कलाम: सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि और आलोचना भी... #kalam भारतीय फ़ासीवादियों के पोस्टर बॉय!
दिवंगत राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की मृत्यु पर फ़ेसबुक पर प्रतिक्रियाएं.
उन्होंने डॉक्टर कलाम के साथ अपने बिताए क्षणों की तस्वीरें भी भेजीं. कुछ तस्वीरें, कुछ विचार.दक्षा वेदकर
मैं पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से दो बार मिली, 2010 और 2012 में. एक पत्रकार के रुप में मुझे उनका इंटरव्यू करना था. मुझे जो बात सबसे अच्छी लगी वह थी, डॉक्टर कलाम की वो सरलता और ज़मीन से जुड़ा होना. वो हर व्यक्ति से प्यार से मिल रहे थे. हर आदमी से मुस्कुरा कर बात कर रहे थे. हमारे दफ़्तर में उन्होंने चपरासी से भी हाथ मिलाया. सबको ऑटोग्राफ़ दिया. दुनिया में ऐसे इंसान कम होते हैं.शशांक विक्रम सिंह
ख़ाली कुर्सी वाली वह तस्वीर देख कर आंखें भर आईं.माधवेंद्र सिंह चौहान
मुझे भारत के पूर्व राष्ट्रपति से उनके घर मिलने का सौभाग्य एक महीने की मेहनत के बाद मिला. मैं 11 सितम्बर 2012 को जब उनसे मिलने उनके घर पहुंचा, मेरा मक़सद था, ग्रामीण भारत पर शुरू की गई मासिक पत्रिका की एक प्रति उन्हें सौंपना और उनका आशीर्वाद लेना. बातचीत के दौरान उन्होंने मासिक पत्रिका के बारे में पूछा, “यह कहां से प्रकाशित होती है?”मैंने बताया, दिल्ली से. उस पर उन्होंने कहा, “अगर सही में ग्रामीण भारत को कवर करना चाहते हो तो गांवों में जाओ, थोड़े पांव गंदे करो, तब आपको ग्रामीण जीवन की परेशानियों का असल में पता चलेगा. दिल्ली में रहकर ये पत्रकारिता नहीं हो पाएगी. उनकी वो बात मेरे दिल को छू गई. ग्रामीण विषयों की जितनी गहरी समझ उन्हें थी, अगर उसका कुछ अंश भी हमें मिल पाये तो जीवन धन्य हो जाए.
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