Monday, 2 February 2015

भारत-अमरीका-जापान प्रेम त्रिकोण ...और चीन की घबराहट!

भारत-अमरीका-जापान प्रेम त्रिकोण ...और चीन की घबराहट!

2 Feb 2015
शी जिनपिंग, नरेंद्र मोदी
चीन और भारत के बीच चल रहे सीमा विवाद के कई पहलू हैं. सीमा का मसला बार बार बढ़ता है और भारत की घबराहट समझी जा सकती है.
चीन की तरफ से अतिक्रमण के मामले बार बार होते हैं और भारत इस मसले को सुलझाना चाहता है लेकिन ये मसला सुलझ नहीं रहा है.
वह अपनी ज़मीन देना भी नहीं चाहता है और ये बात सही भी है कि भारत अपनी ज़मीन क्यों दे.
लेकिन चीन पीछे नहीं हटेगा, उसकी आबादी बढ़ रही है, उसे ज़मीन चाहिए.

जापान के साथ भी उसकी कशमकश चल रही है और भारत के साथ तो उसका विवाद 1962 से ही है.

पढ़ें विस्तार से

नरेंद्र मोदी, बराक ओबामा
भारत और अमरीका का बढ़ता प्रेम चीन के लिए तकलीफदेह कहा जा सकता है.
20वीं सदी अमरीका की थी. 21वीं सदी भी अमरीका की है और जो उसके साथ दोस्ती रखेगा, उसका फायदा होगा. अमरीका चाहता है कि भारत रूस से हटकर उसकी तरफ रुख करे.

चीन के एक अखबार में भारत को कहा गया है कि उसे थोड़ा सा सावधान रहना चाहिए कि कहीं ऐसा न हो कि अमरीका भारत का फायदा उठा ले और वह अमरीका का प्यादा बन कर रह जाए.
ये भारत के लिए फिक्र की बात कही जा सकती है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इसे कैसे समझाएंगी और चीन उनकी बात को किस तरह से लेगा.

भारत जापान रिश्ते

नरेंद्र मोदी, शिंज़ो आबे
इन हालात में जापान में एक तरह का उत्साह है. शिंजो आबे की सरकार चाहती है कि जापान दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए.
इसके साथ ही जापान चीन से घबराया हुआ भी है. जापान में सैन्य खर्चे इस बार सबसे अधिक हुए हैं.

शिंजो आबे चाहते हैं कि भारत और अमरीका से जापान के रिश्ते बेहतर हों ताकि चीन का मसला दबा रहे.
जापान बेहद सावधानी के साथ हालात पर नज़र बनाए हुए है कि किस तरह से भारत अमरीका की तरफ झुक रहा है और उसके ज़रिए जापान के साथ भी.

भारत की स्थिति

नरेंद्र मोदी
चीन भी भारत और जापान की बढ़ती हुई दोस्ती को असहज भाव से देख रहा है.
भारत की स्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि सब उसका साथ तो चाहते हैं लेकिन इस बात को लेकर फिक्रमंद भी हैं कि दूसरा उसका फायदा न उठा ले.

भारतीय लोग जो दुनिया के दूसरे हिस्सों में रहते हैं, वे इस सिलसिले में एक पुल का काम करते हैं.
लेकिन चीन और जापान में भारतीयों की संख्या ज्यादा नहीं है. जापान में कोई 20-25 हज़ार भारतीय रहते हैं.

द्विपक्षीय मसले

भारत, चीन, झंडा
रिश्तों को सकारात्मक दिशा में ले जाने के ख्याल से इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है.
जापान की अर्थव्यवस्था गिर रही है, उसकी आबादी भी गिर रही है. भारत में और चीन के बीच भी कई द्विपक्षीय मसले हैं.
इन समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की दिशा में कदम उठाने की बात सुषमा स्वराज ने कही तो है लेकिन ये तय नहीं है कि इस रास्ते पर कैसे आगे बढ़ा जाएगा.

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