मोदी सरकार के समय, इनके आए अच्छे दिन...(अमित शाह, मायाबेन कोडनानी, अभय चूड़ासमा, जीएल सिंघल, एके शर्मा)
भारत के निवासी अब भी यह समझने में लगे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बताए अच्छे दिन किसके होंगे.
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बुलेट ट्रेन आएगी या फिर उनके घर में एक शौचालय होगा.
लेकिन वहीं कुछ लोगों के लिए तो मोदी के सत्ता में आते ही दिवाली, ईद और होली की खुशियां एक साथ घर लौट आई हैं.
अमित शाह, मायाबेन कोडनानी, अभय चूड़ासमा, जीएल सिंघल, एके शर्मा वो लोग हैं जो कल तक बियाबां में थे लेकिन अब सत्ता के गलियारों में लौट आए हैं.
'अच्छे दिन वालों' पर रिपोर्ट
अमित शाह
इन पर हत्या में शामिल होने का केस चल रहा है. फिलहाल ये मामला अदालत में लंबित है और शाह जमानत पर रिहा हैं.
मोदी ने इन्हें 2014 के चुनाव का क्लिक करें 'मैन ऑफ़ दी मैच' बताया है और वे बीजेपी के अध्यक्ष बना दिए गए.
इशरत जहाँ और सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले की जांच करने वाले जिन दो अफ़सरों को इनमें कथित तौर पर अमित शाह के हाथ होने के सुराग मिले, उनका भारत सरकार ने हाल ही में गुजरात से बाहर तबादला कर दिया.
सतीश वर्मा जिन्होंने इशरत मामले की जांच की थी, उन्हें शिलांग में नार्थ ईस्टर्न पावर कारपोरेशन लिमिटेड भेज दिया गया.
और रजनीश राय जिन्होंने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर की जाँच की थी, उनका झारखण्ड के जादूगोड़ा तबादला कर दिया गया.
शाह के सितारे अब आसमान चूम रहे हैं और वे अपने बेटे के लिए सियासी पिच तैयार कर रहे हैं.
मायाबेन कोडनानी
लेकिन इसे संयोग ही कहा जाएगा कि मोदी सरकार के आने के बाद अब वह वापिस खुले आकाश के नीचे सांस ले रही हैं.
गुजरात हाई कोर्ट ने उन्हें दो महीने पहले जमानत दे दी और उनकी सज़ा पर रोक लगा दी गई है.
अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में अपने पति के साथ मायाबेन एक अस्पताल चलाती हैं. नरोदा पाटिया में 95 लोग दंगो के वक़्त मारे गए थे और कई दंगा पीड़ितो के परिवार वालो ने कोर्ट में गवाही भी दी थी.
अभय चुड़ासमा
सीबीआई ने इन्हें सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में गिरफ्तार किया और इन पर कई गंभीर आरोप लगाए.
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि अमित शाह ने सोहराबुद्दीन का फ़र्ज़ी एनकाउंटर करने के लिए डीजी वंज़ारा और चुड़ासमा को कहा था.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि वह सोहराबुद्दीन के साथ मिलकर एक 'एक्सटॉर्शन रैकेट' चलाते थे.
लेकिन गिरफ्तार होकर भी किसी न किसी तरीके से चुड़ासमा ज़्यादा समय अस्पताल में ही रहे. इस साल अप्रैल में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई.
पिछले महीने उन्हें गुजरात पुलिस में बहाल कर दिया गया और पुलिस महानिदेशक के विजिलेंस स्क्वॉयड का मुखिया बना दिया गया.
ख़ैर उन पर लगे सारे आरोप ज्यों के त्यों हैं. क्या गुजरात पुलिस या सरकार या कहीं और किसी को चुड़ासमा की कमी खल रही थी?
जीएल सिंघल
एक न्यूज़ पोर्टल ने वही कथित ऑडियो टेप्स जारी करने का दावा करते हुए कहा कि इसमें अमित शाह, सिंघल और आईपीएस अफसर एके शर्मा से पुलिस तंत्र का इस्तेमाल कर एक लड़की पर जासूसी करवा रहे हैं.
निलंबित होने के बाद ज़िंदगी से हताश सिंघल ने गुजरात सरकार को एक पत्र में अपना इस्तीफा देते हुए कहा था कि उनके इस दुख के समय में उनके साथ कोई नहीं खड़ा रहा.
लेकिन दुख के बादल अब छट गए हैं. उन्हें दो महीने पहले गुजरात सरकार ने एसआरपी का कमांडेंट बना दिया है.
एके शर्मा
गुजरात सरकार और ख़ासकर शाह के बेहद करीबी शर्मा परदे के पीछे से काम करने वालो में से हैं. लेकिन जीएल सिंघल की दी हुई रिकॉर्डिंग ने इन्हें कथित तौर पर बेनकाब कर दिया.
संयुक्त पुलिस आयुक्त अहमदाबाद (क्राइम ब्रांच) शर्मा को अब भारत सरकार ने सेंट्रल डेपुटेशन के लिए ज्वॉयंट सेक्रेटरी के पद पर पैनल में शामिल किया है.
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