#Medicine #Sugar: शुगर की प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि विजयासर या देशी नाम चिलबिल को मिला पेटेंट ::: विजयासर को डायबिटिज की किसी भी एलोपैथी दवा के साथ भी ले सकते हैं
नई दिल्ली, 1 may 2015शुगर| आयुर्वेदिक औषधि| पेटेंट| शुगर नियंत्रण| प्राचीन औषधि विजयासर| डायबिटिज टू |
शुगर नियंत्रण के लिए आयुर्वेद भी कारगर है। प्राचीन औषधि विजयासर को खून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में कारगर माना गया है। डायबिटिज टू के शिकार लोगों पर किए सफल अध्ययन के बाद दो कंपनियों को इसके निर्माण का पेटेंट जारी किया गया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से जम्मू स्थित आरआर लैबोरेटरी में किए गए शोध के बाद औषधि को लोगों तक पहुंचाया जाएगा। शुगर नियंत्रण के लिए विजयासर या देशी नाम चिलबिल को कारगर माना जाता है।
पहले चरण में टाइप टू डायबिटिज के शिकार एक हजार मरीजों पर इसके परिणाम सफल देखे गए है। औषधि को पचास ग्राम पानी के साथ सूखे रूप में सुबह शाम दस से बीच ग्राम मात्रा में मरीजों को दिया गया। वर्ष 2011 से 2013 तक किए गए अध्ययन में देखा गया कि शुगर नियंत्रण की एलोपैथी दवाओं के साथ भी औषधि का इस्तेमाल कारगर देखा गया। हाइपर-ग्लाइसीमिया या फिर सामान्य से अधिक शुगर की स्थिति में औषधि की मात्रा बढ़ाई गई, जिससे दो से तीन दिन के अंदर शुगर स्तर सामान्य देखा गया। ऑल इंडिया इंस्टीटय़ूट ऑफ आयुर्वेद के निदेशक प्रो. अभिमन्यु कुमार ने बताया कि प्री डायबिटिक अवस्था में औषधि का इस्तेमाल किया जा सकता है, इस लिहाज से इसे एंटी डायबिटिज दवा भी कहा जा सकता है। मालूम हो कि पेटेंट संख्या (192163) और (194292) के बाद औषधि के व्यवसायीकरण की औपचारिकता शुरू कर दी गई है।
दो तरह से होगी कारगर
विजयासर को डायबिटिज की किसी भी एलोपैथी दवा के साथ भी ले सकते हैं, इससे दवाओं की मात्रा घटाई जा सकेगी। जबकि आयुर्वेदिक दवा लेने के लिए मरीज को कोई परेहज नहीं करना होगा
प्री डायबिटिक लोगों को डायबिटिज होने से पहले ही औषधि को दिया जा सकता है। आयुर्वेदाचार्य कहते हैं कि इसे प्री डायबिटिज दवा माना गया है। जिससे डायबिटिज होने से पहले ही बचा जा सकता है।
No comments:
Post a Comment