Saturday 3 August 2013

'अम्मा' बनी 'अन्नपूर्णा', मात्र आठ रुपये में भरपेट भोजन

'अम्मा' बनी 'अन्नपूर्णा', मात्र आठ रुपये में भरपेट भोजन

Updated on: Sun, 04 Aug 2013 10:23 AM
Amma canteen
'अम्मा' बनी 'अन्नपूर्णा', मात्र आठ रुपये में भरपेट भोजन
चेन्नई। योजना आयोग की गरीबी की नई परिभाषा के अनुसार गांव में 27 और शहर में 33 रुपये खर्च करने वाले गरीब नहीं हैं। इसपर कुछ राजनेताओं द्वारा सहमति जताने और 12 रुपये, पांच रुपये और एक रुपये में भी भर पेट खाना मिलने वाली बात कहे जाने के बाद पूरे देश में उबाल आ गया। लेकिन लोगों को क्या पता कि चेन्नई में ऐसा संभव है और वह भी वहां की मुख्यमंत्री जयललिता की योजना की वजह से।

चेन्नई में ही डेढ़ लाख लोगों को एक रुपये में नाश्ता और आठ रुपये में लंच दिया जा रहा है, वह भी अच्छी गुणवत्ता वाला। यह योजना राज्य के नौ और शहरों में शुरू हो गई है।
अम्मा यानी जयललिता कैंटीन सुबह साढे़ सात खुलती है, लेकिन लोगों की कतारें सुबह छह बजे से लगनी शुरू हो जाती है। दस बजे तक एक रुपये में नाश्ते में इडली और पोंगल दिया जाता है। दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक लंच में तीन रुपये में दही-चावल और पांच रुपये में सांभर-चावल। दोनों मिलाकर भरपेट भोजन और खर्च सिर्फ आठ रुपये। शहर में ऐसी 200 कैंटीन हैं, जहां लोग सस्ते में लजीज खाने का लुत्फ उठा रहे हैं।
जयललिता ने इसी साल फरवरी में ऐसी 50 कैंटीन शुरू की थी। लोकप्रिय हुई तो एक ही महीने में इन्हें सारे 200 वार्डो में शुरू करना पड़ा। मकसद था कम आमदनी वालों को कम कीमत में अच्छा भोजन। मगर यहां ड्राइवर, सिक्योरिटी गार्ड, हेल्पर, मजदूर तबके के लोग ही नहीं आते, अच्छे-खासे खाते-पीते घरों के लोग भी कार साइड में लगाते नजर आएंगे।
अम्मा कैंटीन की देखरेख का जिम्मा नगर निगम के हाथों में है। जयललिता ने इस महत्वाकांक्षी स्कीम का जिम्मा 1988 बैच के आईएएस अफसर विक्रम कपूर को सौंपा, जो निगम में कमिश्नर हैं। आइआइएम बेंगलूर से प्रबंधन करने वाले कपूर बताते हैं कि चेन्नई में गरीबी की रेखा के नीचे 20 फीसद आबादी यानी करीब छह लाख लोग हैं। इनमें से हम हर दिन डेढ़ लाख लोगों को भोजन दे रहे हैं। हरेक व्यक्ति को कवर करने के लिए कुल एक हजार कैंटीन शुरू करने की योजना है। अगले महीने रिव्यू के बाद यह काम शुरू हो जाएगा।
अभी एक इडली की लागत एक रुपये 86 पैसे है। हर दिन का खर्च करीब 14 लाख और आमदनी नौ लाख रुपये। बाकी पैसा सरकार से सब्सिडी के रूप में मिल रहा है। योजना को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसी मशीनें लगने वाली हैं, जिनसे एक घंटे में तीन हजार इडली बन सकेंगी। कपूर कहते हैं कि तब एक इडली की लागत एक ही रुपये होगी। हम यह सिद्ध करेंगे कि पांच रुपये में पौष्टिक भोजन संभव है। सितंबर में चावल के अलावा चपाती भी मेनू में जुड़ जाएगी। यह स्कीम चेन्नई के बाहर नौ और शहरों-तिरुचिरापल्ली, मदुरई, वेल्लोर, कोयंबटूर, सलेम, तिरुनेलवेली, त्रिपोर, तूतिकोरिन और इरोड में फैल चुकी है

1 comment:

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