Wednesday, 31 July 2013

मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार पर हमला: तीन दोषी करार (operation blue star in amritsar swaen mandir)

मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार पर हमला: तीन दोषी करार

 गुरुवार, 1 अगस्त, 2013 को 03:29
मनदीप सिंह संधू, दिलबाग सिंह, हरजीत कौर और बरजिंदर सिंह सांगा
ब्रिटेन की एक अदालत ने भारत के पूर्व लेफ़्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह क्लिक करें बरार पर हुए हमले के मामले में दो पुरुषों और एक महिला को दोषी ठहराया है.
लंदन के सदर्क स्थित कोर्ट ने बर्मिंघम के 34 वर्षीय मनदीप सिंह संधू, लंदन के 37 वर्षीय दिलबाग सिंह और 39 वर्षीय हरजीत कौर को इस मामले में दोषी ठहराया है.
33 वर्षीय बरजिंदर सिंह सांगा ने इस मामले में अपना दोष पहले ही स्वीकार कर लिया था.
इन्हें क्लिक करें जनरल बरार को चाकू मारने और घायल करने के आरोप में दोषी पाया गया है. 19 सितंबर को इन सबको सज़ा सुनाई जाएगी.
जनरल बरार ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में सैन्य कार्रवाई का नेतृत्व किया था.
पिछले साल सितंबर में छुट्टियाँ मनाने लंदन गए जनरल बरार के गर्दन में चाकू मारा गया था. वकीलों ने इसे सोच-समझकर किया गया हमला बताया.
वकीलों का कहना था कि 1984 में स्वर्ण मंदिर में हुई सैनिक कार्रवाई का बदला लेने के लिए ये हमला किया गया था.

हमला

जनरल बरार
पिछले साल 30 सितंबर को, जब बरार पर लंदन में हमला हुआ तब वह और उनकी पत्नी मीना छुट्टियाँ मना रहे थे. उन्हें चेहरे और गले पर गहरे घाव लगे थे.
बरार की अगुआई में ही सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था. बरार और उनकी पत्नी जब होटल लौट रहे थे तभी उन पर हमला हुआ था. भागने के दौरान हमलावरों में से एक का मोबाइल फ़ोन गिर गया जिससे पुलिस को अहम सुराग़ मिले.
स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारतीय सेना सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक स्वर्ण मंदिर में दाखिल हुई. इस कार्रवाई में सैकड़ों लोग मारे गए.
मरने वालों में जरनैल सिंह भिंडरावाला भी थे जिनके नेतृत्व में चरमपंथी सिखों के लिए एक अलग राज्य खालिस्तान की मांग कर रहे थे.
ऑपरेशन ब्लूस्टार को लगभग 30 वर्ष हो चुके हैं. लेकिन बरार को अब भी भारत में जेड श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है.

कौन हैं जनरल 'ब्लू स्टार' बरार?

 मंगलवार, 2 अक्तूबर, 2012 को 16:10
बहुत कम लोगों को पता है कि ऑपरेशन ब्लूस्टार का नेत़ृत्व करने वाले तीन चोटी के जनरलों में से दो सिख थे. एक थे पश्चिमी कमान के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ लेफ़्टिनेंट जनरल रंजीत सिंह दयाल और दूसरे नवीं इनफ़ेंट्री डिवीज़न और स्वर्ण मंदिर में घुसने वाली सेना के कमांडर क्लिक करें मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार.
इन दोनों ने ही पश्चिमी कमान के प्रमुख जनरल सुंदर जी के साथ मिल कर ऑपरेशन ब्लू स्टार की योजना बनाई थी. उस समय भारतीय थल सेना के प्रमुख जनरल एएस वैद्य थे जिनकी चार साल बाद पुणे में सिख पृथकतावादियों ने हत्या कर दी थी.
जनरल दयाल और जनरल बरार दोनों को 'ज़ेड प्लस' की सुरक्षा दी गई थी. सुरक्षा कारणों से ही जनरल बरार ने अपने रिटायरमेंट के बाद उत्तरी भारत में न रह कर मुम्बई में रहने का फ़ैसला किया था.

1971 की लड़ाई के भी हीरो

जनरल बरार 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के भी हीरो थे. 16 दिसंबर 1971 को ढाका में प्रवेश करने वाले वह पहले भारतीय सैनिकों में से एक थे. जमालपुर की लड़ाई में असाधारण वीरता दिखाने के लिए उन्हें भारत का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार वीर चक्र दिया गया था.
साल 1984 में जनरल बरार मेरठ में 9 इनफ़ेंट्री डिवीजन को कमांड कर रहे थे. तीस मई को उनके पास फ़ोन आया कि उन्हें 1 जून को एक बैठक के लिए चंडीगढ़ पहुँचना है. उसी रात वे अपनी पत्नी के साथ छुट्टियाँ मनाने मनीला जाने वाले थे. जब वह चंडीगढ़ पहुँचे तो उन्हें बताया गया कि उन्हें अमृतसर जाना है. उनसे ये भी कहा गया वह अपनी मनीला यात्रा स्थगित कर दें.
ऑपरेशन ब्लू स्टार
ऑपरेशन ब्लू स्टार ने पूरे सिख समुदाय को झकझोर कर रख दिया था.
उस समय तक स्वर्ण मंदिर की पूरी घेराबंदी हो चुकी थी. पाँच जून की सुबह साढ़े चार बजे उन्होंने हर बटालियन के पास जा कर करीब आधे घंटे तक जवानों से बात की. उन्होंने उन्हें बताया कि आप ये समझिए कि आप किसी पवित्र स्थल को बर्बाद नहीं करने जा रहे हैं बल्कि उसकी सफ़ाई करने जा रहे हैं.

टैंकों का इस्तेमाल

मंदिर में घुसने के 45 मिनटों के अंदर ही उन्हें अंदाज़ा हो गया कि पृथकतावादियों की तैयारी ज़बरदस्त थी. जब काफी देर तक भारतीय सैनिक स्वर्ण मंदिर में नहीं घुस पाए तो टैंकों का इस्तेमाल करने का फ़ैसला किया गया.
शुरू में उद्देश्य था कि टैंकों की 'हेलोजेन लाइट' के ज़रिए प़ृथकतावादियों की आँखों के चौंधिया दिया जाए लेकिन पहले ही टैंक की लाइट फ़्यूज़ हो गई. जब सुबह होने लगी और फ़ायरिंग में कोई कमी नही आई तो उन्होंने तय किया कि मीनार के ऊपरी हिस्से पर टैंक से फ़ायरिंग की जाए.
टैंक भेजने से पहले उन्होंने बख़्तरबंद गाड़ियों के ज़रिए सैनिकों को अंदर पहुंचाने की कोशिश की थी लेकिन भिंडरावाले के लोगों ने उसे रॉकेट लांचर से उड़ा दिया था.
छह जून की सुबह 10 बजे तक भिंडरावाले मारे जा चुके थे और उनके साथियों का मनोबल टूट गया था. इस पूरे ऑपरेशन में भारतीय सेना के 100 जवान और करीब तीन सौ सिख विद्रोही मारे गए थे इस घटना ने पूरे सिख समुदाय को झकझोर कर रख दिया.
इस ऑपरेशन के बाद जनरल बरार के मामा ने उनसे सारे संबंध तोड़ लिए और ताउम्र उनसे बात नहीं की. बीबीसी से बात करते हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार को उन्होंने अपने जीवन की सबसे कठिन लड़ाई बताया लेकिन उनका ये भी कहना था कि हालात

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