केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, तेजाब से जिंदगियां हो रहीं तबाह
नई दिल्ली/इंटरनेट डेस्क | अंतिम अपडेट 9 जुलाई 2013 1:12 PM IST पर
देशभर
में लड़कियों और महिलाओं पर होने वाले तेजाबी हमलों को रोकने में नाकाम
रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
तेजाबी हमले की शिकार एक पीड़िता की जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि तेजाबी हमलों से जिंदगियां तबाह हो रही हैं, लोग मर रहे हैं। हर रोज एक या एक से अधिक ऐसी घटनाएं हो रही हैं। महिलाओं को इससे होने वाली तकलीफ को समझने की जरूरत है। सरकार को इस मसले पर गंभीर होने की जरूरत है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को बाजार में आसानी से उपलब्ध तेजाब की ब्रिकी के लिए नई नीति पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो कोर्ट स्वयं इसके लिए आदेश जारी करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि वह सभी राज्य सरकारों से मिलकर एक बैठक करेगी, जिसमें तेजाब की खुले बाजार में बिक्री को लेकर नए दिशा निर्देश बनाए जाएंगे। लेकिन इस बात के दो माह और तीन सप्ताह बीत चुके हैं।
कोर्ट ने कहा कि मुंबई जैसे शहर में एक लड़की की मौत तेजाबी हमले की वजह से हो जाती है ऐसे में कोई कैसे आंखें मूद सकता है? क्या इस समस्या से निपटना केंद्र और राज्यों सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है?
तेजाबी हमले की शिकार एक पीड़िता की जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि तेजाबी हमलों से जिंदगियां तबाह हो रही हैं, लोग मर रहे हैं। हर रोज एक या एक से अधिक ऐसी घटनाएं हो रही हैं। महिलाओं को इससे होने वाली तकलीफ को समझने की जरूरत है। सरकार को इस मसले पर गंभीर होने की जरूरत है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को बाजार में आसानी से उपलब्ध तेजाब की ब्रिकी के लिए नई नीति पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो कोर्ट स्वयं इसके लिए आदेश जारी करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि वह सभी राज्य सरकारों से मिलकर एक बैठक करेगी, जिसमें तेजाब की खुले बाजार में बिक्री को लेकर नए दिशा निर्देश बनाए जाएंगे। लेकिन इस बात के दो माह और तीन सप्ताह बीत चुके हैं।
कोर्ट ने कहा कि मुंबई जैसे शहर में एक लड़की की मौत तेजाबी हमले की वजह से हो जाती है ऐसे में कोई कैसे आंखें मूद सकता है? क्या इस समस्या से निपटना केंद्र और राज्यों सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है?
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