उन्हें गले लगाया और उनसे कहा मैं नहीं जानता आपने ऐसा कैसे किया? इस पर उनका जवाब था ‘मैं भी नहीं जानता’.”

अविश्वसनीय उपलब्धि

"इसमें अब कोई शक नहीं है कि उन्होंने ब्रिटेन की जनता का दिल जीत लिया है. इससे पहले चंद लोगों को उनकी काबिलियत पर संदेह था"
टिम हेनमैन
हेनमैन ने कहा, “ये एक अविश्वसनीय उपलब्धि है और इसका ख़ुमार अब भी चढ़ा हुआ है. एंडी क्लिक करें टेनिस के ऐसे छात्र हैं जिन्हें जूनियर स्तर से लेकर अब तक के सभी परिणाम याद हैं. उन्हें अपने सभी मैच और शॉट याद हैं लेकिन उन्हें इस फ़ाइनल के अंतिम गेम के बारे में कुछ भी याद नहीं है. इस गेम की उनकी यादें धुंधला गई हैं.”
उन्होंने कहा, “मैंने लॉकर रूम में एंडी की टीम के सभी सदस्यों से बात की. वहां शैंपेन उड़ाई जा रही थी. मैं तो जैसे-तैसे बच गया लेकिन एंडी पूरी तरह शैंपेन में नहा गए. वह शराब नहीं पीते हैं लेकिन उन्हें एक घूंट पीनी पड़ी. जैसे ही शैंपेन उनके हलक से उतरी उनके मुंह से निकला ‘बहुत ख़राब’.”
हेनमैन ने बताया, “पिछली बार उन्होंने शैंपेन तब ली थी जब वो क्लिक करें यूएस ओपन जीतकर घर वापस आ रहे थे. उस समय उन्होंने विमान में टूथपेस्ट के बजाय फेस क्रीम इस्तेमाल कर लिया था. तब उन्होंने शैंपेन का ली थी.”
उन्होंने कहा, “एंडी के लिए ये शानदार दिन है. टेनिस, टेनिस प्रेमियों और ब्रिटेन के खेलों के लिए भी ये एक शानदार दिन है. उन्हें इस साल बीबीसी स्पोर्ट्स पर्सनेलिटी ऑफ़ द ईयर अवार्ड मिलना ही चाहिए.”

जीत लिया दिल

हेनमैन ने कहा, “इसमें अब कोई शक नहीं है कि उन्होंने ब्रिटेन की जनता का दिल जीत लिया है. इससे पहले चंद लोगों को उनकी काबिलियत पर संदेह था. पिछले 12 महीने में लोगों ने उनका अलग रंग देखा है.”
हेनमैन और मरे
मरे और हेनमैन इस साल जून में एक चैरिटी मैच के दौरान.
उन्होंने कहा, “पिछले साल विंबलडन के फ़ाइनल में हारना एंडी के लिए बेहद अहम साबित हुआ. उसके बाद उन्होंने ओलंपिक स्वर्ण जीता और बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री से भी दुनिया को ये समझने में मदद मिली कि वह कितने महान खिलाड़ी हैं. इसे आप इस बात से महसूस कर सकते हैं कि उनके लिए समर्थन लगातार बढ़ता गया है और आज फ़ाइनल का माहौल अद्भुत था.”
हेनमैन के अनुसार, “मुझे हमेशा से लगता था कि ये क्षण आएगा. उनकी प्रतिभा को मैं उसी समय पहचान गया था जब वह डेविस कप में ऑरेंज ब्वॉय या वॉटर ब्वॉय हुआ करते थे. मैंने उनके साथ स्पेन में क्ले कोर्ट पर हाथ आजमाए थे जहां वह बतौर जूनियर प्रशिक्षण ले रहे थे.”
उन्होंने कहा, “छोटी उम्र में भी वह काफी समय बॉल के साथ गुजारते थे और यही बात उन्हें दूसरे खिलाड़ियों से अलग करती है.


 

 

 

विंबलडन 2013: महिला एकल वर्ग में बारतोली विजयी


 रविवार, 7 जुलाई, 2013 को 01:54 IST तक के समाचार


बारतोली की ये पहली बार ग्रैंड स्लैम जीत है.
विंबलडन में महिला एकल वर्ग को एक नई विजेता मिल गईं हैं. शनिवार को फ्रांस की मैरियोन बारतोली ने जर्मनी की सबीना लिसिकी को हराकर महिला वर्ग का एकल ख़िताब जीत लिया.
बारतोली ने सीधे सेटों में 6-1, 6-4 से लिसिकी को हराकर अपना पहला ग्रैंडस्लैम ख़िताब जीता.
बारतोली ने केवल 30 मिनट में ही पहला सेट जीत लिया. पहले सेट में उन्होंने लगातार छह गेम जीते जबकि दूसरे सेट में लगातार पांच गेम अपने नाम किए. लिसिकी के मैच में वापसी के तमाम प्रयास नाकाम रहे.
15वीं वरीयता प्राप्त बारतोली के सामने 23वीं वरीयता वाली सबीना लिसिकी टिक नहीं सकीं. अगर सबीना लिसिकी की जीत होने पर यह उनका भी क्लिक करें पहला ग्रैंड स्लैम होता.
वर्ष 2007 में वीनस विलियम से हार कर मैरियोन बारतोली ने ग्रैंड स्लैम जीतने का मौक़ा गवां दिया था, लेकिन इस बार एकतरफ़ा मुक़ाबले में उन्होंने यह जीत हासिल की.

भावुक हो गईं बारतोली

बारतोली को रोकने में नाकाम रहने पर दूसरे सेट में 23 साल की लिसिकी रो पड़ीं.
वहीं जीत के बाद बारतोली भी ख़ुशी में भावुक हो गईं.
बारतोली ने अपनी ख़ुशी अपनी मेंटर और 2006 की विंबलडन विजेता एमिली मोरेस्मो के साथ गले लगकर बांटी. उन्होंने अपने पिता और पूर्व कोच वॉल्टर को भी गले लगाया.
इससे पहले एमिली मोरेस्मो आख़िरी फ़्रांसिसी महिला थीं जिन्होंने क्लिक करें विंबलडन जीता था.
ये लिसिकी का पहला ग्रैंड स्लैम होता
ये लिसिकी का पहला ग्रैंड स्लैम होता
पूरे टूर्नामेंट के दौरान बारतोली ने अपना दबदबा बनाए रखा. इस जीत के बाद वह विंबलडन ओपन में बिना कोई सेट गवांए जीतने वाली छठी महिला बन गईं हैं.
बारतोली का कहना था, "मुझे विशवास नहीं हो रहा, बचपन से ये दिन मेरा सपना था. लेकिन ऐस के साथ खेल ख़त्म करने की तो मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी."
विंबलडन में ये उनका 47वाँ मैच था.
लिसिकी से पाँच साल वरिष्ट बारतोली ने कहा, "मैं 2007 में विंबलडन नहीं जीत पाई, मैं जानती हूँ कैसा महसूस होता है. मुझे विश्वास है कि लिसिकी एक बार फिर यहाँ पहुंचेगी."
जर्मनी की मशहूर टेनिस खिलाड़ी लिसिकी की दमदार सर्विस को बारतोली ने आसानी से खेला. छटे खेल में लिसिकी के दोबारा डबल-फॉल्ट ने विंबलडन का ख़िताब आसानी से बारतोली को थमाने में पूरी मदद की.
लिसिकी के पास दूसरे सेट के दूसरे मैच में बाज़ी अपनी ओर करने के मौक़े आए लेकिन बारतोली मैदान में मज़बूती से टिकी रहीं.
फ़ाइनल तक के रास्ते में लिसिकी ने चौथे दौर में पांच बार की चैंपियन सरीना विलियम्स को हराया और सेमीफ़ाइनल में चौथी वरीयता प्राप्त अग्नियेस्का रदवांस्का को हराया था.


 

 

 

बोधगया ब्‍लास्‍ट का सीसीटीवी फुटेज जारी

पटना, 8 जुलाई 2013 | 


CCTV से मिली धमाके की तस्वीर
बिहार के डीजीपी अभयानंद ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर कहा कि बोधगया में रविवार को 10 धमाके हुए. उन्‍होंने बताया कि रविवार तक लग रहा था कि 9 धमाके हुए हैं, लेकिन सोमवार को एक और बम बरामद किया गया जो फट चुका था. यानी कि कुल 10 बम धमाके हुए. उन्‍होंने यह भी बताया कि इस मामले में एक संदिग्‍ध को हिरासत में लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है. इसी के साथ उन्‍होंने जांच के बारे ज्‍यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया.
इस बीच, बोधगया में हुए सीरियल धमाकों का सीसीटीवी फुटेज जारी हो गया है. कैमरे के समय के मुताबिक, सुबह 5 बजकर 40 मिनट 27 सेकेंड पर पहला धमाका हुआ. एक के बाद एक धमाकों से लोग सहम गए और भारी अफरातफरी मच गई.
सीसीटीवी कैमरे ने इधर-उधर भागते लोगों की तस्वीरें कैद की है. धमाके के तुरंत बाद वहां तैनात सुरक्षाकर्मी भी हरकत में आ गए. फुटेज में सुरक्षाकर्मियों को लोगों को हटाते और घटनास्थल की ओर भागते देखा गया. जांच एजेंसियां फुटेज खंगालने में लगी हुई हैं.
वहीं धमाकों के बाद बिहार सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है. धमाकों के विरोध में आज बीजेपी ने बोधगया और आरजेडी ने मगध क्षेत्र में बंद बुलाया है.

एक संदिग्ध गिरफ्तार, दो के स्केच जारी
वहीं आतंकियों की तलाश लगातार जारी है. गया के पास बाराचट्टी से एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है. शक की सुई आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन पर जा रही है. सुरक्षा एजेंसियों को उन दो संदिग्ध की भी तलाश है जिनके बारे में आईबी ने जून के आखिरी हफ्ते में सूचना दी थी. आईबी ने अलर्ट जारी कर दो संदिग्ध भाईयों सहीदुर रहमान और सैफुर रहमान का स्केच जारी किया था और दोनों के पटना और गया जाने की बात कही थी. बिहार पुलिस ने रविवार को दोनों के स्केच जारी कर दिए हैं.
http://media2.intoday.in/aajtak/images/stories/072013/sktech1_325_070813100950.jpgताजा खुलासों के मुताबिक, महाबोधि मंदिर में रविवार सुबह 2 बजे पांच लोगों ने बम रखे थे. धमाकों का मकसद दहशत फैलाना था. उधर दिल्ली पुलिस ने भी दावा किया है कि इंडियन मुजाहिदीन म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर कथित अत्याचार का बदला लेने के लिए बिहार और मुंबई में धमाकों की योजना बना रहा था और इस संबंध में राजधानी की पुलिस ने बिहार और खुफिया एजेंसी को अलर्ट भी किया था. दिल्ली पुलिस को यह बात जर्मन बेकरी धमाकों के आरोपी मकबूल से पूछताछ में पता चली थी. मकबूल ने यह भी कबूला था कि हमले के लिए उसने महाबोधि मंदिर की रेकी और वीडियोग्राफी की थी.
धमाकों का असर बौद्ध धर्म के गढ़ धर्मशाला पर भी हुआ है. एहतियातन तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के आधिकारिक महल और उससे सटे सुगलगखांग मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. दलाई लामा को पहले से ही सरकार से जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है.

इंडियन मुजाहिदीन पर शक
आजतक को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इंडियन मुजाहिदीन ने भारत में आतंकियों की लगातार गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए ये धमाके करवाए हैं. इंडियन मुजाहिदीन के मुखिया भटकल ने अपने सदस्यों को हिदायत दी थी कि आतंकियों का मनोबल बढ़ाने के लिए भारत में धमाके जरूरी हैं.
धमाकों की जांच के लिए बोधगया पहुंची एनआईए की टीम ने महाबोधि मंदिर जाकर घटनास्थल का मुआयना किया. अब तक मिले सुरागों के मुताबिक धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन और उसके सरगना अबू जुंदाल का हाथ हो सकता है. शुरुआती जांच में धमाके के लिए आईईडी के इस्तेमाल के संकेत मिले हैं.
आतंकी हमलों को लेकर खुफिया एजेंसी आईबी ने भी बिहार सरकार को तीन अलग-अलग मौकों पर आगाह किया था. लेकिन हैरानी की बात है कि इसके बाद भी बिहार सरकार सोती रही. बिहार के डीजीपी अभ्यानंद ने भी माना है कि पुलिस को इस बात की सूचना थी कि बोधगया में महाबोधि मंदिर को निशाना बनाया जा सकता है.
मंदिर में पूजा शुरू
दोनों घायलों में से एक की हालत गंभीर बनी हुई है. हमले के बाद बौद्ध भिक्षुक सकते में हैं. महोबोधि मंदिर और उसके आस-पास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है लेकिन कई बौद्ध भिक्षुकों का कहना है कि बेहतर होता अगर ये इंतजाम पहले किए जाते.
महाबोधि मंदिर और उसके आस-पास हुए धमाकों के बाद बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति ने मंदिर परिसर की सुरक्षा बिहार पुलिस को सौंप दी है. समिति के सदस्य अरविंद सिंह ने भी माना कि मंदिर की सुरक्षा में कहीं न कहीं चूक हुई. अब तक महाबोधि मंदिर परिसर की सुरक्षा का जिम्मा इसी समिति के पास था.
आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए धमाकों के करीब 12 घंटे बाद ही महाबोधि मंदिर में दोबारा अमन का संदेश गूंज उठा. शाम को परंपरा के मुताबिक मंदिर में पूजा हुई जिसमें बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुक शामिल हुए. शाम की पूजा में बौद्ध भिक्षुओं ने विश्व शांति के लिए प्रार्थना की.


 

उत्तराखंड की आपदा में 4045 लोग लापता

 मंगलवार, 9 जुलाई, 2013 को 01:08 IST तक के समाचार

उत्तराखंड
उत्तराखंड में लापता लोगों के बारे में अभी भी पुख़्ता जानकारी नहीं है.
उत्तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन से हुई भीषण तबाही में मरने वालों की संख्या 4045 से ऊपर जा सकती है. इस आपदा की विभीषिका को देखकर लगातार इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि इसमें कई हज़ार लोगों की मौत हुई होगी और सोमवार को जब सरकार ने मान लिया कि 4045 लोग अब भी लापता हैं तो इस बात की लगभग पुष्टि हो गई है.
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने देहरादून में एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि राज्य सरकार ने लापता लोगों की एक लगभग फ़ाइनल सूची बना ली है. 15 जुलाई के बाद लापता लोगों को मृतक मानकर उनके परिजनों को मुआवज़ा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
बहुगुणा के मुताबिक़ दूसरे राज्यों से जो सूची आई थी उससे मिलान करने के बाद और दोहराव की छानबीन के बाद ये सूची बनी है. उत्तर प्रदेश से आई सूची में अभी कुछ गड़बड़ है उसकी जांच कराई जा रही है.
दूसरे राज्यों को मुआवज़ा उन राज्यों के मुख्य सचिवों के ज़रिए दिया जाएगा.
हांलाकि अभी भी मारे गए, क्लिक करें लापता और अज्ञात शवों की संख्या को लेकर पसोपेश बना हुआ है और शायद इसकी वास्तविकता कभी पता भी नहीं चल पाए और सच आशंका और अंदाज़ के बीच ही झूलता रहे.

संशय बरक़रार

ध्यान देने की बात ये है कि सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग 580 लोगों के क्लिक करें मारे जाने की बात कह चुका है और बक़ौल पुलिस विभाग के क़रीब 150 अज्ञात शवों का सामूहिक दाह संस्कार किया जा चुका है.
उत्तराखंड
उत्तराखंड में लोगों की ज़िदगी धीरे-धीरे सामान्य हो रही है.
अभी ये स्पष्ट नहीं है कि क्या लापता लोगों की 4045 की कुल संख्या इन 580 लोगों के अलावा बताई जा रही है, 150 शव 580 की संख्या का हिस्सा हैं या 4045 का और ये भी स्पष्ट नहीं है कि क्या 4045 की इस संख्या में 580 की संख्या के भी कुछ लोग हो सकते हैं.
लापता बताए जा रहे 4045 लोगों में उत्तराखंड के 795 लोग हैं. इनमें से सबसे ज्यादा रुद्रप्रयाग में हैं जहां 600 से ज्यादा लोगों का पता नहीं चल पा रहा है. इनमें 57 राज्य सरकार के कर्मचारी भी हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आपदा से हुई क्लिक करें क्षति का आकलन जल्द ही किया जाएगा. इसके आधार पर भारत सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी. बाढ़ नियंत्रण के लिए केंद्र से 500 करोड़ का पैकेज भी मांगा जाएगा.
इस बीच केदारनाथ में पिछले पांच दिनों से फंसा 75 सदस्यीय राहत दल अभी भी काफ़ी मुश्किल में है.
उत्तराखंड
उत्तराखंड में पर्यटन उद्योग को काफ़ी नुक़सान पहुंचा है.
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के मुताबिक़ वायुसेना के सबसे बड़े हरक्यूलिज विमान ने केदारनाथ में काम कर रहे दल के लिए रसद पंहुचाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रही. मौसम ख़राब है और विजिबिलिटी बहुत लो है.
उनके मुताबिक़ सेना से पैदल रास्ता निकालने का अनुरोध किया गया है.
जानकार पर्वतारोहियों के साथ एक छोटा दल भी रास्ता बनाता हुआ केदारनाथ को रवाना हो गया है. लेकिन इसके वहां तक पहुंचने की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है.
सरकार ने ऐलान किया है कि गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए यात्रा सितंबर के अंत में बहाल कर दी जाएगी.
उत्तराखंड में अभी भी कई इलाक़ों में भारी बारिश हो रही है और अलकनंदा, मंदाकिनी और काली नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
पिथौरागढ़ और धारचूला के कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन और मलबा आने की ख़बरें मिल रही हैं जिससे रास्ते बंद हो गए हैं और आम जीवन अस्त व्यस्त है.

 

 

 

 

चीन: भ्रष्टाचारी पूर्व रेल मंत्री को सज़ा ए मौत

 सोमवार, 8 जुलाई, 2013 को 17:28 IST तक के समाचार

चीन
लियु झिजुन 2011 में मंत्री के पद से बर्खास्त कर दिए गए थे.
चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक़ एक अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लियु झिजुन को भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का दोषी करार देते हुए निलंबित मौत की सजा सुनाई है.
क्लिक करें लियो झिजुन पर पिछले 25 वर्षों के दौरान एक करोड़ डॉलर की रिश्वत लेने के आरोप थे.
अभियोजन पक्ष का कहना है कि उन्होंने रिश्वत लेकर सरकारी रेल सेवा के ठेके बांटे.
इस साल की शुरुआत में शी जिनपिंग के सत्ता संभालने के बाद लियु कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता हैं जिन्हें भ्रष्टाचार के लिए दंडित किया गया है.
सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व संभालते समय शी ने वादा किया था कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष पर बैठे 'बाघों' से लेकर नीचे वाली 'मक्खियों' तक, सबसे निपट जाएगा.
कभी बेहद शक्तिशाली रहे क्लिक करें चीन के रेल मंत्रालय को मार्च में खत्म कर दिया गया.
सुरक्षा संबंधी कई गड़बड़ियों पर रेल विभाग को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा सरकारी ऑडिट में विभाग में भ्रष्टाचार के मामले उजागर हुए.

उम्रकैद मुमकिन

चीन
हाल के वर्षों में चीन में तेज गति से चलने वाले रेल नेटवर्क का काफी विस्तार हुआ है.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' के अनुसार लियु को सोमवार को राजधानी बीजिंग की एक अदालत ने क्लिक करें दोषी करार दिया.
मौत की सज़ा सुनाए जाने के बावजूद लियु को मृत्युदंड ना दिए जाने की संभावना है. आम तौर पर चीन में निलंबित मौत की सज़ा उम्रक़ैद में तब्दील हो जाती है.
गबन के आरोप लगने के बाद लियु को पिछले साल मई महीने में ही कम्युनिस्ट पार्टी से निलंबित कर दिया गया था.
लियु पर आरोप था कि उन्होंने रिश्वत लेकर 11 लोगों को रेलवे परियोजनाओं से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने में मदद की.
उन्हें 2003 में चीन का रेल मंत्री बनाया गया था. उनके कार्यकाल में चीन के रेल नेटवर्क का विस्तार किया गया जिसमें अरबों डॉलर का निवेश हुआ.
चीन में दुनिया का सबसे बड़ा तेज़ रफ्तार रेल नेटवर्क है. लेकिन उसकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठते रहे हैं. हाल के वर्षों में चीन में कई रेल हादसे हुए हैं. ऐसे ही एक हादसे में दो साल पहले 40 लोग मारे गए थे जिसके बाद रेल विभाग की ख़ासी आलोचना हुई थी.


 

 

'26 हज़ार अमरीकी सैनिक यौन शोषण के शिकार'

 सोमवार, 8 जुलाई, 2013 को 22:59 IST तक के समाचार

जेरेमिया एरबोगैस्ट
पूर्व मरीन जेरेमिया ने अपने अनुभवों को बीबीसी के साथ शेयर किया.
अमरीकी रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार साल 2012 में लगभग 26 हज़ार अमरीकी सैनिक जिनमें महिला और पुरूष दोनों शामिल हैं, वे किसी न किसी प्रकार से सेना के भीतर ही यौन शोषण के शिकार बने हैं.
सेना में बढ़ती यौन हिंसा के विरोध में अभियान चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अमरीकी रक्षा मंत्रालय के ज़रिए जारी किए गए ताज़े आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि ये समस्या कितनी गंभीर है और इससे इस बात की भी जानकारी मिलती है कि सेना में यौन शोषण के शिकार निचले स्तर के सैनिक और अधिकारी अपने सैन्य अधिकारियों को इसकी जांच कराने के लिए भी नहीं कह पाते हैं.
सेना के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार साल 2012 में केवल 3,374 मामलों को दर्ज किया गया था जिनमें केवल 302 मामलों में ही दोषियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाया जा सका और वो भी जिनमें पीड़ितों ने केस का लगातार फ़ॉलो अप करते रहे.
हालाकि जब भी सेना में यौन शोषण की बात होती है तो सारा ध्यान महिलाओं के यौन शोषण की ओर केंद्रित हो जाता है लेकिन सेना में उनकी हिस्सेदारी केवल 15 फ़ीसदी है जबकि रक्षा मंत्रालय की इस ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार हज़ारों पुरूष सैनिक भी यौन शोषण के शिकार होते हैं.

जेरेमिया एरबोगैस्ट

अमरीकी सेना
अमरीकी सेना में 15 फ़ीसदी महिलाएं हैं.
अमरीका के पूर्व मरीन जेरेमिया एरबोगैस्ट एक अमरीकी सैन्य अड्डे पर यौन शोषण के शिकार हुए थे और एक सार्जेंट ने उनका बलात्कार किया था.
मरीन जेरेमिया एरबोगैस्ट ने बीबीसी से बातचीत के दौरान अपने उन अनुभवों का ज़िक्र किया कि किस तरह से उनका यौन शोषण किया गया था और इसका उनके जीवन पर क्या असर पड़ा था.
जेरेमिया ने 2006 में अमरीकी मरीन से रिटायरमेंट ली थी लेकिन उसके बाद भी वो सेना के भीतर उनके साथ किए गए यौन शोषण की मांसिक पीड़ा से ऊबर नहीं पाए.
बीबीसी से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि साल 2009 उनका सब ख़राब दिन था जब उन्हें अक्सर लगता था कि वो दूसरों पर एक बोझ हैं.
लेकिन फिर उन्हें हिम्मत मिली और अब उन्हें लगता है कि वो इस ज़िंदगी से लड़ाई करते रहेंगे.
जेरेमिया के अनुसार अब उनका केवल एक ही सपना है कि अमरीकी सेना में मौजूद ऐसे लोगों का पर्दाफ़ाश किया जाए जो कि मासूम लोगों की ज़िदगी बर्बाद करते हैं.


 

FOOD SECURITY BILL 2013 INDIA

India launches huge cheap food programme ahead of election


A woman winnows wheat crop at a wholesale grain market near the Indian city of Ahmedabad on 7 May 2013  
The scheme aims to combat hunger, but has been called impractical and unaffordable



The Indian government has launched a giant programme to provide subsidised food to two-thirds of the population.
The food security ordinance will provide 5kg of cheap grain every month to nearly 800 million poor people. 

Ministers were criticised for passing the measure as an ordinance, after failing to win parliamentary support.
Critics say the plan is a political move to win votes and will drain India's finances. Supporters say it will help reduce poverty.

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“Start Quote

Despite robust economic growth and rising incomes, India remains a hungry republic”
"The union cabinet has approved the food security ordinance unanimously," Food Minister KV Thomas told reporters after the cabinet meeting.
He said the measure would be sent to India's president for approval later on Wednesday, meaning it will come into law immediately. But it must eventually be ratified by parliament.
Malnutrition The ambitious National Food Security Bill is being called one of the world's largest welfare schemes.
It was an election promise made by the ruling Congress party and, correspondents say, its implementation will help the party in general elections due next year.
But the scheme is intended to combat hunger - despite impressive economic growth in recent years, India still struggles to feed its population. It has more malnourished children than any other country in the world. 

The bill proposes to provide a kilo of rice at three rupees (six cents; four pence), wheat at two rupees and millet at one rupee.
The measure will apply to 75% of Indians living in rural areas and 50% of the urban population, the BBC's Sanjoy Majumder in Delhi says.

Supporters say it will go a long way in reducing poverty, especially in parts of the country which are worse off than sub-Saharan Africa, our correspondent reports.
But there are many economists who question how India can fund the expensive scheme, which will see the country's annual food subsidy bill double to more than 1.3 trillion rupees ($23.9bn; £15.8bn). The government insists money will not be a problem.
Opponents of the scheme also criticise the method of delivering the food - via India's notoriously corrupt and inefficient state-owned cheap food ration shops.
Many politicians criticised the move to push through the bill as an ordinance rather than putting it to a vote by MPs.
The government says it made several efforts to make sure the bill was discussed, but it was not debated amid disruption in parliament.
The ordinance will be put before parliament to be ratified within six weeks of its first sitting, the government says. Last month, the government said a special session could be called to pass it into law.

 









Army ousts Egypt's President Morsi





General Abdul Fattah al-Sisi makes the televised announcement




Egypt's army has removed President Mohammed Morsi from power, suspended the constitution and pledged new elections following mass protests.
The army chief announced the move in a TV address. The head of the constitutional court is expected to be sworn in as interim leader on Thursday.
Mr Morsi's supporters denounced the move as a military coup and said he was being held in detention.
His opponents celebrated through the night in Cairo's Tahrir Square.
But officials from Mr Morsi's Muslim Brotherhood said its main rally in Cairo had come under attack by armed assailants and there were reports of deadly clashes elsewhere.
US President Barack Obama said he was "deeply concerned" by the latest turn of events and called for a swift return to civilian rule.
'Military coup' The military moved quickly after the TV address by army chief Gen Abdul Fattah al-Sisi, who said Mr Morsi, Egypt's first freely elected president, had "failed to meet the demands of the Egyptian people".

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Analysis

The military's move against the Muslim Brotherhood was well planned. Intervention must have been in the mind of the army chief, Gen Sisi, for some time. Muslim Brotherhood activists were arrested. Islamist TV stations were taken off the air.
In the elections that followed the Arab uprisings of 2011, the Egyptian Muslim Brotherhood, and its offshoots across the region, did extremely well. That was because it was well organised, with a reputation for honesty, and took advantage of the failure of secular parties to organise themselves.
But now the Egyptian army has inflicted a serious blow on the Muslim Brotherhood. One question is whether the Brotherhood will be forced back underground, as it was when it was banned in the years before 2011.
The Brotherhood foreswore violence many years ago. But there are jihadist groups in Egypt that have not. The army has calculated it can handle any trouble. But it is playing for high stakes - the future of Egypt.

Military vehicles were seen fanning out across the capital.
Muslim Brotherhood media spokesman Gehad el-Haddad told the BBC that Mr Morsi had been put under house arrest and the "entire presidential team" was in detention.
Mr Haddad's father, senior Morsi aide Essam el-Haddad, and Saad al-Katatni, head of the Brotherhood's political wing, were among those held.
State-run al-Ahram newspaper reported that arrest warrants had been issued for 300 leaders and members of the Muslim Brotherhood.
TV stations belonging to the Brotherhood went off air at the end of Gen Sisi's speech and state news agency Mena said managers at the movement's Misr25 channel had been arrested.
Mr Haddad said a crowd of some 2,000 Morsi supporters had been shot at by men in civilian dress with machine guns at the main Brotherhood rally.
A notice on Mr Morsi's Facebook page denounced the army for its "military coup".
The statement asked Egyptian citizens - both civilians and military - to "abide by the constitution and the law and not to respond to this coup".
But a number of clashes were reported in several Egyptian cities. At least 10 people were said to have been killed in the coastal cities of Alexandria and Marsa Matrouh, as well as in the southern city of Minya.
In Tahrir Square, thousands of anti-Morsi protesters celebrated with fireworks and honking car horns.
One protester, Omar Sherif, told Agence France-Presse: "It's a new historical moment. We got rid of Morsi and the Muslim Brotherhood."
'Roadmap' The army's move to depose the president followed four days of mass street demonstrations against Mr Morsi and an ultimatum issued by the military which expired on Wednesday afternoon.
Gen Sisi said in his speech that the armed forces could not stay silent and blind to the call of the Egyptian masses.



Muslim Brotherhood spokesman Gehad el-Haddad says the pro-Morsi camp in Cairo has been attacked


He spoke of a new roadmap for the future, and said that the chief justice of the Supreme Constitutional Court, Adli Mansour, would be given the task of "running the country's affairs during the transitional period until the election of a new president".
He is scheduled to be sworn in as head of state at 10:00 (08:00 GMT).
After Gen Sisi's address, both Pope Tawadros II - the head of the Coptic Church - and leading opposition figure Mohammed ElBaradei made short televised speeches about the new roadmap for Egypt's future which they had agreed with the army.
Mr ElBaradei said the roadmap aimed for national reconciliation and represented a fresh start to the January 2011 revolution.
"This roadmap has been drafted by honourable people who seek the interests, first and foremost, of the country," added Pope Tawadros.
Opposition leader and former Arab League chief Amr Moussa told AFP news agency that consultations for a government and reconciliation "will start from now".
Reacting to the army announcement, President Obama said he hoped to see a quick restoration of a democratically elected government in Egypt.
He ordered a review of US foreign aid to Egypt which by US law must be suspended in the event an elected leader is deposed by a military coup.
UN Secretary-General Ban Ki-moon also voiced his concern, appealing for calm and restraint in Egypt.
Sinking economy Mr Morsi became Egypt's first Islamist president on 30 June 2012, after winning an election considered free and fair following the 2011 revolution that toppled Hosni Mubarak.

“Start Quote

The fact is the Obama administration won't be tremendously disappointed by what has happened”

However his term in office was marred by constant political unrest and a sinking economy.
The mass protests at the weekend that led to the army's intervention were called by the Tamarod (Rebel) movement, in response to worsening social and economic conditions.
But there has been a growing sense of discontent since last November, when Mr Morsi issued a controversial constitutional declaration granting himself extensive powers.
His moves to entrench Islamic laws and concentrate power in the hands of the Muslim Brotherhood also alienated liberals and secularists









मिस्र: सेना ने मुर्सी से सत्ता छीनी, संविधान निलंबित


 गुरुवार, 4 जुलाई, 2013 को 07:07 IST तक के समाचार



मिस्र की सेना के प्रमुख ने देश का संविधान निलंबित कर राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को पद से हटा दिया है. जनरल अल-सीसी ने घोषणा की है कि देश के राष्ट्रपति की शक्तियां अब मुख्य न्यायाधीश के पास होंगी.
राष्ट्रीय टेलीविज़न पर जारी अपने संदेश में जनरल अब्देल फ़तह अल-सीसी ने कहा कि नए राष्ट्रपति के चुनाव होने तक अंतरिम सरकार का काम मुख्य न्यायाधीश संभालेंगें.

मिस्र के राजनीतिक संकट के समाधान के लिए राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी और विपक्ष को दी गई समय सीमा ख़त्म होने के बाद राजधानी काहिरा के कई इलाक़ों में सेना के टैंक तैनात हो गए हैं. सेना सड़कों पर गश्त लगा रही है.
इसबीच अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि वह ताज़ा घटनाक्रम को लेकर "बेहद चिंचित" हैं और उन्होंने जल्द से जल्द नागरिक शासन बहाल करने की उम्मीद जताई है.
ओबामा ने मिस्र को मिलने वाली अमरीकी सहायता की समीक्षा करने के लिए भी कहा है. अमरीकी क़ानून के मुताबिक़ जनता के ज़रिए चुने गए नेता को सेना के ज़रिए अपदस्थ करने की स्थिति में मिस्र को मिलने वाली अमरीकी सहायता रोक दी जाती है.
क्लिक करें तस्वीरों में देखिए: मिस्र में सैन्य तख्ता पलट
सत्तारूढ़ मुस्लिम ब्रदरहुड ने सेना के क़दम को तख्तापलट की संज्ञा दी है. अपने फ़ेसबुक पेज पर मोहम्मद मुर्सी ने सेना के कदम को तख्तापलट करार दिया है. उनके समर्थकों और पार्टी सहयोगियों ने जनता के विरोध के सामने झुकने से इनकार कर दिया है.

इस बीच सेना ने टैंक और बख़्तरबंद गाड़ियां उन इलाकों में लगाई हैं जहां राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थक इकट्ठे हैं. उधर, दसियों हज़ार मुर्सी विरोधी तहरीर चौक पर जश्न मना रहे हैं.
दूसरी ओर पूरे मिस्र में सरकार और विपक्ष के समर्थकों द्वारा जारी प्रदर्शनों के दौरान रात भर झड़पें जारी रहीं. काहिरा विश्वविद्यालय में हुए प्रदर्शन में कम से कम 16 मुर्सी समर्थकों के मारे जाने की ख़बर है.
इससे पहले सेना ने चेतावनी दी थी कि मुर्सी को 'लोगों की माँगें माननी चाहिए' या फिर सैन्य हस्तक्षेप के लिए तैयार रहें. मुर्सी ने वो चेतावनी ख़ारिज कर दी. सेना की ओर से दी जाने वाली मियाद दो बजकर तीस मिनट पर समाप्त हो गई.
मुर्सी ने एक बार फिर दोहराया कि वह इस्तीफ़ा नहीं देंगे लेकिन काहिरा में उनकी मौजूदगी को लेकर अलग-अलग ख़बरें हैं. मुर्सी के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर सेना की कार्रवाई को तख्तापलट बताया है

egypt army
अपुष्ट ख़बरों के मुताबिक मिस्र के अफ़सरों ने राष्ट्रपति मुर्सी और मुस्लिम ब्रदरहुड के वरिष्ठ नेताओं के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है. इस बीच अमरीका ने कहा है कि वह मिस्र के हालात को लेकर काफ़ी चिंतित है.

रोडमैप का एलान जल्द

राष्ट्रीय टेलीविज़न ने ख़बर दी है कि सेना के राजनीतिक रोडमैप का एलान अल-अज़हर विश्वविद्यालय के शेख करेंगे. उनके साथ इस एलान के दौरान कॉप्टिक चर्च के प्रमुख और विपक्षी नेता मोहम्मद अल बारादेई भी होंगे. अल-अज़हर को मिस्र का सबसे ज़्यादा प्रतिष्ठित इस्लामी संस्थान माना जाता है.
ख़बरें हैं कि तीनों की फ़ौजी नेताओं से बातचीत चल रही है. राष्ट्रीय समाचार एजेंसी ने स्थानीय मीडिया की उन ख़बरों की पुष्टि की है जिसमें योजना के तहत नए राष्ट्रपति और संसद के चुनाव से पहले कुछ वक़्त तक संक्रमण का वक़्त रहने की बात कही गई है.

इस्लामी एजेंडा थोपने का आरोप


राष्ट्रपति मुर्सी के विरोधियों का कहना है कि वह और उनकी मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी देश पर एक इस्लामी एजेंडा थोप रहे हैं. इसलिए उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.
राष्ट्रपति मुर्सी ने मंगलवार रात टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा कि वह पारदर्शी तरीके से निष्पक्ष चुनाव के ज़रिए देश के राष्ट्रपति चुने गए हैं और वह मरते दम तक अपने संवैधानिक पद की रक्षा करेंगे.
राष्ट्रपति मुर्सी के भाषण के बाद सेना की ओर से सामाजिक मीडिया वेबसाइट फेसबुक पर एक संदेश 'फाइनल ओवर यानी अंतिम घंटे' प्रकाशित किया गया.

morsi
मंगलवार को जारी एक बयान में सेना ने संकल्प लिया कि "हम अल्लाह की क़सम खाते हैं कि हम किसी आतंकवादी, चरमपंथी या मूर्ख से मिस्र और उसके लोगों को बचाने के लिए अपना ख़ून भी बहा देंगे."
महत्वपूर्ण है कि विपक्षी आंदोलन तमारुद यानी विद्रोही ने सोमवार को अल्टीमेटम जारी किया था कि अगर राष्ट्रपति मुर्सी स्थानीय समय के अनुसार मंगलवार की शाम पांच बजे तक सत्ता से अलग नहीं हुए तो उनके खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया जाएगा.







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