Tuesday 18 March 2014

क्राईमिया बना 'संप्रभु और स्वतंत्र देश' ::::काईमिया में यूक्रेन से अलग होकर रूस में मिलने के संबंध में

क्राईमिया बना 'संप्रभु और स्वतंत्र देश'

काईमिया में यूक्रेन से अलग होकर रूस में मिलने के संबंध में

 मंगलवार, 18 मार्च, 2014 को 01:05 IST तक के समाचार

क्राईमिया
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्राईमिया को "एक संप्रभु और स्वतंत्र राष्ट्र" के तौर पर मान्यता देने वाले आदेश पर दस्तख़त कर दिए हैं. यह ख़बर राष्ट्रपति भवन के सूत्रों के हवाले से आई है.
उनका कहना है, ''यह आदेश उसी दिन से प्रभावी हो गया है, जिस दिन इस पर दस्तख़त किए गए हैं.''
इससे पहले, यूरोपीय संघ और अमरीका ने यूक्रेन और रूस के 21 अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने और उनकी संपत्ति ज़ब्त करने का फ़ैसला सुनाया था.
यूरोपीय संघ ने यह फ़ैसला काईमिया में यूक्रेन से अलग होकर रूस में मिलने के संबंध में रविवार को कराए गए जनमत संग्रह के बाद लिया है. वोट देने वाले मतदाताओं में से 97 प्रतिशत ने रूस में शामिल होने के पक्ष में वोट दिया.
जिन अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनके नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि क्राईमिया में जनमत संग्रह कराने में इनकी महत्वपू्र्ण भूमिका रही है.
फ़रवरी के अंत से ही क्राईमिया रूस-समर्थक सैन्य बलों के नियंत्रण में है.
यूरोपीय संघ ने यह फ़ैसला ब्रसेल्स में संघ विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद लिया है.
लिथुएनिया के विदेश मंत्री लाइनस लिंकेविक ने ट्वीट करके कहा कि अगले कुछ दिनों में कुछ अन्य कड़े क़दम उठाए जा सकते हैं.
क्राईमिया की संसद ने यूक्रेन से स्वतंत्र होने की घोषणा करते हुए रूस में शामिल होने के लिए आधिकारिक रूप से आवदेन किया है.
यूक्रेन ने इस जनमत संग्रह के परिणाम को स्वीकार नहीं किया है.

रूस में शामिल होने की अर्ज़ी

क्राईमिया
जनमत संग्रह के बाद यूक्रेन के मुख्य चुनाव अधिकारी मिखाइल मैलिशेव ने बताया कि कुल 83 प्रतिशत जनता ने वोट दिया और वोट देने वालों में 97 प्रतिशत ने रूस में शामिल होने के समर्थन में मत दिया.
क्राईमिया के तातार समुदाय ने इस चुनाव का बहिष्कार किया. उनका कहना था कि रूस में शामिल होने के बाद उनका जीवन और ख़राब हो जाएगा. क्राईमिया में तातार समुदाय की जनसंख्या तक़रीबन 12 प्रतिशत है.
यूक्रेन, अमरीका और यूरोपीय संघ ने इस मतदान को यूक्रेन और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार अवैध माना है और चुनाव प्रक्रिया की आलोचना की है.
क्राईमिया प्रायद्वीप फ़रवरी के अंत से ही रूस समर्थक सुरक्षा बलों के क़ब्ज़े में है.
रूस का कहना है कि जिन सैनिकों के क़ब्ज़े में क्राईमिया है वो रूस-समर्थक आत्मरक्षा बल हैं और उन पर रूस का कोई सीधा नियंत्रण नहीं है.

राजनीतिक संकट

यूक्रेन में कई महीनों के धरना-प्रदर्शन और हिंसक टकराव के बाद 22 फ़रवरी को विक्टर यानुकोविच को राष्ट्रपति के पद से हटाया गया. उसके बाद से ही क्राईमिया का राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ.
सोमवार को क्राईमिया की संसद में हुए पारित हुए मत के अनुसार क्राईमिया में यूक्रेन का कोई भी क़ानून लागू नहीं होगा और क्राईमिया में मौजूद यूक्रेन सरकार की सभी सम्पत्तियों पर क्राईमिया का हक़ होगा.
दूसरी तरफ यूक्रेन की सरकार ने अपने 40,000 रिज़र्व सुरक्षा बलों को 'युद्ध जैसी स्थिति' के लिए आंशिक रूप से तैयार रहने के लिए कहा है.
यूक्रेन के अंतरिम राष्ट्रपति ओलेक्ज़ेंडर तुर्चीनोव ने क्राईमिया में हुए मतदान को 'बहुत बड़ा मजाक' बताया. उन्होंने कहा कि इस मतदान को यूक्रेन या सभ्य जगत कभी स्वीकार नहीं करेगा.

क्राईमिया: जनमत संग्रह के नतीजे रूस के पक्ष में


क्राईमिया में जनमत संग्रह
क्राईमिया के चुनाव अधिकारियों का कहना है कि क्राईमिया में हुए जनमत संग्रह में 95.5 प्रतिशत मतदाताओं ने यूक्रेन से निकलकर रूस में शामिल होने की इच्छा जताई है.
हालांकि यह जनमत संग्रह विवादित रहा है और केवल 50 प्रतिशत मतों की ही गिनती हो पाई है.
क्राईमिया के नेताओं का कहना है कि वे इस जनमत संग्रह के नतीजों के मुताबिक़ सोमवार को रूस में शामिल हो जाएंगे.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वे क्राईमिया के लोगों की इच्छा का सम्मान करेंगे.
क्राईमिया में स्थानीय समयानुसार रविवार रात आठ बजे मतदान बंद कर दिया गया था. अधिकारियों ने बताया कि जनमत संग्रह में लोगों ने 'रिकॉर्ड' मतदान किया है.
हालांकि कई विरोधियों ने इस मतदान का बहिष्कार किया था. वहीं अमरीका और यूरोपीय संघ ने जनमत संग्रह को अवैधानिक बताया है.

जनमत संग्रह क्यों?

रूस समर्थक बलों ने क्राईमिया पर इस साल फ़रवरी में नियंत्रण कर लिया था, जब यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को विपक्ष ने सत्ता से अपदस्थ कर दिया था.
यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पश्चिम समर्थक राष्ट्रवादी प्रदर्शनकारियों ने उनके पद से हटा दिया था.
क्राईमिया में जनमत संग्रह
इसके बाद क्राईमिया (जो यूक्रेन का स्वायत्त क्षेत्र है) की संसद ने रूस समर्थक सर्गेई अक्सेनोव को प्रधानमंत्री बनाया और यूक्रेन से अलग होने के पक्ष में मतदान किया.
क्राईमिया के लोग भी ऐसा ही चाहते हैं, यह दिखाने के लिए जनमत संग्रह कराया गया.
क्राईमिया की संसद, यूक्रेन की राजधानी कीएफ़ में सत्ता पर क़ाबिज़ लोगों को चरमपंथी बताती है.
संसद का कहना है कि यूक्रेन से क्राईमिया के लोगों के जान-माल को ख़तरा है और वो रूसी भाषा बोलने के अपने अधिकार की भी रक्षा करना चाहती है.
लेकिन कीएफ़ की नई सरकार का कहना है कि जनमत संग्रह इसलिए कराया गया, ताकि क्राईमिया में रूसी सैनिकों की मौजूदगी को सही ठहराया जा सके.
मतपत्र में दो सवाल रखे गए थे. इनमें कोई सवाल मौजूदा स्थिति को बरक़रार रखने के बारे में नहीं था.
पहला सवाल यह था कि क्या आप स्वायत्त क्राईमिया गणराज्य को रूसी संघ में मिलाने के पक्ष में हैं?
दूसरा सवाल पूछा गया था कि क्या आप क्राईमिया गणराज्य के 1992 के संविधान को बहाल करने और क्राईमिया को यूक्रेन का हिस्सा बनाए रखने के हक़ में हैं?

यूक्रेन की राय

यूक्रेन ने जनमत संग्रह को ग़ैरक़ानूनी बताया और मतदान का बहिष्कार करने के लिए कहा था.
क्राईमिया में जनमत संग्रह
यूक्रेन के अंतरिम राष्ट्रपति ओलेक्ज़ेंडर तुर्चिनोव ने जनमत संग्रह के लिए क्राईमिया की संसद के फ़ैसले को अमान्य घोषित किया था. उन्होंने क्राईमिया की क़ानून बनाने वाली सभा को भंग करने की बात कही थी.
सत्ता हथियाने के आरोप में यूक्रेन ने क्राईमिया की संसद के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वॉरंट भी जारी किया है.
लेकिन क्राईमिया में रूस समर्थक बल मौजूद हैं, इसलिये यूक्रेन चाहकर भी जनमत संग्रह नहीं रोक पाया.
मगर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दावा है कि यह जनमत संग्रह अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के अनुरूप है.
रूसी संसद का भी कहना है कि वो इस जनमत संग्रह के परिणाम का सम्मान करेगी. संसद एक ऐसे विधेयक पर विचार भी कर रही है जिसके ज़रिए किसी विदेशी राष्ट्र के हिस्सों को रूस में शामिल किया जा सकेगा.

तीखी प्रतिक्रिया

इसबीच जनमत संग्रह पर दुनिया के प्रमुख देशों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है.
अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जोर देकर कहा कि ये जनमत संग्रह ग़ैरकानूनी हैं और इन्हें कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने मास्को से पूर्वी यूक्रेन में अंतरराष्ट्रीय निगरानी मिशन को सहयोग देने के लिए कहा है.
यूरोपीय संघ ने अपने एक बयान में कहा है कि मतदान "ग़ैरकानूनी और अवैध हैं और इसके नतीजों को स्वीकार नहीं किया जाएगा."
इस सिलसिले में यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री सोमवार को बैठक करने वाले हैं और अनुमान जताया जा रहा है कि इस दौरान रूस पर कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.
पश्चिमी देशों की तरह ही जापान में भी क्राईमिया में हुए जनमत संग्रह को ग़ैरकानूनी बताया है. क्योदो न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक जापान ने कहा है कि मास्को को यूक्रेन की संप्रभुता और भौगोलिक एकता का सम्मान करना चाहिए. दूसरी ओर चीन ने मसले को शांतिपूर्वक हल करने की अपील की है.

आख़िर पुतिन चाहते क्या हैं?


व्लादिमीर पुतिन
रूस में एक सरकार है और संसद भी. यहां कई आयोगों और समितियों के साथ-साथ एक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद भी है लेकिन देश के सारे महत्वपूर्ण फ़ैसले सिर्फ़ एक आदमी लेता है और वह हैं राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन.
पुतिन सत्ता के पिरामिड के शीर्ष पर बैठे हैं. इस पिरामिड को बनाया भी उन्होंने ही है. इस वक़्त वही तय करते हैं कि रूस क्या करेगा.
शायद यही वजह है कि रूस की सोच और उनकी योजनाओं को समझना काफ़ी कठिन है. इसके लिए आपको राष्ट्रपति पुतिन के दिमाग़ को समझना होगा.
तो सवाल यह है कि इस समय पुतिन क्लिक करें यूक्रेन के बारे में क्या सोच रहे हैं? उनकी विदेश नीति किस बात से तय होती है? उनका उद्देश्य क्या है?
पुतिन को यह बात सख़्त नापसंद है कि उन्हें धोखा दिया जा रहा है. हमने इसे साल 2011 में लीबिया में देखा था.
उस समय रूस को यह समझाने की कोशिश की गई कि वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव का विरोध न करे जिसमें नागरिकों के लिए एक उड़ान रहित क्षेत्र बनाने की बात थी.
लेकिन नेटो के सैन्य कार्रवाई में तख़्तापलट होने के साथ ही कर्नल मुअम्मर ग़द्दाफ़ी की जान भी चली गई थी. रूस को इसकी उम्मीद नहीं थी.

'पश्चिमी देशों की चाल'

व्लादिमीर पुतिन और बराक ओबामा
लीबिया की घटना इस बात को समझने में मदद कर सकती है कि सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को रूस ने क्यों रोका. यूक्रेन के मामले में भी क्लिक करें पुतिन को लगता है कि पश्चिमी देशों ने उन्हें फंसाया है.
पिछले महीने उन्होंने अपने प्रतिनिधि को कीएफ़ भेजा था ताकि वो राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच और विपक्षी दलों के बीच समझौते की बातचीत में हिस्सा ले सकें. इस क़रार की मध्यस्थता जर्मनी, पोलैंड और फ्रांस के विदेश मंत्री कर रहे थे जिसमें शीघ्र चुनाव कराने, संवैधानिक सुधार और राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने की बात थी.
रूस के प्रतिनिधि ने इस समझौते पर दस्तख़त तो नहीं किए, फिर भी रूस इस पर तैयार होता लग रहा था क्योंकि उसे लगा इस बुरी परिस्थिति में यही सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है.
लेकिन चौबीस घंटे के भीतर ही यानुकोविच को भागना पड़ा. संसद ने उनकी शक्तियां छीन ली थीं और विपक्ष से एक नए कार्यकारी राष्ट्रपति को चुनाव कर लिया था. यूक्रेन में घटनाक्रम इस तेज़ी से बदले कि रूस हैरान रह गया.
पुतिन को लगता है सभी पश्चिमी देशों का एक ही मक़सद है कि वह रूस को अस्थिर करें, ख़ासकर पुतिन को. और ये देश दिन-रात इसके लिए योजनाएँ बनाते रहते हैं.
उन्हें साल 2003 में क्लिक करें जॉर्जिया में हुआ रोज़ रिवोल्यूशन और उसके अगले साल कीएफ़ में हुआ ऑरेंज रिवोल्यूशन अभी भी याद है. रूस को शक़ है कि ये सब पश्चिमी देशों ने कराया है.

'उन्होंने हमें धोखा दिया'

विक्टर यानुकोविच और ट्रुआंग टैन सैंग
अभी हाल ही में रूस ने पश्चिमी देशों पर मॉस्को में सरकार विरोधी प्रदर्शकारियों को पैसा और अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने का आरोप लगाया था.
कई महीनों से रूस क्लिक करें अमरीका और यूरोपीय संघ पर भू-राजनीतिक कारणों से यूक्रेन में गड़बडी पैदा करने का आरोप लगाता रहा है.
मंगलवार को पुतिन ने कहा, "विक्टर यानुकोविच के पिछले साल यूरोपीय संघ के साथ समझौते से इनकार को यूक्रेन में विपक्षी दलों के सत्ता के लिए संघर्ष में उनकी सहायता करने के लिए एक बहाने के रूप में प्रयोग किया है. यूक्रेन में पश्चिमी देशों ने यह पहली बार नहीं किया है."
नेटो का मुद्दा भी एक बड़ा सवाल है. कोम्मेरसैंट अख़बार को साल 2010 में दिए गए एक इंटरव्यू में पुतिन ने कहा था कि सोवियत संघ (यूएसएसआर) को वादा किया गया था कि नेटो अपनी वर्तमान सीमा में विस्तार नहीं करेगा. पुतिन ने अख़बार से कहा, "उन्होंने हमें बहुत ही बुरा धोखा दिया."
यूक्रेन में पश्चिम देशों की समर्थक सरकार आने का क्या यह मतलब निकाला जाए कि यूक्रेन भविष्य में नेटो का सदस्य बन सकता है? अगर ऐसा होता है तो रूस इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरे के रूप में देखेगा.

'रूस को ठुकराने के पहले सोचें'

नेटो का विमान
पश्चिम देशों में क्राईमिया में रूस के हस्तक्षेप को एक 'निर्मम अक्रामकता' बताया जा रहा है. पुतिन की नज़र में यह एक तरीके का पाखंड है. वो इराक़, लीबिया और क्लिक करें अफ़गानिस्तान में अमरीकी हस्तक्षेप के बारे में दुनिया को याद दिलाना नहीं भूलते.
साल 2007 में म्यूनिख सुरक्षा कॉंफ्रेंस में दिए गए भाषण में पुतिन ने दुनिया को एक-ध्रुवीय बताते हुए अमरीका को इस दुनिया का एकमात्र मालिक कहा था. वह जिस चीज़ में रूस का फ़ायदा समझते हैं पूरी दुनिया में उसकी रक्षा करने के लिए कटिबद्ध हैं- चाहे वह सीरिया में हो या पड़ोस में यूक्रेन में.
चूँकि ज़्यादातर पश्चिमी देश ऊर्जा ज़रूरतों और व्यापार के लिए रूस पर निर्भर हैं इसलिए उन्हें इस बात का भी भरोसा है कि ज़़ोर आजमाइश के लिए यह देश ज़्यादा नहीं अड़ सकते.
पुतिन ने साफ़ किया है कि वो यूक्रेन के साथ युद्ध नहीं चाहते. उनका कहना है कि रूस ने 'मानवीय आधार' पर हस्तक्षेप किया है ताकि वहाँ के नागरिकों को 'अराजकता' से बचाया जा सके.
लेकिन रूस के राष्ट्रीय हित उनकी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर हैं. वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कीएफ़ की नई सरकार क्राईमिया से रूस के काला सागर बेड़े को बाहर न करे. वह यह भी चाहते हैं कि यूक्रेन के नए नेता पश्चिमी को गले लगाने और रूस को ठुकराने से पहले दो बार सोचें.

क्या यूक्रेन में दखल क़ानूनी है?


क्राईमिया में सेना
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की यूक्रेन पर बुलाई बैठक में रूस ने यूक्रेन के अपदस्थ राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का ख़त पेश किया.
रूस का कहना है कि रूसी सैनिक यूक्रेन अपनी मर्ज़ी से नहीं बल्कि राष्ट्रपति के बुलावे पर गए हैं.
जबकि अमरीका सहित पश्चिमी देशों ने रूस के स्पष्टीकरण को बेकार करार दिया.
लेकिन क्या ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी देश ने किसी दूसरे में सैन्य हस्तक्षेप के लिए इस तरह का तर्क दिया है.
डेनवेर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय क़ानून के प्रोफ़ेसर वेद नंदा कहते हैं, "खुद अमरीका ग्रेनाडा, पनामा, डोमिनिकन रिपब्लिक में सैन्य हस्तक्षेप कर चुका है. इस तरह के सैन्य हस्तक्षेप के लिए अमरीका ने कहा कि हमें वहाँ की सरकार ने बुलाया है इसलिए हम गए हैं. या फिर अमरीका ने यह कहा कि वहाँ मौजूद हमारे नागरिकों को ख़तरा है और उन्हें बचाने के लिए हमने यह क़दम उठाया है."

क़ानून रूप से वैध नहीं

जॉन केरी
लेकिन क्या किसी एक देश का किसी दूसरे देश में सैन्य हस्तक्षेप करना अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के हिसाब से सही है.
यही सवाल जब हमने प्रोफ़ेसर नंदा कहते हैं, "इस तरह के तर्कों के साथ सैन्य हस्तक्षेप करना अंतरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार वैध नहीं है. किसी देश में सैन्य हस्तक्षेप करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनुमति लेनी होगी.
प्रोफ़ेसर नंदा ने स्पष्ट किया कि अभी हाल में एक नया अंतरराष्ट्रीय क़ानून बना है, 'रक्षा की जिम्मेदारी' का क़ानून. अगर कोई सरकार या राज्य वहाँ के नागरिकों की रक्षा नहीं करती तो सुरक्षा परिषद वहाँ हस्तक्षेप करेगी. लेकिन यह हस्तक्षेप सुरक्षा परिषद ही कर सकती है न कि कोई एक देश.
सोवियत संघ का जब विघटन हुआ तो उसमें यह समझौता शामिल था कि जो देश रूस से अलग हुए उनके पास परमाणु हथियार नहीं होंगे. वो अपने परमाणु हथियार रूस को सौंप देंगे.
रूस और अमरीका यूक्रेन को लेकर जिस तरह से आमने-सामने आते दिख रहे हैं ऐसे में यह सवाल उठता है कि इस स्थिति से शांतिपूर्ण तरीके से कैसे निकला जा सकता है.
प्रोफ़ेसर नंदा कहते हैं, "यूक्रेन के मौजूदा हालात से जो कूटनीतिक संकट उत्पन्न हुआ है उससे निकलने के लिए यूरोप, रूस और नेटो की बातचीत से रास्ता निकल सकता है."
प्रोफ़ेसर नंदा कहते हैं, "इस स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका एंगेला मैर्केल की है. उनकी पुतिन से बात हुई है. उन्होंने कहा है कि एक आयोग बने जो इस समस्या से निकलने का रास्ता सुझाए और दोनों देशों के बीच समझौता हो सके."
वो बताते हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जर्मन भाषा बोल लेते हैं. उन्हें लगता है कि इस समय मैर्केल ही ऐसी नेता जिसके साथ भरोसे के साथ बातचीत की जा सकती है.

यूक्रेन संकट: क्या रूस का कोई दावा बनता है?


यूक्रेन, सैनिक
रूस का कहना है कि वह यूक्रेन में इसलिए है ताकि अपने नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा कर सके. लेकिन रूस के पास क्राईमिया में सैन्य बल भेजने का क्या स्पष्टीकरण है?

क्राईमिया पर रूस का क्या दावा है?

रूस और क्राईमिया के ऐतिहासिक संबंध 18वीं सदी में कैथरीन महान के वक़्त तक जाते हैं, तब रूस ने दक्षिणी यूक्रेन और क्राईमिया पर जीत हासिल की थी और इन हिस्सों को ऑटोमन साम्राज्य से छीन लिया था. साल 1954 में तब के सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव ने यूक्रेन को क्राईमिया तोहफ़े में दिया था, ख्रुश्चेव ख़ुद आधे यूक्रेनियाई थे.
इससे 10 साल पहले, जोसेफ़ स्तालिन ने क्राईमिया की पूरी तातार आबादी से करीब 300,000 लोगों को, हिटलर के जर्मनी के साथ सहयोग की वजह से निर्वासित कर दिया था.
ख़्रश्चेव
ख़्रश्चेव के दौर में रूस ने यूक्रेन को क्राईमिया दिया था.
जब साल 1991 में यूक्रेन आज़ाद हुआ तो तब रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन इस बात पर राज़ी हो गए कि क्राईमिया यूक्रेन का हिस्सा बना रहे, रूस का ब्लैक सी फ़्लीट लीज़ के तहत सेवास्टोपोल में रहे. वह लीज़ कुछ साल पहले ही वर्ष 2042 तक बढ़ा दी गई है.

रूस की कार्रवाई का कोई क़ानूनी आधार है?

साल 1994 के बूडापेस्ट समझौते के तहत रूस, अमरीका, यूक्रेन और ब्रिटेन इस बात पर राज़ी हुए कि कोई भी देश यूक्रेन की क्षेत्रीय संप्रुभता और राजनीतिक स्वतंत्रता के ख़िलाफ़ ताकत का इस्तेमाल नहीं करेगा. ये देश इस बात पर भी राज़ी हुए थे कि यूक्रेन पर आर्थिक दबाव नहीं डाला जाएगा.
रूस का कहना है कि उसने रूसी नागरिकों की रक्षा के लिए सैन्य बल भेजे.
क्राईमिया में रूसी मूल के लोग बहुसंख्यक हैं. रूस का ब्लैक सी फ़्लीट सेवास्टोपोल में है, जहां कि ज़्यादातर आबादी के पास रूसी पासपोर्ट है. लेकिन अमरीका का कहना है कि रूस के क़दम का कोई क़ानूनी आधार नहीं है. जी-7 समूह के देश भी इससे सहमत हैं.
रूसी सैनिक
यूक्रेन से समझौते के तहत रूस अपने 25,000 नागरिक क्राईमियाई प्रायद्वीप पर रख सकता है, अभी उसके 16,000 नागरिक वहां हैं. लेकिन इन सैनिकों को अपने सैनिक अड्डे पर रहना होता है. जबकि अभी ये सैनिक पूरे क्राईमिया में फैले हुए हैं.

रूस का क्या जवाब है?

शुरुआत में रूस ने इस बात से इनकार किया कि उसने बूडापेस्ट समझौते का उल्लंघन किया. लेकिन अब रूस का कहना है कि 'उग्र चरमपंथियों' के सत्ता में आने के बाद से यूक्रेन में हालात बिगड़ते जा रहे हैं जिससे क्राईमिया और अन्य दक्षिण-पूर्वी इलाकों के नागरिकों के जीवन और सुरक्षा पर असर पड़ रहा है.
रूस का ये भी कहना है कि नई सरकार ने 21 फ़रवरी के उस समझौते को भी 'चल दिया' जिस पर पूर्व राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने दस्तख़त किए थे.

21 फ़रवरी के समझौते का क्या हुआ?

जब तत्कालीन राष्ट्रपति यानुकोविच राजधानी कीएफ़ से गए तब विपक्ष सत्ता पर काबिज़ हो गया. लेकिन उस हफ़्ते की शुरुआत में दोनों पक्ष संकट ख़त्म करने के लिए साल 2004 के संविधान को फिर से लागू करने और राष्ट्रपति की शक्तियां कम करने पर सहमत हो गए थे.
रूसी सैनिक
उस समझौते पर यानुकोविच और विपक्षी नेताओं के अलावा यूरोपीय संघ के तीन विदेश मंत्रियों ने भी दस्तख़त किए थे. लेकिन घटनाक्रम इतनी तेज़ी से बदला कि यह समझौता पुराना पड़ गया. इस समझौते पर तब वहां मौजूद रूसी अधिकारी ने दस्तख़त नहीं किए थे.

'उग्र चरमपंथियों' की क्या भूमिका है?

रूस लगातार ये शिकायत करता रहा है कि कीएफ़ में हो रहे प्रदर्शनों पर दक्षिणपंथी गुट हावी है, जो नई सरकार में हिस्सेदार हो गए हैं, जिसमें 'स्पष्ट नाज़ी' भी हैं.
दो समूहों, राइट सेक्टर और स्वोबोदा (स्वतंत्रता) का बार-बार ज़िक्र होता है और दूसरे विश्व युद्ध के वक़्त के राष्ट्रवादी स्टेपान बांडेरा का भी नाम लिया जाता है.
बांडेरा को कुछ लोग हीरो की तरह देखते हैं वहीं कुछ लोग उन पर नाज़ियों से सहयोग करने का आरोप लगाते हैं.
कीएफ़ और दूसरे शहरों से समर्थन हासिल करने वाले प्रदर्शनों में दक्षिणपंथियों का हिस्सा बहुत छोटा था. हालांकि वह बेहद हिंसक प्रदर्शनों में अक्सर शामिल पाए गए थे.
यूक्रेन
राष्ट्रवादी स्वोबोदा पार्टी को सरकार में चार पद मिले हैं. ओलेक्ज़ेंडर सिच उप प्रधानमंत्री हैं और ओलेह मखनित्स्की कार्यकारी मुख्य अभियोजक हैं. उनक पास कृषि और पर्यावरण मंत्रालय भी हैं. इसके नेता पर यहूदी विरोधी होने के आरोप लगते हैं और वो सरकार में नहीं हैं.
प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले आंद्री पारूबी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष बन गए हैं. स्वोबोदा के एक सह संस्थापक दिमेत्रो यारोश हैं जो पारूबी के सहायक हैं और जिन्हें यानुकोविच 'चरमपंथी' बताते थे.

क्या सरकार रूस विरोधी है?

कुछ हद तक समस्या इसमें भी है कि बीते हफ़्ते जिस सरकार ने शपथ ली, उसका यूक्रेन के पूर्वी तट से ज़्यादा संबंध नहीं है, इस इलाके को रूस समर्थक माना जाता है.
इस सरकार ने जो शुरुआती क़दम उठाए, उनमें से एक साल 2012 के उस क़ानून को हटाना था जिसके तहत रूसी को आधिकारिक क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था. इस क़दम की पूरे यूक्रेन में आलोचना हुई थी.

क्या क्राईमिया में रूसी नागरिक ख़तरे में थे?

रूसी सैनिक
बीते हफ़्ते क्राईमिया की राजधानी सिम्फ़ेरोपोल में रूस समर्थक और यूक्रेन के नए नेताओं के समर्थक संसद के बाहर भिड़ गए थे.
जब ख़बरें आईं कि रूसी सैन्य बल पूरे क्राईमिया में तैनात हो गए हैं, तब रूस ने यूक्रेन पर आरोप लगाया कि वो अस्थिरता पैदा करने के लिए क्राईमिया में सशस्त्र लोगों को भेज रहा है. हालांकि क्राईमिया रूस के हाथों में था.

क्या यूक्रेन के दूसरे शहरों पर असर पड़ेगा?

पूर्वी यूक्रेन के दोनेत्स्क और खारकिएफ़ में हालात की तुलना क्राईमिया की स्थिति से की जा सकती है. इन दोनों रूसी बहुल इलाकों में रूस के समर्थकों ने प्रदर्शन किए हैं. दोनेत्स्क में क्षेत्रीय प्रशासन की इमारत में सोमवार को करीब 100 लोग घुस गए.
यूक्रेन के सैनिक
संवाददाताओं ने बताया है कि किस तरह दोनेत्स्क में प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे, "पुतिन, आओ". रूस के सैन्य बल सीमा के उस पार तैनात हैं और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सेना को 'यूक्रेन के क्षेत्र' में भेजने की बात कह चुके हैं, हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि कहां?

क्या कोई 'मानवीय संकट' है?

रूस के मीडिया में इस तरह की अपुष्ट ख़बरें आई हैं कि इस साल की शुरुआत से अब तक 675,000 यूक्रेनियाई सीमापार कर रूस में दाख़िल हुए हैं. लेकिन एक रूसी टीवी चैनल की ख़बर में कहा गया कि ये 'मानवीय संकट' पोलैंड की सीमा से जुड़ा है जिसका यूक्रेन के संकट से कोई लेना-देना नहीं है.

क्या ओबामा की परीक्षा ले रहे हैं पुतिन?

यूक्रेन विरोध प्रदर्शन
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस को अलग-थलग करने वाले और उसकी अर्थव्यस्था को चोट पहुंचाने वाले क़दम उठाने के निर्देश दिए हैं.
अमरीकी अधिकारी कहते हैं कि व्लादिमीर पुतिन ने बहुत बुरा निर्णय लिया है, जो उनके देश को और बदतर हालत में ले जाएगा.
लेकिन यह ओबामा के नेतृत्व की महत्वपूर्ण परीक्षा भी है. इससे पता चलेगा कि दुनिया में अमरीका की कितनी धमक है.
अमरीका के विदेश मंत्री जॉन कैरी यूक्रेन के नेताओं से मिलने के लिए कीएफ़ जा रहे हैं. अमरीका रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लामबंदी करने का प्रयास कर रहा है.
लेकिन अमरीकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने किसी तरह के सैन्य हस्तक्षेप की संभावना से इनकार किया है.
राष्ट्रपति ओबामा के आलोचक उन पर कार्रवाई करने में सुस्ती बरतने का आरोप लगा रहे हैं.
शुक्रवार की शाम को उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर रूसी सेना यूक्रेन में हस्तक्षेप करती है तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
और इसके कुछ घंटे बाद ही सेना अंदर दाखिल हो गई.

विश्वसनीयता का संकट

ओबामा और पुतिन
अमरीका का कहना है कि क्रीमीया में 6000 से ज़्यादा रूसी सैनिक उपस्थित हैं.
माना जा रहा है कि उनकी विश्वसनीयता ही सबसे बड़ी समस्या है और पुतिन इसी बात से प्रेरित हुए हैं.
इस संकट से निपटने के लिए पश्चिमी देश पूरी तरह तैयार नहीं हैं और यह जब प्रदर्शन अपने चरम पर था उसी समय यह स्पष्ट था कि पुतिन इतनी आसानी से नहीं मानने वाले.
यहां ध्यान दिलाना महत्वपूर्ण है कि पुतिन ने जॉर्जिया में तब युद्ध किया था जब जॉर्ज डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति थे. कोई यह नहीं सोचता कि वो एक शांति प्रिय व्यक्ति हैं.
बुश ने ने कभी सोवियत संघ का अंग रहे एक देश के लिए एक परमाणु शक्ति संपन्न देश से युद्ध न करना ही बेहतर समझा.
वरिष्ठ अमरीकी अधिकारी इस बात को सुनकर भड़क उठते हैं कि ओबामा के पुराने बर्ताव के कारण ही पुतिन की हिम्मत बढ़ी है.
ये अधिकारी कहते हैं कि रूस की यूक्रेन नीति विफल हो गई है. वहां अब उनका कोई आधार नहीं है और अब ताक़त का प्रयोग ही उनके लिए एकमात्र चारा है.
इन अधिकारियों का कहना है कि दुनिया उन्हें कठघरे में खड़ा कर रही है न कि ओबामा को.

पुतिन बेफिक्र

यूक्रेन में विरोध प्रदर्शन
अमरीका दुनिया भर में रूस के ख़िलाफ़ गोलबंदी कर रहा है इसलिए आने वाले दिनों में बहुत कुछ हो सकता है.
रूस पर दबाव बनाने का पहला कदम जून में सोची में होने वाली जी-8 देशों की बैठक है. अमरीका, कनाडा और ब्रिटेन ने इस बैठक को रद्द कर दिया है.
पश्चिमी देशों की 'ऑफ रैम्प' योजना के तहत रूसी मूल के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक भेजने का प्रस्ताव है जो पुतिन को शायद ही पसंद आए.
क्रीमीया 1783 से ही रूस का हिस्सा रहा है और सोवियत संघ के शुरुआती दिनों में यह रूसी संघ में शामिल एक स्वशासित गणराज्य था.
1954 में ख्रुश्चेव ने इसे यूक्रेन को दे दिया. अब पुतिन इसे वापस लेना चाहते हैं.
यहां से पीछे हटना एक उनके लिए विफलता होगी और एक अपमान भी.
ओबामा के साथ दिक्कत यह है कि आर्थिक प्रतिबंध अपना असर दिखाने में लंबा वक़्त लेते हैं.
पुतिन को किसी भी कूटनीतिक दबाव की फिक्र नहीं है. लगता है कि उन्हें पश्चिमी नेताओं को चिढ़ाने में मज़ा आ रहा है.
यह साफ देखा जा सकता है कि परिस्थिति कैसे और ख़राब हो सकती है और यह स्पष्ट नहीं है कि इस बढ़ते संकट से ओबामा कैसे निपटते हैं.

यूक्रेन: जी-7 ने डाला दबाव, रूस बेपरवाह

यूक्रेन में रूस का विरोध करते लोग.
औद्योगिक देशों के समूह जी-8 में रूस के सहयोगियों ने यूक्रेन में रूस की सेना की मौज़ूदगी को लेकर उसकी आलोचना की है. इस संकट को गहराने से बचाने के लिए नए कूटनीतिक प्रयास शुरू हो गए हैं.
साथ ही दुनिया की सात बड़ी औद्योगिक शक्तियों ने इस साल जून में सोची में प्रस्तावित जी-8 के सम्मेलन की तैयारियों को भी फिलहाल रोक दिया है.
इस बीच यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की ब्रसेल्स में एक आपात बैठक करने की संभावना है.
यूक्रेन के स्वायत्त क्लिक करें क्रीमिया क्षेत्र में रूस की सेना की बढ़ती मौज़ूदगी के बाद जी-8 में रूस के सहयोगियों ने यह क़दम उठाया है.
क्लिक करें यूक्रेन की अंतरिम सरकार ने रूस पर युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया है और साथ ही उसने अपने सशस्त्र बलों को तैयार रहने हो जाने को कहा है.

आलोचना

"रूस के पास अपने हितों और क्रीमिया तथा यूक्रेन में अन्यत्र रूसी भाषा बोलने वाले लोगों की रक्षा करने का अधिकार है."
व्लादिमीर पुतिन, राष्ट्रपति रूस
लेकिन क्लिक करें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सेना को वापस बुलाने के पश्चिमी देशों की मांग को अनसुना करते हुए उलटे उनकी आलोचना की है.
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि रूस के पास अपने हितों और क्रीमिया तथा यूक्रेन में अन्यत्र रूसी भाषा बोलने वाले लोगों की रक्षा करने का अधिकार है.
संयुक्त राष्ट्र ने रविवार को कहा था कि यूक्रेन के ज़मीनी हालात का पता लगाने के लिए उप महासचिव जान एलियासन वहां की यात्रा पर हैं.
एक बयान में कहा गया है कि एलियासन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को अपनी रिपोर्ट देंगे.
जी-7 ने रूस से अपील की है कि वह किसी भी मानवाधिकार या सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए यूक्रेन से वार्ता करे.

मदद की दरकार

यूक्रेन में मौज़ूद रूस के टैंक
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ''कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, क्लिक करें अमरीका, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय आयोग रूसी संघ के यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर हमले की निंदा करते हैं.''
बयान में कहा गया है, ''हमने जून में सोची में होने वाले जी-8 देशों के सम्मेलन की तैयारियों से संबंधित गतिविधियों को कुछ समय के लिए स्थगित रखने का फ़ैसला किया है.''
जी-7 के वित्त मंत्रियों ने कहा है कि वे यूक्रेन को मज़बूत वित्तीय मदद देने को तैयार हैं.
एक बयान में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यूक्रेन के ताज़ा आर्थिक हालात का सामना करने के लिए उसकी सहायता करने को तैयार है.
वित्त मंत्रालय के मुताबिक़ अगले दो सालों में यूक्रेन को 35 अरब डॉलर की ज़रूरत पड़ेगी.

यूक्रेन संकट: अमरीका ने दी रूस को चेतावनी

 
बराक ओबामा
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यूक्रेन में किसी तरह के सैन्य दख़ल के प्रति रूस को चेतावनी दी है.
ओबामा का कहना है कि यूक्रेन के भीतर रूसी सैनिकों की मौजूदगी संबंधी ख़बरों से वह बेहद चिंतित हैं.
यूक्रेन के कार्यकारी राष्ट्रपति ने रूस पर उसके क्रीमिया क्षेत्र में सैनिक तैनात करने और कीएफ़ को 'सशस्त्र संघर्ष' के लिए उकसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.
वहीं क्रीमिया के रूस समर्थक प्रधानमंत्री ने रूसी अधिकारियों से इलाके में शांति क़ायम करने के लिए मदद मांगी है.
सर्हिए अक्सयोनोव ने एक बयान में कहा है, ''मैं रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अपील करता हूं कि वे स्वायत्त क्रीमिया गणराज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए मदद करें.''

'रूसी हथियारबंद वाहन दिखे'

अक्सयोनोव की नियुक्ति क्रीमिया की संसद ने गुरुवार को ही की थी. उनका ये भी कहना है कि वे क्रीमिया के गृह मंत्रालय और सशस्त्र बलों का कामकाज भी अस्थायी तौर पर देख रहे हैं.
उनका कहना है, ''सभी कमांडरों को मेरा आदेश और निर्देश मानना होगा. जो ऐसा नहीं करेंगे, मैं उनसे इस्तीफ़ा देने के लिए कहता हूं.''
"सभी कमांडरों को मेरा आदेश और निर्देश मानना होगा. जो ऐसा नहीं करेंगे, मैं उनसे इस्तीफ़ा देने के लिए कहता हूं."
सर्हिए अक्सयोनोव, क्रीमिया के रूस समर्थक प्रधानमंत्री
वहीं यूक्रेन की नई कैबिनेट पहली बार शनिवार को बैठक करने वाली है जिसमें रूस के कथित सैन्य दख़ल से पैदा हुए संकट पर चर्चा की जाएगी.
इससे पहले, रूस के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत ज़ोर देकर कह चुके हैं कि क्रीमिया में सैन्य गतिविधियां, यूक्रेन के साथ मौजूदा व्यवस्था के अनुरूप है.
इस बीच मिली ख़बरों में कहा गया है कि अज्ञात हथियारबंद वर्दीधारी लोगों ने क्रीमिया के एक अन्य हवाई अड्डे पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है.
यूक्रेन की मीडिया में स्थानीय अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि 13 रूसी विमानों से लगभग 2,000 संदिग्ध सैनिक सिम्फेरोपोल के पास सैन्य ठिकाने पर उतरे हैं. इन ख़बरों की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है.
सिम्फेरोपोल और सेवस्टोपोल के आसपास भी रूसी हथियारबंद वाहन और हेलीकॉप्टर देखे गए हैं.
सिम्फेरोपोल से उड़ानें भी रद्द कर दी गई हैं जहां एयरलाइंस का कहना है कि प्रायद्वीप के ऊपर हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया है.

ओबामा का पुतिन से आग्रह, रूस यूक्रेन से हटाए सेना


यूक्रेन में तैनात रूसी सैनिक
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा है रूस ने यूक्रेन में अपनी सेना भेजकर अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन किया है.
क्लिक करें पुतिन से टेलीफ़ोन पर क़रीब डेढ़ घंटे तक हुई बातचीत में ओबामा ने उनसे कहा कि रूस यूक्रेन के क्रीमिया से अपनी सेना को वापस बुला ले.
इस पर पुतिन ने कहा कि रूस के पास अपने हितों और यूक्रेन में रूसी भाषी लोगों की सुरक्षा करने का अधिकार सुरक्षित है.
इस बीच कनाडा नेक्लिक करें रूस में स्थित अपने राजदूत को विचार-विमर्श के लिए वापस बुला लिया है.

कनाडा का क़दम

कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफ़न हार्पर ने कहा कि उन्होंने जून में सोची के रसियन रिसॉर्ट में होने वाले जी8 देशों के सम्मेलन के लिए की जा रही तैयारी भी रोक दी है.
"रूस के पास अपने हितों और यूक्रेन में रूसी भाषी लोगों की सुरक्षा करने का अधिकार सुरक्षित है."
ब्लादिमीर पुतिन, रूस के राष्ट्रपति
क्लिक करें यूक्रेन ने कहा है कि रूस की संसद की ओर से रूसी सेना के तैनाती के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद उसने अपनी सेना को पूरी तरह तैयार रहने को कहा है.
यूक्रेन के अंतरिम राष्ट्रपति ओलेक्सज़ेंडर टर्चयोनोफ़ ने कहा कि उन्होंने परामाणु प्रतिष्ठानों के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है.
इस क्षेत्र में अभी भी तनाव अपने चरम स्तर पर है. न केवल रूसी मूल के लोगों के बहुलता वाले क्लिक करें क्रीमिया में बल्कि यूक्रेन के कई शहरों में भी शनिवार को रूस समर्थक रैलियां आयोजित की गईं.

अपदस्थ राष्ट्रपति

यूक्रेन के अपदस्थ राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के पारंपरिक मज़बूत आधार वाले डोनेत्स्क शहर में क़रीब सात हजार लोगों ने प्रदर्शन किया और क्षेत्रीय प्रशासनिक कार्यालय पर कब्जे का प्रयास किया.
यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर ख़ारकिफ़ में क्षेत्रीय प्रशासन कार्यालय के बाहर रूस समर्थक और विरोधी गुटों के बीच हुए संघर्ष में दर्जनों लोग घायल हो गए.
वहीं उत्तर-पश्चिम में मारीउपोल में सैकड़ों लोगों ने सिटी काउंसिल के बाहर रूस का झंडा लेकर विरोध-प्रदर्शन किया.
राष्ट्रपति पुतिन ने संसद में यूक्रेन के असाधारण हालात और रूसी लोगों के जीवन पर मंडरा रह ख़तरे को देखते हुए सैन्य कार्रवाई के लिए इजाज़त मांगी.
पुतिन की अपील के कुछ देर बाद ही संसद के ऊपरी सदन की बैठक बुलाई गई और इसमें उनके प्रस्ताव को तत्काल पारित कर दिया था.

यूक्रेन के नौसेना प्रमुख रूसी पाले में

रियर एडमिरल डेनिस बेरेज़ोवस्की
यूक्रेन के नए नौसेना प्रमुख ने पाला बदल लिया है. अपने पद पर नियुक्ति के चंद घंटों के अंदर ही उन्होंने यूक्रेन का साथ छोड़ दिया है. रियर एडमिरल डेनिस बेरेज़ोवस्की को शनिवार को ही इस पद पर तैनात किया गया था.
डेनिस बेरेज़ोवस्की ने क्रीमिया के सेवस्टोपोल में रूसी सैनिकों से भरे एक कमरे में बयान जारी कर कहा, ''मैं स्वायत्त क्रीमिया गणराज्य के निवासियों के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा करता हूं. मैं क्रीमिया के कमांडर-इन-चीफ़ और उनके द्वारा तैनात कमांडरों के आदेशों का कड़ाई से पालन करूंगा.''
यूक्रेन में घटनाक्रम ऐसे समय तेज़ी से बदल रहा है जब रूस के सैनिक स्वायत्त प्रदेश क्रीमिया में अपनी स्थिति मज़बूत कर चुके हैं. क्रीमिया में ही रूस के ब्लैक-सी बेड़े का ठिकाना है.
वहीं क्रीमिया के प्रधानमंत्री सर्गेई अक्सयोनोव ने एक बयान में कहा है, ''मैं सेवस्टोपोल में तैनात यूक्रेन के सभी नौसैनिकों को आदेश देता हूं कि वह अवैधानिक तरीके से नियुक्त किए गए यूक्रेन के रक्षा मंत्री तेन्युख समेत किसी भी ग़ैर-मान्यता प्राप्त अधिकारी या एजेंसी के किसी आदेश को ना मानें.''

'विपत्ति के कगार पर'

यूक्रेन के प्रधानमंत्री आर्सेनिय यात्सेनयुक ने चेताया है कि देश 'विपत्ति के कगार पर' खड़ा है.
क्रीमिया में रूसी सैनिकों की गतिविधियों के जबाव में यूक्रेन ने अपने पूरी फ़ौज को सक्रिय कर दिया है.
यूक्रेन के सिपाही
क्रीमिया में यूक्रेन और रूस के सैनिक आमने-सामने हैं. बताया जाता है कि रूस के सैनिकों ने क्रीमिया से लगने वाली यूक्रेन की सीमा पर खंदकें खोद दी है.
अमरीका ने रूस को इस कार्रवाई के लिए अग्रणी औद्योगिक देशों के समूह जी-8 से बाहर करने की चेतावनी दी है.
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने क्रीमिया में रूसी सैनिकों की सक्रियता को 'यूक्रेन की सम्प्रभुता का उल्लंघन' बताया है.
जी-8 देशों का अगला सम्मेलन जून में होगा जहां रूस के ख़िलाफ़ अमरीका, फ्रांस और कनाडा के मोर्चे में ब्रिटेन भी शामिल हो गया है.
वहीं अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी का कहना है कि यूक्रेन के प्रति रूस का बर्ताव कोई नई बात नहीं है.
क्रीमिया में रूसी सैनिकों की मौजूदगी के बारे में जॉन कैरी ने अमरीकी टेलीविज़न पर कहा, ''रूस को ये समझने की ज़रूरत है कि ये गंभीर मामला है. अमरीका और अन्य मित्र इसके बारे में बहुत गंभीर हैं. आप 21वीं सदी में इस तरह का बर्ताव नहीं कर सकते हैं.''
जॉन कैरी ने यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई को बेहद आक्रामक हरक़त बताया है.
उन्होंने कहा, ''रूस ने जो आक्रामक तरीका अपनाया है, उससे विश्व में रूस की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं और इस बारे में भी सवालिया निशान लग गए हैं कि रूस एक आधुनिक राष्ट्र बनने और जी-8 समूह में शामिल रहने का इच्छुक है भी या नहीं, मुझे लगता है कि रूस क़ारोबार, निवेश, वीज़ा प्रतिबंध के मामले में विश्व समुदाय द्वारा गंभीर प्रतिक्रिया की संभावना को न्यौता दे रहा है.''
जॉन कैरी मंगलवार को यूक्रेन की राजधानी कीएफ़ का दौरा करने वाले हैं.
यूक्रेन वैसे तो नैटो का सदस्य नहीं है लेकिन उसने भी इस मामले पर आपात बैठक की है. नैटो के महासचिव एंडर्स फॉग रासमुसेन ने मौजूदा संकट के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षकों को यूक्रेन भेजने का सुझाव दिया है.

रूस ने बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया

टोपोल आरएस-12एम
यूक्रेन के क्राईमिया इलाके को लेकर जारी तनाव के बीच रूसी फ़ौज ने कहा है कि उसने एक अंतर-महाद्वीय बैलिस्टिक मिसाइल प्रयोग के तौर पर दागी है.
फ़ौज का कहना है कि टोपोल आरएस-12एम मिसाइल कैस्पियन सागर के नज़दीक स्थित रूस के कैप्स्टिन यार परीक्षण रेंज से कज़ाख़स्तान के सेरी शेगन रेंज के लिए छोड़ी गई.
रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इस मिसाइल का परीक्षण सफल रहा है.
बीबीसी के कूटनीतिक मामलों के संवाददाता जॉनाथन मार्कस का कहना है कि इस मिसाइल परीक्षण की योजना रूस ने बहुत पहले बनाई थी, लेकिन इसकी वजह से यूक्रेन के मौजूदा संकट में एक और आयाम जुड़ गया है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़, अमरीका का कहना है कि इस मिसाइल परीक्षण के बारे में उसे पहले ही बता दिया गया था क्योंकि द्विपक्षीय हथियार संधियों के तहत ऐसा किया जाना ज़रूरी होता है.
जॉन कैरी
इससे पहले, अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने यह कहकर रूस की भर्त्सना की है कि यूक्रेन में उसकी कार्रवाई आक्रामक है.
कैरी ने कहा कि यूक्रेन की सरकार ने बहुत संयम दिखाया है जिसकी वह सराहना करते हैं.
यूक्रेन की राजधानी कीएफ़ में कैरी ने कहा कि रूस, क्राईमिया में रूसी भाषी लोगों को बचाने की बात करता है जो दरअसल उसका एक बहाना है.
कैरी ने कहा कि यूक्रेन के लिए धमकी और झूठी बातें करने के पीछे दरअसल रूस का हाथ है जिसे वह छिपा रहा है.
उनके इस बयान से कुछ देर पहले अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था क्राईमिया में रूस के सैनिक सक्रिय हैं, इसका मतलब यह है कि रूस पड़ोसी मुल्क पर दबाव के लिए अपनी अवैध ताकत का इस्तेमाल कर रहा है.
व्लादिमीर पुतिन, रूस के राष्ट्रपति
इससे पहले, रूस से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन में रूसी सेना भेजने की अभी कोई ज़रूरत नहीं है.
हालांकि उन्होंने भविष्य में सेना भेजने की संभावना से इनकार नहीं किया.
उन्होंने एक पत्रकार वार्ता में कहा, "रूस के पास अपने नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए 'कोई भी क़दम' उठाने का अधिकार है."
पुतिन ने कहा, "फ़िलहाल सेना भेजना की कोई ज़रूरत नहीं है लेकिन इसकी संभावना बनी हुई है. इस वक़्त मैं आपसे कह सकता हूँ कि रूस के हालिया सैन्य अभ्यास का यूक्रेन के ताज़ा घटनाक्रम से कोई संबंध नहीं है."
क्राईमिया में रूस और यूक्रेन के सैन्य बलों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध बना हुआ है.

पुतिन ने यूक्रेन के अपदस्थ राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पद से हटाए जाने को 'असंवैधानिक तख्तापलट और सत्ता पर हथियार के दम पर किया गया कब्जा' बताया.
उन्होंने कहा, 'चरमपंथियों' ने देश को 'अराजक' हालात में धकेल दिया है.
पुतिन ने कहा कि यानुकोविच ने विपक्ष की सभी मांगें मान ली थीं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यानुकोविच अब भी यूक्रेन के वैध राष्ट्रपति हैं.

राष्ट्रपति को हटाने के तीन तरीके

विक्टर यानुकोविच
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को हटाने के केवल तीन तरीके हैं: मौत, निजी इस्तीफ़ा और महाभियोग.
पुतिन ने कहा, "पूर्वी यूक्रेन के रूसी भाषी लोग रूस से मदद मांगते हैं तो रूस उनकी मांग पर कार्रवाई करेगा."
उन्होंने, "अगर पूर्वी यूक्रेन में अराजकता बनी रहती है तो रूस के पास कोई भी क़दम उठाने का अधिकार है."
पुतिन ने कहा कि क्राईमिया में यूक्रेन के सैन्य ठिकानों को रूसी सेना ने नहीं बल्कि रूस-समर्थक हथियारधारियों और आम जनता ने घेरा हुआ है.
यूक्रेन ने कहा है कि रूस ने पिछले कुछ दिनों में क्राईमिया में हज़ारों सैनिकों को तैनात किया है.
सबसे ज़्यादा तनाव क्राईमिया के तटीय शहर सेवेस्तपोल शहर में है. इस शहर में रूस के काला सागर बेड़े का ठिकाना है.
अपदस्थ किए जाने के बाद यूक्रेन छोड़ने के बाद यानुकोविच रूस चले गए हैं. पुतिन ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि उनका कोई राजनीतिक भविष्य है."
पुतिन ने कहा कि रूस ने 'मानवीय आधार' पर उनकी मदद की है वरना 'उन्हें मार दिया जाता.'

रूस और यूक्रेन की सेनाएं युद्ध को तैयार

रूसी संसद द्वारा यूक्रेन में फ़ौज भेजने के प्रस्ताव को मंज़ूरी देने के बाद यूक्रेन ने अपनी फौजों को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है.
यूक्रेन के अंतरिम राष्ट्रपति ओलेक्ज़ेंडर टरचीनोव ने कहा है कि उनके देश की सेना को युद्ध के लिए पूरी तरह से सतर्क कर दिया गया है.
यूक्रेन के प्रधानमंत्री आर्सेनी यात्सेन्युक ने कहा है कि " अब तक मैंने अपने कई अमरीकी और यूरोपीय साथियों से बात की है. आज मैंने रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव से भी चर्चा की है. रूस ने आश्वस्त किया है कि रूस ने सैनिकों को यूक्रेन में भेजने पर कोई निर्णय नहीं लिया है. ताज़ा रूसी निर्णय केवल एक संभावना को ले कर किया गया है. मैं कहना चाहता हूँ कि यूक्रेन में इस बात की ज़रा सा भी गुंजाइश नहीं की इस तरह के किसी निर्णय पर विचार भी किया जाए."
प्रधानमंत्री यात्सेन्युक ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि रूस अपनी सेना यूक्रेन में नहीं भेजेगा क्योंकि इसका अर्थ होगा सीधे सीधे युद्ध.
इसके पहले रूसी की संसद ने यूक्रेन में सैनिक भेजने की अनुमति मांगते हुए राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने संसद से कहा था कि रूसी सेना को तब तक यूक्रेन के तैनात किया जाए जब तक " यूक्रेन के राजनीतिक हालात सामान्य नहीं हो जाते ".
इस प्रस्ताव के बाद रूस के उप विदेश मंत्री ग्रिगोरी करासिन ने कहा है " संसद के प्रस्ताव का अर्थ यही नहीं है कि रूस सैनिकों के तैनाती तत्काल करने जा रहा है."
इन तेज़ी से बदलते घटनाक्रम के बीच पुतिन और अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच 90 मिनटों तक फ़ोन पर बातचीत हुई है.
इस बीच ख़बर आई है कि क्रिमिया के नए प्रधानमंत्री सर्गेई अक्सोनोव ने अपने प्रांत में 30 मार्च को एक जनमत संग्रह कराने का ऐलान किया है. एक बीबीसी संवाददाता का कहना है कि यह जनमत संग्रह यूक्रेन से आज़ाद होने पर कराया जाएगा ना की अधिक स्वायत्तता के लिए जैसा की पहले बताया गया था.
रूस का एक बड़ा नौसैनिक बेड़ा यूक्रेन के क्रिमिया प्रांत में पहले से ही मौजूद है. इस प्रांत में रूसी लोगों की बहुलता है.
यूक्रेन पहले से ही क्रिमिया में सैन्य हलचल को लेकर बेहद गुस्से में है. यूक्रेन का कहना है कि मॉस्को यूक्रेन की नई सरकार को को एक 'सैन्य संघर्ष' के लिए मजबूर कर रहा है.
यूक्रेन के रक्षा मंत्री का बयान आया था कि रूस ने अपने 6000 सैनिकों को क्रिमिया में उतार दिया है.
बीबीसी के रिचर्ड गिलपिन का कहना है कि "यहाँ महत्वपूर्ण यह है कि पुतिन ने पूरे यूक्रेन में सैन्य तैनाती की बात कही है न कि केवल यूक्रेन के क्रिमिया प्रांत में जहाँ रूस का एक नौसैनक अड्डा है और रूसी मूल के लोगों की बहुलता है ".
क्रेमलिन के अनुसार पुतिन ने सैन्य तैनाती की मांग इसलिए की है क्योंकि "यूक्रेन में असामान्य हालात हैं और इसकी वजह से रूसी नागरिकों की जान को ख़तरा पैदा हो गया है'.
उधर ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने रूस के विदेश मंत्री और रूस के के लन्दन में राजदूत से बात की है. ब्रिटेन ने हालत पर बेहद चिंता जताई है और हेग ने बातचीत में शांती बनाए रखने की अपील की है.
ऐसा माना जा रहा ही कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस मसले पर जल्द ही इक आपात बैठक बुला सकता है.
रूस के इस फ़ैसले के पहले कल ही अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यूक्रेन में किसी तरह के सैन्य दख़ल के प्रति रूस को चेतावनी दी थी.
ओबामा का कहना है कि यूक्रेन के भीतर रूसी सैनिकों की मौजूदगी संबंधी ख़बरों से वह बेहद चिंतित हैं.
बराक ओबामा ने कहा था कि रूस को 'सैन्य हस्तक्षेप की कीमत चुकानी पड़ सकती है.'










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