Thursday, 18 June 2015

Emergency Advani : आडवाणी के इमरजेंसी वाले बयान का इशारा किधर? ... www.kosullaindia.com

Emergency Advani : आडवाणी के इमरजेंसी वाले बयान का इशारा किधर? ...

  • 19 जून 2015
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है कि आडवाणी ये कहने में सही हैं कि इमरजेंसी की संभावना को नकारा नहीं जा सकता और साथ ही सवाल उठाया कि क्या दिल्ली उनका पहला प्रयोग है?
वहीं लालू प्रसाद यावद ने ट्विट पर कहा है कि अघोषित आपातकाल तो अभी से लागू है. उन्होंने लिखा, "14 मई से ही देश में हिटलर की प्रवृत्ति वाला शासन है लेकिन हमें इस पर जीत हासिल करने का अनुभव है."
दरअसल भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा है कि वो ये नहीं मानते कि भारत में दोबारा इमरजेंसी नहीं लगाई जाएगी.
उन्होंने कहा है, “राजनीतिक नेतृत्व में कमियों के कारण विश्वास नहीं होता. मैं ये नहीं कह सकता कि इमरजेंसी फिर नहीं लगेगी.”

केजरीवाल की जंग

दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के राज्यपाल नजीब जंग के बीच अधिकारों की नियुक्ति जैसे कई मसलों पर खींचतान चल रही है. केजरीवाल का आरोप है कि राज्यपाल केंद्र सरकार के कहे मुताबिक फैसले ले रहे हैं. हालांकि जंग इससे इनकार करते हैं.
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने के बावजूद आडवाणी का ये बयान आने पर प्रवक्ता एमजे अकबर ने  बातचीत में कहा कि ये वक्तव्य किसी एक नेता की ओर इशारा नहीं करता.
एमजे अकबर ने कहा, “आडवाणी जी ने किसी एक नेता की बात नहीं की है बल्कि सारी राजनीतिक व्यवस्था की बात की है. उन्होंने सभी राजनेताओं की ओर इशारा किया है, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कोई वातावरण है या इमरजेंसी लगाए जाने का कोई ख़तरा है.”

'प्रधानमंत्री के पास सारी ताकत'

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आडवाणी ने इमरजेंसी को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का अपराध बताया और कहा कि संविधान में निहित रोकथाम के बावजूद इमरजेंसी लगा दी गई.
उन्होंने कहा, “इस वक्त, 2015 में भारत में ऐसी व्यवस्था भी नहीं है.”
वहीं कांग्रेस नेता टॉम वड्डकन ने कहा, "सरकार में सारी ताकत प्रधानमंत्री के पास चली गई है, सारे फैसले वही लेते हैं, संसद के पास आने की जगह, ऑर्डिनेंस का रास्ता लिया जाता है, ये सब लक्षण हैं आने वाले दिनों के बुरे वक़्त के, और आडवाणी जी इन्हीं की ओर इशारा कर रहे थे."
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि एक वरिष्ठ नेता होने के तौर पर आडवाणी की चिंता पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “लालकृष्ण आडवाणी देश के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, अगर उनकी चिंता है तो सबको उस पर ध्यान देने की ज़रूरत है. हम लोग तो झेल (आपातकाल) रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी के अंदर स्थिति बहुत ख़राब हो चुकी है.”

'हिटलर से सबक'

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नीतीश कुमार ने कहा, “केंद्र सरकार चाहे मानवीय आधार कह कर जितना भी पल्ला झाड़ना चाहे, सत्ता में आते ही जिस तरह से फ़ेवरेटिज्म का सिलसिला शुरू हुआ वह जनता की नज़रों में पूरी तरह से साफ़ है.’’
25 जून को भारत में इमरजेंसी लगाए जाने के 40 वर्ष पूरे हो जाएंगे. इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा, “जैसे जर्मनी में हुआ था, जहां हिटलर के शासन के बाद, वहां का सिस्टम तानाशाही प्रवृत्तियों के प्रति सचेत हो गया था, जिसकी वजह से आज का जर्मनी लोकतांत्रिक आदर्शों पर और सतर्क हो गया है, शायद ब्रिटेन से भी ज़्यादा.”
पिछले साल लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया था और दोनों नेताओं को पांच सदस्यीय मार्गदर्शक मंडल में जगह दी गई.

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