Tuesday, 18 March 2014

क्रीमिया संकटः जापान, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन ने रूस पर लगाया प्रतिबंध

क्रीमिया संकटः जापान,  अमेरिका और यूरोपियन यूनियन ने रूस पर लगाया प्रतिबंध

टोक्यो, एजेंसी 
First Published:18-03-14 11:03 AM
 
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जापान ने मंगलवार को क्रीमिया संकट के संदर्भ में रूस के खिलाफ प्रतिबंध की घोषणा की है। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, विदेश मंत्री फुमियो किशिडा ने कहा कि जापानी सरकार क्रीमिया में रविवार को कराए गए जनमत संग्रह को नहीं मानती, जिसमें 95 फीसदी से अधिक लोगों ने रूस में विलय के पक्ष में मतदान किया है। किशिडा ने एक बयान जारी कर वीजा नियंत्रण में राहत, निवेश, अंतरिक्ष और जोखिम भरे सैन्य गतिविधियों से जुड़े समझौते से संबंधित वार्ता को स्थगित करने की घोषणा की है। क्रीमियाई संसद ने सोमवार को क्षेत्र की स्वतंत्रता से संबंधित प्रस्ताव पारित कर रूस से मांग की थी कि वह इसे नए निर्वाचक सदस्य की मान्यता प्रदान करे। रूस के राष्ट्रपति कार्यलय के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्रीमिया को संप्रभु और स्वतंत्र देश की मान्यता देने वाले आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है।

शीत युद्ध का केंद्र बन रहा क्रीमिया, रूस पर प्रतिबंध
सिम्फरोपोल [ब्रूसेल्स]
क्रीमिया में हुये जनमत संग्रह को वैध मानते हुये उसे संप्रभु राष्ट्र की मान्यता देने वाले रूस और क्रीमिया के कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुये अमेरिका और यूरोपीय संघ ने उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और उनकी संपत्ति जब्त करने की घोषणा की है। आधिकारिक विज्ञाप्ति के अनुसार अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस के साथ ही क्रीमिया के उन अधिकारियों की यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और संपत्ति जब्त करने की घोषणा की है जो क्रीमिया को यूक्रेन से अलग करने की साजिश में शामिल हैं। क्रीमिया में हुये जनमत संग्रह का परिणाम आने के कुछ घंटे बाद ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्रीमिया को संप्रभु राष्ट्र की मान्यता देने की घोषणा कर दी थी, जबकि अमेरिका, जापान, यूरोपीय संघ आदि ने इसके असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया है। क्रीमिया के मसले पर अब अमेरिका और रूस दो गुट बन गये हैं, जिसमें विभिन्न देश अपना-अपना पक्ष लेने लगे हैं। अमेरिका और रूस के खेमे बंटने से दूसरे शीत युद्ध की संभावना अब प्रबल हो गयी है। प्रतिबंध लगाने के कदम के खिलाफ रूस ने पहले ही कडी़ कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के आदेश के अनुसार रूसी नेताओं से जुडे़ हथियार बनाने वाले लोगों के खिलाफ प्रतिबंध लगाया गया है। ओबामा ने क्रीमिया पर कब्जा जमाने और इसमें पुतिन को सहयोग देने वाले रूस और यूक्रेन के 11 अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। इसके साथ ही ब्रूसेल्स में यूरोपीय संघ के 28 देशों के विदेश मंत्री भी यूक्रेन में तनाव बढा़ने में शामिल रूस और यूक्रेन के 21 अधिकारियों का वीजा रद्द करने और उनकी संपत्ति जब्त करने पर सहमत हो गये हैं। इनमें क्रीमिया और यूक्रेन की सीमा पर तैनात तीन रूसी सैन्य कमांडर भी शामिल हैं। पुतिन ने क्रीमिया के जनमत संग्रह का जबरदस्त समर्थन किया है और उन्होंने इस संबंध में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से कहा है कि यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र में जनमत संग्रह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किया गया है। पुतिन ने कहा है कि वह क्रीमिया के लोगों के फैसले का सम्मान करने का वादा करते हैं। पुतिन ने कहा है कि क्रीमिया के लोगों की भावनाओं का अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत पूरी तरह से पालन किया जायेगा। दूसरी तरफ, अमेरिका और यूरोपीय संघ की तर्ज पर जापान ने भी क्रीमिया के जनमत संग्रह को मान्यता देने से इंकार करते हुए रुस से कहा है कि वह इस क्षेत्र को अपने देश में शामिल न करे। क्रीमिया के मसले पर मध्य मार्ग अपनाने वाले चीन ने एक बार फिर वहां शांति और संयम बनाये रखने की अपील की है। चीन ने कहा है कि राजनीतिक समझौता ही यूक्रेन की समस्या के समाधान का एक रास्ता है। यूक्रेन का कहना है कि रूस ने यह जनमत संग्रह हथियार के जोर पर अपने पक्ष में कराया है। यूक्रेन का आरोप है कि रूस ने गत फरवरी ही भारी संख्या में अपने जवानों की तैनाती क्रीमिया में कर दी थी और मार्च में रूसी सेना ने कई सैन्य अड्डों पर कब्जा जमा लिया। पश्चिमी देशों ने भी जनमत संग्रह को इसी नजरिये से देखा है। उनके मुताबिक रूस ने यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला बोलकर उसके एक हिस्से पर अपना कब्जा जमाया है। रूस और अमेरिका बीच बढ़ती खाई तब दिखायी दी जब यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्‍टर यानुकोविच ने यूरोपीय संघ के बजाय रूस को तरजीह दी। जनमत संग्रह के बाद अमेरिका ने जिन पर प्रतिबंध लगाया है उनमें रूसी राष्ट्रपति के शीर्ष सलाहकार, क्रीमिया के प्रधानमंत्री सर्गेई अकसियोनोव, क्रीमिया के पार्लियामेंट के स्पीकर आदि भी शामिल हैं। जापान ने भी रूस पर प्रतिबंध लगाया है। उसने वीजा नियमों में ढील देने के लिये की जा रही बातचीत स्थगित कर दी है। क्रीमिया के मुद्दे पर रूस की सख्ती को देखते हुये अमेरिका ने अपनी गुटबाजी तेज कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति अगले सप्ताह यूरोप के दौरे पर जाने वाले हैं, जबकि उप राष्ट्रपति जोय बिडेन क्षेत्र में अपने सहयोगियों से बातचीत करने कल ही पोलैंड और लिथुआनिया के दौरे पर निकल गये हैं।

क्रीमिया संकट पर अमेरिका ने जड़े प्रतिबंध
वाशिंगटन,
रूस में शामिल होने के लिए क्रीमिया में हो रहे जनमत संग्रह पर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन ने सख्त फैसला लेते हुए रूस और यूक्रेन के अधिकारियों को प्रतिबंधित कर दिया है। इन प्रतिबंधों में संपत्ति की जब्ती और यात्रा पर बैन शामिल है।   

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सोमवार को क्रीमिया में रूस के सैनिक कब्जे के कारण रूस और यूक्रेन के 11 अधिकारियों को प्रतिबंधित कर दिया। इनमें यूक्रेन के निर्वासित राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच और रूसी राष्ट्रपति के दो सहयोगी व्लादिस्लाव सर्कोव और सर्जेई ग्लाजिव शामिल हैं।

वहीं ब्रुसेल्स में यूरोपियन यूनियन के 28 विदेश मंत्री रूस और यूक्रेन के 21 अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर सहमत हो गए हैं। इन प्रतिबंधों में संपत्ति की जब्ती और यात्रा पर बैन शामिल है।    

क्रीमिया के नेताओं के मुताबिक 97 फीसदी मतदाता रूस के साथ जाने के पक्ष में हैं। यदि क्रीमिया रूस में शामिल हो गया तो यह 2008 में सर्बिया से अलग होकर कोसोवो द्वारा आजादी के ऐलान के बाद यूरोप की एक प्रमुख घटना होगी। एलेक्जेंडर सोरोकिन नाम के एक मतदाता ने कहा कि मैं खुश हूं। ईमानदारी से कहूं तो मैं 60 साल का हूं और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यह दिन देखने के लिए जीवित रहूंगा। 

यूक्रेन के नए यूरोप समर्थक नेताओं और पश्चिम ने जनमत संग्रह को 'गैर-कानूनी' करार दिया है क्योंकि सामरिक दृष्टि से अहम क्रीमिया इस महीने की शुरुआत से ही रुसी सैन्य बलों के वस्तुत: नियंत्रण में है।

मतदाताओं के पास एक विकल्प यह था कि या तो वह रूस के साथ जाएं या फिर 1992 के उस संविधान की तरफ वापसी करें जिसके तहत क्रीमिया को यूक्रेन के तहत एक स्वतंत्र प्रांत बनाया गया था। यूक्रेन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना मतदाताओं के लिए विकल्प नहीं रह गया था। इस बीच, अमेरिका ने आज क्रीमिया में हुए जनमत संग्रह को सिरे से खारिज कर दिया और संकट के समय रूस के इस कदम को 'खतरनाक और अस्थिरता पैदा करने वाला' करार दिया।
     
अमेरिकी व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा, 'यह जनमत संग्रह यूक्रेन के संविधान के खिलाफ है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय रूस के सैन्य दखल के बीच हुए इन चुनावों के नतीजों को मान्यता नहीं देगा क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हुआ है।'


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