Tuesday 9 September 2014

Jammu Flood Rescue Operation: 'आर्मी गो बैक' के नारे लगाने वाले पुकार रहे जवानों को, सबसे बड़े रेस्क्यू | बाढ़ पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन

Jammu Flood Rescue Operation: 
'आर्मी गो बैक' के नारे लगाने वाले पुकार रहे जवानों को, सबसे बड़े रेस्क्यू | बाढ़ पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन
Sep 09, 2014, 10:46AM IST



(सेना के जवान से अपने परिजनों को ढूंढने की गुहार लगाती महिला।)
 
श्रीनगर/जम्मू. हफ्तेभर से बाढ़ से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर में अब तक का सबसे बड़ा बचाव कार्य शुरू किया गया है। सेना और वायु सेना तो मोर्चे पर थी ही, सोमवार को नौसेना को भी उतार दिया गया। पहली बार नौसेना के मरीन कमांडो जान-माल बचाने के काम के लिए तैनात किए गए हैं। इस बीच सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने कहा है कि जब तक आखिरी व्यक्ति को सुरक्षित नहीं निकाल लिया जाता, सेना बैरकों में नहीं लौटेगी। अब तक 23,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। हजारों लोग अब भी ग्रामीण इलाकों में फंसे हैं।

सुकून की बात बस ये है कि पूरे जम्मू-कश्मीर में बारिश थम रही है। पानी बढ़ना भी रुका रहा है। जम्मू-कश्मीर पिछले 60 साल की सबसे बड़ी आपदा झेल रहा है। सोमवार सुबह सेना ने कुपवाड़ा के मुगलपोरा गांव से 22 लोगों को बचाया। वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पीएम मोदी द्वारा पीओके में मदद की पेशकश के लिए उनका धन्यवाद किया। 

पांच दिन बाद शुरू हो सकी वैष्णो देवी यात्रा
सेना ने कहा कि जम्मू क्षेत्र की हालत कुछ संभली है। वैष्णो देवी की यात्रा पांच दिन तक रुकी रहने के बाद फिर से शुरू कर दी गई है। पर कश्मीर और खासकर श्रीनगर व उसके आसपास के इलाके में हालात अब भी बेहद खराब हैं।
 
90 घंटे से दरिया में फंसे युवक को निकाला
नौशहरा के लोअर नारायणा इलाके के सरपंच ने सेना के दफ्तर में फोन कर बताया कि उनके गांव का मोहम्मद शफीक दरिया के बीच फंसा है। 90 घंटे हो गए हैं। सेना की यूनिट से एक जेसीओ 20 जवानों के साथ मौके पर पहुंचा। नदी की लहरें बहुत तेज थीं। जेसीओ ने स्पेशल टीम बुलाई। टीम ने रस्सी की लिफ्ट बनाकर मोहम्मद शफीक को दरिया से बाहर निकाला।
 
पीठ पर लादा और ले आए पानी के पार
बांडीपोरा के काजी अमजद अली का परिवार पानी में फंसा था। जवान मौके पर पहुंचे और सभी को पीठ पर बैठाकर निकाल लाए। गांदरबल के कंगन में भी दर्जनों परिवारों को बचाया गया। गांववालों ने बताया- अगर सेना नहीं होती तो कोई नहीं बचता।
 
हर तरफ सेना को पुकार रहे हैं लोग
कश्मीर में सेना के लिए 'गो बैक' के नारे लगते रहे हैं। लेकिन सोमवार को सेना को हर तरफ से मदद के लिए पुकारा गया। लोग खुद मान रहे हैं कि सेना न होती, तो सब खत्म हो जाता। एक-एक जान को बचाने के लिए दर्जनों जवान अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं।
 
सबसे बड़ी तबाही कैसे
- ढाई सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 500 से ज्यादा गांवों के पूरी तरह डूब जाने की खबर है।
- 70 से 80 फीसदी इलाके में बिजली ठप है। मोबाइल, टेलीफोन, इंटरनेट सेवाएं बंद हो चुकी हैं।
- घाटी में 35 से 40 हजार लोग घरों के दूसरे और तीसरे माले की छतों पर शरण लिए हुए हैं।
 
सबसे बड़ा बचाव ऐसे
- सेना के 21,000 जवान बचाव कार्य में जुटे। सीआरपीएफ, बीएसएफ के जवान भी तैनात।
- मोर्चे पर वायुसेना के 45 एयरक्राफ्ट और चॉपर।  मरीन कमांडो भी उतरे। एनडीआरएफ की 17 टीमें भी।
- 65 मेडिकल टीम, 25 इंजीनियरिंग टास्क फोर्स मौके पर। नौसेना के गोताखार स्टैंडबाइ में रखे गए हैं।
 
सबसे बड़ी चुनौती भी
- गांवों में हालात और खराब। वहां पहुंचने में ही सप्ताह भर लगेगा।
- सड़कें, मकान तबाह हो चुके हैं। साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने पर भी संशय।
 
बाढ़ पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन
बाढ़ की भीषण स्थिति में लोगों की मदद के लिए सरकार ने कंट्रोल रूम भी स्थापित किए हैं।इसके लिए फोन नंबर जारी किए गए हैं। इन पर कॉल कर मदद मांगी जा सकती है। 
 
जम्मू कश्मीर हाउस, नई दिल्ली- (011)-24611210, (011) 24611108
श्रीनगर- (0194) 2452138
जम्मू- (0191) 2560401
गृह मंत्रालय कंट्रोल: 011- 23093054, 23092763, 23092923, 23092885, 23093566, 23093563
NDRF कंट्रोल रूम, नई दिल्ली: 011-26107953, 09711077372
 
लोग NDRF को ई-मेल कर भी मदद ले सकते हैं। ई-मेल है- ndrfhq@nic.in

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