आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पर बैड लोन के मामले में सख्ती न करने का दबाव!
मुंबई
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के कथित बयानों को लेकर रहस्य का माहौल बन गया है। इन बयानों के मुताबिक, राजन ने कहा है कि उन पर इस बात का दबाव पड़ रहा है कि बैंकों के डूब सकने वाले कर्ज को नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट की कैटिगरी में न डाला जाए। वहीं एक अन्य कथित बयान के मुताबिक, राजन ने महंगाई के टारगेट को हर तीन साल पर रिव्यू करने के इंडियन फाइनैंशल कोड के प्रस्ताव की आलोचना की है।
दरअसल, राजन ने मुंबई में मेघनाद देसाई अकेडमी ऑफ इकनॉमिक्स का उद्घाटन किया था। अकेडमी ने अपने पब्लिक रिलेशंस कंसल्टेंट्स के जरिए गवर्नर के भाषण के दो वर्जन भिजवाए। इनमें से एक महंगाई, विदेशी मुद्रा भंडार और बैड लोन से जुड़ा था, तो दूसरे में इन तीनों बातों का जिक्र नहीं था।
पहली प्रेस रिलीज के मुताबिक, राजन ने कहा, 'जब मीडियम टर्म इनफ्लेशन टारगेट हो तो सभी को इसे आत्मसात करना चाहिए। लिहाजा महंगाई के टारगेट हर तीन साल पर नहीं बदले जाने चाहिए क्योंकि इसका अर्थ यह होगा कि जैसे ही लोग इसके असर को जज्ब करना शुरू करेंगे, टारगेट बदल जाएगा।'
अगर राजन ने यह बयान दिया है तो यह आईएफसी की सिफारिश के उलट है, जिसमें हर तीन साल पर इनफ्लेशन टारगेट रिव्यू करने की बात की गई है। दूसरी प्रेस रिलीज में इनफ्लेशन टारगेटिंग का जिक्र नहीं था।
राजन ने लोन चुकाने में डिफॉल्ट करने वालों के बारे में सख्त रवैया रखते हैं और बैंकिंग सिस्टम में इससे जुड़ी दिक्कत को खुले तौर पर स्वीकार करने में हिचकते नहीं हैं। प्रेस रिलीज के मुताबिक, राजन ने यह बात तो दोहराई ही, साथ में उन्होंने यह भी कहा कि उन पर ऐसी सख्ती न करने का बहुत दबाव पड़ रहा है।
पहली रिलीज में कहा गया, 'एनपीए डिक्लेयर करना मुख्य रूप से बही-खाते को साफ करने का मुद्दा है। मार्केट अच्छी तरह समझता है कि कौन सी चीज नॉन-परफॉर्मिंग है। फिर एनपीए को नजरंदाज करने से समस्या दूर नहीं होती, बस कुछ समय के लिए टल ही जाती है। इस समस्या को ठीक तरह से समझा नहीं जा रहा है।' हालांकि ये बातें भी दूसरी प्रेस रिलीज में गायब थीं।
इस बारे में पूछे जाने पर आरबीआई की प्रवक्ता ने कहा कि गवर्नर के भाषण की कॉपी आमतौर पर बैंक की वेबसाइट पर नहीं रखी जाती है। उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि पहली रिलीज में जो कुछ कहा गया, वह गवर्नर का बयान था या नहीं। उद्घाटन समारोह से मीडिया को दूर रखा गया था। आयोजन में बैंकरों, अर्थशास्त्रियों और निवेशकों की उपस्थिति थी। दोनों ही रिलीज कम्युनिक पीआर एंड मार्केटिंग ने जारी की थीं। ईटी मेघनाद देसाई से उनके मोबाइल पर संपर्क नहीं कर सका। समारोह में मौजूद दो लोगों ने इस मामले में कमेंट करने से मना कर दिया।
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के कथित बयानों को लेकर रहस्य का माहौल बन गया है। इन बयानों के मुताबिक, राजन ने कहा है कि उन पर इस बात का दबाव पड़ रहा है कि बैंकों के डूब सकने वाले कर्ज को नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट की कैटिगरी में न डाला जाए। वहीं एक अन्य कथित बयान के मुताबिक, राजन ने महंगाई के टारगेट को हर तीन साल पर रिव्यू करने के इंडियन फाइनैंशल कोड के प्रस्ताव की आलोचना की है।
दरअसल, राजन ने मुंबई में मेघनाद देसाई अकेडमी ऑफ इकनॉमिक्स का उद्घाटन किया था। अकेडमी ने अपने पब्लिक रिलेशंस कंसल्टेंट्स के जरिए गवर्नर के भाषण के दो वर्जन भिजवाए। इनमें से एक महंगाई, विदेशी मुद्रा भंडार और बैड लोन से जुड़ा था, तो दूसरे में इन तीनों बातों का जिक्र नहीं था।
पहली प्रेस रिलीज के मुताबिक, राजन ने कहा, 'जब मीडियम टर्म इनफ्लेशन टारगेट हो तो सभी को इसे आत्मसात करना चाहिए। लिहाजा महंगाई के टारगेट हर तीन साल पर नहीं बदले जाने चाहिए क्योंकि इसका अर्थ यह होगा कि जैसे ही लोग इसके असर को जज्ब करना शुरू करेंगे, टारगेट बदल जाएगा।'
अगर राजन ने यह बयान दिया है तो यह आईएफसी की सिफारिश के उलट है, जिसमें हर तीन साल पर इनफ्लेशन टारगेट रिव्यू करने की बात की गई है। दूसरी प्रेस रिलीज में इनफ्लेशन टारगेटिंग का जिक्र नहीं था।
राजन ने लोन चुकाने में डिफॉल्ट करने वालों के बारे में सख्त रवैया रखते हैं और बैंकिंग सिस्टम में इससे जुड़ी दिक्कत को खुले तौर पर स्वीकार करने में हिचकते नहीं हैं। प्रेस रिलीज के मुताबिक, राजन ने यह बात तो दोहराई ही, साथ में उन्होंने यह भी कहा कि उन पर ऐसी सख्ती न करने का बहुत दबाव पड़ रहा है।
पहली रिलीज में कहा गया, 'एनपीए डिक्लेयर करना मुख्य रूप से बही-खाते को साफ करने का मुद्दा है। मार्केट अच्छी तरह समझता है कि कौन सी चीज नॉन-परफॉर्मिंग है। फिर एनपीए को नजरंदाज करने से समस्या दूर नहीं होती, बस कुछ समय के लिए टल ही जाती है। इस समस्या को ठीक तरह से समझा नहीं जा रहा है।' हालांकि ये बातें भी दूसरी प्रेस रिलीज में गायब थीं।
इस बारे में पूछे जाने पर आरबीआई की प्रवक्ता ने कहा कि गवर्नर के भाषण की कॉपी आमतौर पर बैंक की वेबसाइट पर नहीं रखी जाती है। उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि पहली रिलीज में जो कुछ कहा गया, वह गवर्नर का बयान था या नहीं। उद्घाटन समारोह से मीडिया को दूर रखा गया था। आयोजन में बैंकरों, अर्थशास्त्रियों और निवेशकों की उपस्थिति थी। दोनों ही रिलीज कम्युनिक पीआर एंड मार्केटिंग ने जारी की थीं। ईटी मेघनाद देसाई से उनके मोबाइल पर संपर्क नहीं कर सका। समारोह में मौजूद दो लोगों ने इस मामले में कमेंट करने से मना कर दिया।
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