शौरी पर भाजपा ने कसा ताना, कहा: अच्छे समय के मित्र ने बदल दिए सुर
पार्टी और उसके नेताओं का कहना है कि एक टेलीविजन इंटरव्यू में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सरकार की आर्थिक नीतियों, सामाजिक तनाव औैर विपक्षी दलों से संबंधों के बारे में जो बेवजह की टिप्पणियां की हैं वे मोदी के प्रति कुछ कठोर हैं। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने शौरी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को संभवत: कोई शिकायत है तो हो सकता है ऐसा कोई पद नहीं मिलने के कारण हो और वह बेवजह के मुद्दे बना रहा हो।
उन्होंने कहा कि इस सरकार ने दर्शाया है कि गंभीर उद्देश्यपूर्ण और प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व से भारत विकास के सही पथ पर बढ़ रहा है। यह हैरत की बात है कि शौरी ने बिना किसी आधार के यह कहा है कि 29 कोयला खदानों के आबंटन से 1.90 लाख करोड़ रुपए 30 साल बाद प्राप्त हो सकेंगे।
वहीं केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एक विद्वान, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक पर्यवेक्षक के रूप में विभिन्न मामलों पर शौरी के अपने विचार रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि इस बार वे मोदी के प्रति कुछ कठोर हैं। यह कहना कि सरकार, खासकर आर्थिक मामलों में दिशाहीन है, सही नहीं है और यह टिप्पणी अत्यधिक निराशाजनक है।
जबकि भाजपा प्रवक्ता संबित पात्र ने कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जब शौरी ने भाजपा को निशाने पर लिया है। उन्होंने शौरी की केवल अच्छे समय का मित्र कह कर उनकी आलोचना करते हुए कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो अच्छे समय में मित्र होते हैं। जब चीजें ठीक होती हैं तो ऐसे लोग पार्टी में घुसने को बेताब होते हैं और इसमें असफल होने पर शत्रुतापूर्ण रवैया अपना लेते हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि नीतियां बनाने को लेकर मोदी सरकार के ‘प्रो-एक्टिव’ रुख के कारण भारत सभी मोर्चो पर आज आगे बढ़ रहा है। चाहे यह आर्थिक क्षेत्र हो, रोजगार का क्षेत्र हो या आम आदमी की सभी आकांक्षाओं को पूरा करने का मामला हो। न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय समुदाय इन नीतियों के साथ है, न केवल निवेशक साथ है, बल्कि आंकड़े भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि मोदी के नेतृत्व में चुनाव के दौरान जो वादे किए गए हम उन्हें पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
शौरी ने मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा है कि इसकी आर्थिक नीतियां दिशाहीन हैं जबकि सामाजिक वातावरण अल्पसंख्यकों के मन में बड़ी बेचैनी पैदा कर रहा है। पत्रकार से नेता बने 73 वर्षीय शौरी ने कहा कि मोदी का एक साल का शासन टुकड़ों में अच्छा है और उनके प्रधानमंत्री बनने से विदेश नीति पर अच्छा असर पड़ा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को लेकर किए गए वादे पूरे होते नहीं दिख रहे हैं।
उनका यह भी कहना है कि लगता है, सरकार सुर्खियां बटोरने के प्रबंधन में ज्यादा लगी है बजाए नीतियों को दुरूस्त करने के। हालात ऐसे हैं कि ‘पजल’ के टुकड़े इधर उधर पड़ें हैं और यह समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें सही जगह कैसे बिठाया जाए। अरुण शौरी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में नए बनाए गए विनिवेश मंत्रालय के मंत्री थे। जब पिछले साल मई में दोबारा राजग सरकार सत्ता में आई तो इन अफवाहों का बाजार गर्म था कि उन्हें मंत्रिमंडल में जरूर शामिल किया जाएगा।
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