#NJAC : एनजेएसी पैनल में आने से दत्तू का इनकार
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) प्रकरण में आज उस समय एक नया
मोड़ आ गया, जब चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने आयोग के दो खास सदस्यों के चयन
वाले पैनल में शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी को चिट्ठी लिखकर यह जानकारी दी। इसमें उन्होंने बताया कि वह तब तक
पैनल का हिस्सा नहीं बनेंगे, जब तक आयोग को चुनौती देने वाली याचिका पर
सुनवाई कर रही संविधान पीठ फैसला नहीं लेती।
चीफ जस्टिस के इस फैसले से आयोग की कार्यवाही को जल्द से जल्द शुरू करने में जुटी नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों को झटका लगा है। मोदी सरकार हाईकोर्ट के अतिरिक्त जजों (जिनका कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है) की पुनर्नियुक्ति या विस्तार के मुद्दे पर 10 मई से पहले-पहले निर्णय लेना चाहती है। जस्टिस दत्तू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट आयोग मामले में कोई निर्णय नहीं सुनाती, तब तक वह पैनल की बैठक में शामिल नहीं होंगे। जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि पैनल का हिस्सा बनना चीफ जस्टिस के लिए ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि इस बैठक में चीफ जस्टिस के हिस्सा लेने के लिए निर्देश जारी किया जाए। पीठ ने हालांकि कहा कि ऐसा करना सही नहीं होगा। हरियाणा सरकार की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मामले पर 7-8 दिन सुनवाई होने दें, फिर पूरे मामले पर राय ली जा सकती है। आज हम एकदम प्रारंभिक चरण में हैं, ऐसे में स्थगन लगाना सही नहीं होगा।
जस्टिस खेहर ने कहा कि पीठ ने मामले में गुण-दोष के आधार पर सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है और यदि जरूरत महसूस हुई तो वह अंतरिम आदेश जारी करेगी।
पैनल करेगा दो खास सदस्यों की नियुक्ति
3 सदस्यीय पैनल जो 6 सदस्यीय न्यायिक आयोग में 2 मशहूर व्यक्तियों के चयन एवं उनकी नियुक्ति के लिए अधिकृत है, में चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता हैं।
6 सदस्यीय आयोग में कौन-कौन आयोग की अगुवाई चीफ जस्टिस करेंगे तथा दो वरिष्ठतम जज, दो मशहूर शख्स और कानून मंत्री इस उच्च स्तरीय पैनल के सदस्य होंगे।
न्यायिक निगरानी से सरकारी फैसले हो रहे बाधित : जेटली
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों की न्यायिक निगरानी से सरकार में निर्णय करने की प्रक्रिया बाधित हुई है। जेटली ने कहा कि न्यायिक निगरानी से जांच अधिकारियों पर केस तैयार करने का दबाव रहता है, जिससे अधिकारियों में खौफ है कि निर्णय करने के दौरान हुई मामूली गलतियां भी उन्हें जांच के दायरे में ला सकती हैं।
चीफ जस्टिस के इस फैसले से आयोग की कार्यवाही को जल्द से जल्द शुरू करने में जुटी नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों को झटका लगा है। मोदी सरकार हाईकोर्ट के अतिरिक्त जजों (जिनका कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है) की पुनर्नियुक्ति या विस्तार के मुद्दे पर 10 मई से पहले-पहले निर्णय लेना चाहती है। जस्टिस दत्तू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट आयोग मामले में कोई निर्णय नहीं सुनाती, तब तक वह पैनल की बैठक में शामिल नहीं होंगे। जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि पैनल का हिस्सा बनना चीफ जस्टिस के लिए ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि इस बैठक में चीफ जस्टिस के हिस्सा लेने के लिए निर्देश जारी किया जाए। पीठ ने हालांकि कहा कि ऐसा करना सही नहीं होगा। हरियाणा सरकार की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मामले पर 7-8 दिन सुनवाई होने दें, फिर पूरे मामले पर राय ली जा सकती है। आज हम एकदम प्रारंभिक चरण में हैं, ऐसे में स्थगन लगाना सही नहीं होगा।
जस्टिस खेहर ने कहा कि पीठ ने मामले में गुण-दोष के आधार पर सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है और यदि जरूरत महसूस हुई तो वह अंतरिम आदेश जारी करेगी।
पैनल करेगा दो खास सदस्यों की नियुक्ति
3 सदस्यीय पैनल जो 6 सदस्यीय न्यायिक आयोग में 2 मशहूर व्यक्तियों के चयन एवं उनकी नियुक्ति के लिए अधिकृत है, में चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता हैं।
6 सदस्यीय आयोग में कौन-कौन आयोग की अगुवाई चीफ जस्टिस करेंगे तथा दो वरिष्ठतम जज, दो मशहूर शख्स और कानून मंत्री इस उच्च स्तरीय पैनल के सदस्य होंगे।
न्यायिक निगरानी से सरकारी फैसले हो रहे बाधित : जेटली
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों की न्यायिक निगरानी से सरकार में निर्णय करने की प्रक्रिया बाधित हुई है। जेटली ने कहा कि न्यायिक निगरानी से जांच अधिकारियों पर केस तैयार करने का दबाव रहता है, जिससे अधिकारियों में खौफ है कि निर्णय करने के दौरान हुई मामूली गलतियां भी उन्हें जांच के दायरे में ला सकती हैं।
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