जी-20 असल मुद्(#Australia #visit, #PM #Modi, #narendramodi, #ASEAN, #G20 #summit) :
आइए जानते हैं अपने 10 दिन के दौरे के दौरान तीन देशों की यात्रा में पीएम मोदी क्या हासिल नहीं कर पाए .
नई दिल्ली, 21 नवम्बर 2014 | अपडेटेड: 12:43 IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की 10 दिवसीय यात्रा के बाद गुरुवार
को स्वदेश लौट आए. इस दौरान उन्होंने म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी
का दौरा किया. म्यांमार में उन्होंने एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस
(आसियान) के सम्मेलन में शिरकत की तो ऑस्ट्रेलिया में जी-20 बैठक में भाग लिया .
इन मंचों पर पीएम मोदी ने काला धन से लेकर मेक इन इंडिया तक कई अहम मुद्दे
उठाए. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार और फिजी के राष्ट्राध्यक्षों
के साथ भी शिखर वार्ता की. सिडनी के ऑलफोंस एरिना में मोदी के भाषण की
चर्चा देश-विदेश में हुई. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से लेकर अमेरिकी
राष्ट्रपति तक सभी ने मोदी की शान में कसीदे भी पढ़े. इसमें शक नहीं कि
नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश यात्रा में सभी को मंत्रमुग्ध किया और काफी
कुछ हासिल करने में सफल भी रहे, लेकिन क्या इतना काफी है?
कहीं ऐसा तो नहीं कि ऑलफोंस एरिना में मोदी का भाषण उन असल मुद्दे पर भारी पड़ गया, जिनको लेकर ठोस परिणामों की उम्मीद की जा रही थी. आइए जानते हैं तीन देशों की यात्रा में पीएम मोदी क्या हासिल नहीं कर पाए .
1. यूरेनियम निर्यात को लेकर ऑस्ट्रेलिया ने इस बार भी सिर्फ भरोसा ही दिया. आज टोनी एबॉट ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन आपको याद दिला दें कि 2011 में जब जूलिया गिलार्ड वहां की पीएम थीं, तब भी सिर्फ भरोसा ही दिया गया था. ऑस्ट्रेलिया 2011 में भी साल के अंत तक फैसला लेने की बात कह रहा था और अब 2015 के अंत तक अंतिम निर्णय का दावा कर रहा है. 2. पीएम मोदी के साथ ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया. दोनों नेताओं ने इस देश की संसद को संबोधित किया. ऑस्ट्रेलिया पीएम ने मोदी की जी भरकर तारीफ की, लेकिन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट चीन के साथ किया. इससे दोनों देशों का व्यापार कई अरब डॉलर बढ़ जाएगा, जबकि भारत को सिर्फ सांस्कृतिक समझौते से ही संतोष करना पड़ा. 3. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी पर भी ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कुछ नहीं कहा, जबकि यह मुद्दा पीएम मोदी के एजेंडे में था. 4. पीएम मोदी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट के साथ्ा दोस्ती के दावे करते रहे और दूसरी तरफ एबॉट उन्हें याद दिलाते रहे कि 28 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कैनबरा आया है. संकते साफ था कि भारत को इंतजार करना होगा. 5. ऑस्ट्रेलिया ने यूरेनियम निर्यात के फैसले की ही तरह भारत के साथ फ्री ट्रेड डील भी अगले साल के अंत के लिए लटका दी है. 6. म्यांमार सामरिक दृष्टि से बेहद अहम राष्ट्र है. चीन के साथ उसकी करीबी जगजाहिर है, जिसने इस देश में अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है. मोदी म्यांमार से भी आर्थिक मोर्चे पर खाली हाथ ही लौटे. 7. आसियान सम्मेलन में पीएम मोदी ने चीनी प्रधानमंत्री और जी-20 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. इस दौरान रिश्तों में तल्खी साफ देखने को मिली. मोदी की इस विदेश यात्रा में सिर्फ चीनी नेता ही ऐसे थे, जो उनसे दूरी बनाने की कोशिश कर रहे थे. संकेत साफ है ड्रैगन के साथ सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. 8. फिजी की संसद में पीएम मोदी के भाषण का वहां के विपक्षी दलों ने बहिष्कार कर दिया. इसे लेकर फिजी में खूब बखेड़ा खड़ा हुआ. जानकार मानते हैं कि जरूरी नहीं कि हर देश में संसद को संबोधित किया जाए. फिजी में ऐसा भी लगा कि मोदी वहां के विपक्ष का भरोसा नहीं जीत पाए. 9. पीएम मोदी अपनी हर विदेश यात्रा में मेक इन इंडिया नारा लगाते आ रहे हैं, इस बार भी उन्होंने ऐसा किया, लेकिन वह अभी तक कुछ ठोस हासिल नहीं कर पाए हैं. 10. प्रधानमंत्री ने जी-20 में काला धन का मुद्दा उठाया तो जरूर, लेकिन वह ऐसा कुछ नहीं कर पाए जिससे विपक्ष के चुभते सवालों का जवाब दे सकें.
कहीं ऐसा तो नहीं कि ऑलफोंस एरिना में मोदी का भाषण उन असल मुद्दे पर भारी पड़ गया, जिनको लेकर ठोस परिणामों की उम्मीद की जा रही थी. आइए जानते हैं तीन देशों की यात्रा में पीएम मोदी क्या हासिल नहीं कर पाए .
1. यूरेनियम निर्यात को लेकर ऑस्ट्रेलिया ने इस बार भी सिर्फ भरोसा ही दिया. आज टोनी एबॉट ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन आपको याद दिला दें कि 2011 में जब जूलिया गिलार्ड वहां की पीएम थीं, तब भी सिर्फ भरोसा ही दिया गया था. ऑस्ट्रेलिया 2011 में भी साल के अंत तक फैसला लेने की बात कह रहा था और अब 2015 के अंत तक अंतिम निर्णय का दावा कर रहा है. 2. पीएम मोदी के साथ ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया. दोनों नेताओं ने इस देश की संसद को संबोधित किया. ऑस्ट्रेलिया पीएम ने मोदी की जी भरकर तारीफ की, लेकिन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट चीन के साथ किया. इससे दोनों देशों का व्यापार कई अरब डॉलर बढ़ जाएगा, जबकि भारत को सिर्फ सांस्कृतिक समझौते से ही संतोष करना पड़ा. 3. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी पर भी ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कुछ नहीं कहा, जबकि यह मुद्दा पीएम मोदी के एजेंडे में था. 4. पीएम मोदी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट के साथ्ा दोस्ती के दावे करते रहे और दूसरी तरफ एबॉट उन्हें याद दिलाते रहे कि 28 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कैनबरा आया है. संकते साफ था कि भारत को इंतजार करना होगा. 5. ऑस्ट्रेलिया ने यूरेनियम निर्यात के फैसले की ही तरह भारत के साथ फ्री ट्रेड डील भी अगले साल के अंत के लिए लटका दी है. 6. म्यांमार सामरिक दृष्टि से बेहद अहम राष्ट्र है. चीन के साथ उसकी करीबी जगजाहिर है, जिसने इस देश में अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है. मोदी म्यांमार से भी आर्थिक मोर्चे पर खाली हाथ ही लौटे. 7. आसियान सम्मेलन में पीएम मोदी ने चीनी प्रधानमंत्री और जी-20 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. इस दौरान रिश्तों में तल्खी साफ देखने को मिली. मोदी की इस विदेश यात्रा में सिर्फ चीनी नेता ही ऐसे थे, जो उनसे दूरी बनाने की कोशिश कर रहे थे. संकेत साफ है ड्रैगन के साथ सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. 8. फिजी की संसद में पीएम मोदी के भाषण का वहां के विपक्षी दलों ने बहिष्कार कर दिया. इसे लेकर फिजी में खूब बखेड़ा खड़ा हुआ. जानकार मानते हैं कि जरूरी नहीं कि हर देश में संसद को संबोधित किया जाए. फिजी में ऐसा भी लगा कि मोदी वहां के विपक्ष का भरोसा नहीं जीत पाए. 9. पीएम मोदी अपनी हर विदेश यात्रा में मेक इन इंडिया नारा लगाते आ रहे हैं, इस बार भी उन्होंने ऐसा किया, लेकिन वह अभी तक कुछ ठोस हासिल नहीं कर पाए हैं. 10. प्रधानमंत्री ने जी-20 में काला धन का मुद्दा उठाया तो जरूर, लेकिन वह ऐसा कुछ नहीं कर पाए जिससे विपक्ष के चुभते सवालों का जवाब दे सकें.
what narendra modi fails to deliver from three nations tour
Keyword : Australia visit, PM Modi, narendra modi, ASEAN, G20 summit
Keyword : Australia visit, PM Modi, narendra modi, ASEAN, G20 summit
No comments:
Post a Comment