पेशे जो दम तोड़ रहे हैं...
रविवार, 14 सितंबर, 2014
रोज़ी-रोटी के कुछ ज़रिए, कुछ
काम-धंधे तेज़ी से बदलते समय के साथ दम तोड़ रहे हैं. इसके साथ ही उन लोगों
की आजीविका ख़तरे में पड़ गई है जो इन पारम्परिक पेशों से जुड़े हुए हैं.
आइए एक नज़र डालते हैं कुछ ऐसे ही पेशों पर.
चुड़िहारिन
तांगावाला
लेकिन अब ऑटो ने तांगे की जगह ले ली है. यही वजह है कि जहां तांगों की भरमार होती थी, वहां अब मुश्किल से ही तांगे नज़र आते हैं. यानी एक पेशा पूरी तरह से ख़त्म होने की कगार पर पहुंच गया है.
दोने-पत्तल
लेकिन अब बाज़ार में उनकी जगह नई किस्म के मशीन से बनने वाले कागज़, थर्मोकोल और प्लास्टिक के सफ़ेद-चमकीले दोने-पत्तलों ने ले ली है.
यही वजह है कि हरे पत्तल-दोने अब कम ही नज़र आते हैं और इसी के साथ उन लोगों की रोज़ी-रोटी भी ख़तरे में पड़ गई है जो इन्हें बनाते थे.
लोढ़ी-सिलौटी
पटना में कानू जाति के लोग के लोग इसी हुनर के ज़रिए अपना पेट पालते आए हैं. ऐसे ही एक परिवार के 40 साल के गणेश कंजर बताते हैं कि मिक्सी के बढ़ते चलन के कारण पिछले एक दशक से उनका कारोबार काफी कम गया है.
No comments:
Post a Comment