J&K में फिर फहराए गए पाक झंडे, गिलानी ने दी अमरनाथ यात्रा पर Indian Gov को चेतावनी
2 May 2015
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के त्राल में शुक्रवार को अलगाववादी
नेता सैयद अली शाह गिलानी की रैली में एक बार फिर पाकिस्तानी झंडे फहराए
गए। गिलानी ने राज्य की मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार को चेतावनी दी कि अमरनाथ
यात्रा एक महीने से ज्यादा वक्त नहीं चलनी चाहिए। बता दें कि इससे पहले,
श्रीनगर में हुई एक रैली में अलगाववादी नेता मसरत आलम ने पाकिस्तानी झंडा
फहराया, जिसके बाद काफी विवाद हुआ। इस रैली में गिलानी भी शामिल हुआ था। इस
मामले में मसरत जेल में है और उस पर देशद्रोह का मामला भी दर्ज हुआ है।
पुलिस को चकमा देकर त्राल पहुंचा गिलानी
हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े का नेता सैयद अली शाह गिलानी पुलिस को
चकमा देकर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल पहुंचा था। वह यहां जुमे
की नमाज में हिस्सा लेने आया थ। पुलिस को इस बात की खबर थी कि गिलानी
त्राल जा सकता है। इस वजह से एक पुलिस पार्टी शुक्रवार सुबह हैदरपोरा स्थित
अलगाववादी नेता के घर पहुंची। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता अयाज अकबर
ने बताया कि हम जानते थे कि पुलिस गिलानी को फिर नजरबंद करने आएगी। लेकिन
गिलानी इससे पहले ही त्राल चला गया।
त्राल ही क्यों गया गिलानी?
त्राल के कमल फॉरेस्ट एरिया में दो युवकों की 13 अप्रैल को मुठभेड़
में मौत हुई थी। स्थानीय लोगों और अलगाववादी नेताओं का दावा है कि यह फर्जी
मुठभेड़ है। गिलानी इस कथित फर्जी मुठभेड़ के बाद पिछले एक पखवाड़े में कई
बार त्राल जाने की कोशिश कर चुका है। लेकिन हर बार पुलिस ने उसकी कोशिशें
नाकाम कर दी थीं। 15 अप्रैल से पुलिस ने उसे नजरबंद कर रखा था। इस बार वह
पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। गिलानी ने सात साल बाद कश्मीर घाटी में
जुमे की नमाज के बाद किसी जमावड़े को संबोधित किया।
अपने आकाओं को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं अलगाववादी : नकवी
कश्मीर में फिर पाकिस्तानी झंडे नजर आने के बाद केंद्रीय मंत्री
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा- ये अलगाववादी अपने आकाओं को खुश करने के लिए
ऐसी हरकतें कर रहे हैं। इन्हें निराशा हाथ लगेगी। अलगाववादियों को समझना
होगा कि यह देश कभी तालिबानी विचारधारा से नहीं चलेगा। यह देश विकास के
एजेंडे पर आगे बढ़ेगा। देश और जम्मू कश्मीर की जनता अमन चाहती है।
2008 में भी अमरनाथ यात्रा काे लेकर हो चुका है टकराव
अमरनाथ यात्रा इस वर्ष 2 जुलाई से शुरू होनी है। यह 29 अगस्त तक
चलेगी। करीब दो महीने चलने वाली अमरनाथ यात्रा को लेकर 2008 में भी विवाद
हो चुका है। तब जम्मू कश्मीर सरकार ने 800 कनाल वन भूमि श्री अमरनाथ श्राइन
बोर्ड को सौंपने का फैसला किया था। लेकिन इसके विरोध में अलगाववादियों ने
कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिए। जवाब में जम्मू में श्री अमरनाथ
यात्रा संघर्ष समिति ने प्रदर्शन शुरू किए। कई जिलों में लंबे समय तक
कर्फ्यू रहा। कई लोगों की मौत हुई। सेना बुलाई गई। दो महीने तक राज्य में
अशांति के बाद सरकार और संघर्ष समिति के बीच सहमति बनी। 40 हेक्टेयर जमीन
श्राइन बोर्ड को दी गई।
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