#GoHomeIndianMedia: संवेदनहीन भारतीय मीडिया:'पत्रकार ऐसे आए हैं जैसे सीरियल शूट करने आए हों' 'मुझे हैरानी है कि भारतीय अपने न्यूज़ चैनलों को रोज कैसे देखते हैं. मेरा सिर तो पाँच मिनट में ही चकरा गया."
#DontComeBackIndianMedia:भारतीय मीडिया से आहत नेपाल की जनता, ट्विटर पर चला #GOHOMEINDIANMEDIA
Our Media to be feel us shame by there reporting
May 4, 2015
काठमांडू: नेपाल
सरकार भारत की मदद और सहायता की तारीफ करते नहीं थक रही है, और भारत के
गुणगान में कोई कौर कसर नहीं छोड़ रही है। लेकिन वहीं नेपाल की जनता भारतीय
मीडिया के ऊपर भड़ास निकालने और उनके खिलाफ उतर आई है। नेपाल के साथ-साथ
अन्य सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि भारतीय मीडिया एकतरफा कवरेज कर रही
है। ट्विटर पर #GOHOMEINDIANMEDIA का ट्रेंड चल रहा है। इन लोगों ने आरोप
लगाया है कि भारतीय मीडिया राहत और बचाव की सारी रिपोर्टिंग पीएम मोदी और
ऑपरेशन मैत्री को केंद्र में रखकर कर रही है। खबर लिखे जाने तक इस हैशटैग
से 65000 से ज्यादा बार रिट्वीट किया जा चुका है। बहुतों ने यह आरोप लगाया
कि बजाय जिंदा
बचे लोगों तक या ऐसे जगहों तक पहुंचने के, जहां अभी भी राहत सामग्री की जरूरत है, भारतीय मीडिया भूकंप पीड़ितों से सवाल कर रही है और उनके फुटेज दिखा रहीं हैं। कुछ नेपाली लोगों ने हालांकि बैलेंस बनाते हुए ट्विटर पर लिखा कि सिर्फ इंडियन मीडिया ही नहीं बल्कि जो भी उनके देश की संप्रभुता का ख्याल रखे बिना कुछ भी लिखेंगे, वह उनके खिलाफ हैं
हिमाल साउथ एशियन के संपादक कनक मणि दीक्षित ने बताया कि नेपाल में भारत के हिंदी न्यूज़ चैनल बहुत देखे जाते हैं और उन्हें देखकर नेपाल के लोगों को लग रहा है कि भूंकप को लेकर काफ़ी हो-हल्ला मचाया जा रहा है.
दीक्षित का कहना है कि नेपाल और नेपाल के लोग राहत और बचाव कार्यों में भारत की भूमिका के प्रति आभारी हैं, लेकिन हिंदी न्यूज़ चैनलों के प्रस्तुतिकरण का तरीका उन्हें पसंद नहीं आ रहा है.
उनका ये भी कहना है कि नेपाल में उग्र राष्ट्रवाद की भावना हमेशा से रही है जिसकी वजह से #GoHomeIndianMedia हैंडल ट्विटर पर काफ़ी देर तक ट्रेंड करता रहा. लेकिन नेपाल के अख़बारों में ऐसा कुछ नहीं छप रहा है.
कई लोगों ने भारतीय टेलीविज़न पत्रकारों पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया है और उन्हें सुझाव दिया है कि वे थोड़ा ऐहतियात बरतें.
एक यूज़र ज्ञान लोहनी ने ट्वीट किया, "भारतीय मीडिया की अनैतिक, तथ्यहीन और बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जा रही ख़बरें स्वीकार्य नहीं हैं."
साजन राजभंडारी ने लिखा, "मुझे हैरानी है कि भारतीय अपने न्यूज़ चैनलों को रोज कैसे देखते हैं. मेरा सिर तो पाँच मिनट में ही चकरा गया."
नेहा (@नेहाआईपीएन) ने सवाल उठाया है कि भूकंप कवर करने गए पत्रकार पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी से उनका वेतन पूछते हैं, इसका क्या तुक है?
रत्ना विश्वनाथन ने ट्वीट किया कि एक बड़े अंग्रेज़ी चैनल का रिपोर्टर एक महिला से पूछता है कि क्या उसका कोई मरा है, उसके हां कहने के बाद वह यह सवाल दस बार करता है.
मीडियाक्रुक्स (@मीडियक्रुक्स) कहते हैं कि यह मरे हुए लोगों पर घटिया नाटक के अलावा कुछ नहीं है.
बचे लोगों तक या ऐसे जगहों तक पहुंचने के, जहां अभी भी राहत सामग्री की जरूरत है, भारतीय मीडिया भूकंप पीड़ितों से सवाल कर रही है और उनके फुटेज दिखा रहीं हैं। कुछ नेपाली लोगों ने हालांकि बैलेंस बनाते हुए ट्विटर पर लिखा कि सिर्फ इंडियन मीडिया ही नहीं बल्कि जो भी उनके देश की संप्रभुता का ख्याल रखे बिना कुछ भी लिखेंगे, वह उनके खिलाफ हैं
'पत्रकार ऐसे आए हैं जैसे सीरियल शूट करने आए हों'
नेपाल
में भूकंप से जुड़ी ख़बरों के भारतीय टेलीविज़न चैनलों के प्रस्तुतीकरण को
लेकर सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं.
ट्विटर पर #GoHomeIndianMedia ट्रेंड करता रहा.हिमाल साउथ एशियन के संपादक कनक मणि दीक्षित ने बताया कि नेपाल में भारत के हिंदी न्यूज़ चैनल बहुत देखे जाते हैं और उन्हें देखकर नेपाल के लोगों को लग रहा है कि भूंकप को लेकर काफ़ी हो-हल्ला मचाया जा रहा है.
दीक्षित का कहना है कि नेपाल और नेपाल के लोग राहत और बचाव कार्यों में भारत की भूमिका के प्रति आभारी हैं, लेकिन हिंदी न्यूज़ चैनलों के प्रस्तुतिकरण का तरीका उन्हें पसंद नहीं आ रहा है.
उनका ये भी कहना है कि नेपाल में उग्र राष्ट्रवाद की भावना हमेशा से रही है जिसकी वजह से #GoHomeIndianMedia हैंडल ट्विटर पर काफ़ी देर तक ट्रेंड करता रहा. लेकिन नेपाल के अख़बारों में ऐसा कुछ नहीं छप रहा है.
कई लोगों ने भारतीय टेलीविज़न पत्रकारों पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया है और उन्हें सुझाव दिया है कि वे थोड़ा ऐहतियात बरतें.
एक यूज़र ज्ञान लोहनी ने ट्वीट किया, "भारतीय मीडिया की अनैतिक, तथ्यहीन और बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जा रही ख़बरें स्वीकार्य नहीं हैं."
साजन राजभंडारी ने लिखा, "मुझे हैरानी है कि भारतीय अपने न्यूज़ चैनलों को रोज कैसे देखते हैं. मेरा सिर तो पाँच मिनट में ही चकरा गया."
'संवेदनहीन मीडिया'
अनुराग सक्सेना (@सक्सेनाअनुराग) ने ट्वीट किया, "भारतीय मीडिया और उसके लोग ऐसे व्यवहार कर रहे हैं मानो वे कोई पारिवारिक धारावाहिक शूट करने आए हों."नेहा (@नेहाआईपीएन) ने सवाल उठाया है कि भूकंप कवर करने गए पत्रकार पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी से उनका वेतन पूछते हैं, इसका क्या तुक है?
रत्ना विश्वनाथन ने ट्वीट किया कि एक बड़े अंग्रेज़ी चैनल का रिपोर्टर एक महिला से पूछता है कि क्या उसका कोई मरा है, उसके हां कहने के बाद वह यह सवाल दस बार करता है.
मीडियाक्रुक्स (@मीडियक्रुक्स) कहते हैं कि यह मरे हुए लोगों पर घटिया नाटक के अलावा कुछ नहीं है.
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