कश्मीरी पंडितों का दिल्ली में प्रदर्शन, जला डाले पाक के झंडे
यहां जंतर मंतर पर भारी संख्या में एकत्र समुदाय के सदस्यों ने जम्मू कश्मीर सरकार से घाटी में कश्मीरी पंडितों की हत्या में शामिल उन सभी लोगों के खिलाफ अभियोजन पक्ष के मामलों को फिर से खोलने की मांग की।
काले रंग की टी-शर्ट पहने और बैंड लगाए कई प्रदर्शनकारियों ने हुर्रियत कांफ्रेन्स एवं अलगाववादी नेताओं के खिलाफ नारे लगाए ।
जम्मू कश्मीर विचार मंच के महासचिव मनोज भान ने बताया, ‘‘केन्द्र या राज्य सरकारें जो कुछ भी निर्णय लेती हैं, उन्हें पहले कश्मीरी पंडितों से जरूर बात करनी चाहिए। कश्मीरी पंडितों से जुड़े मामलों में किसी अलगाववादी को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’’
उन्होंने अपने खिलाफ ‘नरसंहार’ को अंजाम देने वालों के खिलाफ जिम्मेदारी तय करने के लिए एक आयोग बनाये जाने की भी मांग की।
भान ने मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के पूर्व में दिये गये बयान से असहमति जताई और कहा कि समुदाय का हर सदस्य अपने घर लौटना चाहता है। सईद ने कहा था कि कश्मीरी पंडितों में से ज्यादातर देश के विभिन्न हिस्सों में काफी अच्छी तरह रहते हैं इसलिए उनमें से केवल 10 से 15 प्रतिशत पंडित ही घाटी में लौटना चाहेंगे।
प्रदर्शन में भाग लेने के लिए मुंबई से आये सीबीएफसी बोर्ड के सदस्य अशोक पंडित ने कहा कि केन्द्र सईद के बयानों पर भरोसा कर रही है और यही कश्मीरी पंडितों के लिए बड़ी समस्या है।
पंडित ने कहा , ‘‘जब मैं कश्मीर की सड़कों पर आतंकवादियों को खुलेआम घूमते देखता हूं तब पूर्ववर्ती और इस केन्द्र सरकार में क्या अंतर है। सबसे बड़ी समस्या है कि केन्द्र सरकार मुख्यमंत्री पर भरोसा कर रही है… शांतिपूर्ण चुनावों के बाद पाकिस्तान को धन्यवाद किसने दिया था।’’
उन्होंने सैयद अली शाह गिलानी, यासिन मलिक और अन्य अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किए जाने की भी मांग की।
प्रदर्शनकारियों द्वारा हाथ में ली गई कुछ तख्तियों में धारा 370 को भी हटाने की मांग की गई थी ,जिसके तहत जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त है ।
अन्य प्रदर्शनकारी पंकज धर ने बताया कि लोग अपने घर लौटना चाहते हैं लकिन अपनी शर्त पर और अधिकारियों को वापसी करने वालों को सामाजिक और राजनीतिक सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए।
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