आज हो सकता है तेलंगाना राज्य का ऐलान!
नई दिल्ली, 30 जुलाई 2013 |
तेलंगाना अब हकीकत बनने जा रहा है. मंगलवार को सरकार और कांग्रेस दोनों
ही इस बारे में फैसला करेंगी. उसके बाद ये तय हो जायेगा कि तेलंगाना राज्य
को किस तरह बनाया जाये. हालांकि अब भी आंध्र प्रदेश के कई नेता तेलंगाना के
विरोध में है. खुद मुख्यमंत्री किरण रेड्डी से लेकर कई केंद्रीय मंत्री तक
ऐतराज जता चुके हैं.
लेकिन लगता है कि कांग्रेस ने तेलंगाना को नया राज्य बनाने का मन बन लिया है. कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को यूपीए समन्वय समिति की बैठक शाम चार बजे होगी और इसके बाद शाम साढ़े पांच बजे कांग्रेस कार्य समिति की बैठक होगी.
यूपीए की बैठक जहां घटक दलों की मंजूरी हासिल करने का प्रयास है, वहीं मुद्दे पर सहयोगियों का रुख पता चलने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अंतिम फैसला होगा. सरकार के सहयोगी भी इस मसले पर उसके साथ है तो विपक्ष बीजेपी भी खुलकर कह रही है कि तेलंगाना बनना चाहिए. यानी संसद में इसे लेकर कोई दिककत नही दिखती.
एनसीपी प्रमुख और कृषि मंत्री शरद पवार पहले ही पृथक तेलंगाना के गठन का पुरजोर समर्थन कर चुके हैं, वहीं दूसरे गठबंधन सहयोगी रालोद के नेता और नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह छोटे राज्यों के गठन के पक्षधर हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों को मिलाकर हरित प्रदेश बनाए जाने की मांग करते रहे हैं.
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पृथक तेलंगाना के लिए अपनी पार्टी का समर्थन व्यक्त किया था. उन्होंने कहा था, ‘हम तेलंगाना का समर्थन करते हैं. राज्य के गठन के प्रति भाजपा तैयार है.’ भाजपा नेता कहते रहे हैं कि यदि भाजपा आम चुनावों के बाद सत्ता में आई तो वह तेलंगाना राज्य का गठन करेगी.
लेकिन कांग्रेस की मु्श्किलें अंदरूनी ज्यादा है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण रेड्डी ही खुद कह चुके है कि वो राज्य का बंटवारा नहीं चाहते. उनके साथ साथ केन्द्र के मंत्री पल्लम राजू और डी पुरंदेश्वरी भी बंटवारा होने पर इस्तीफे की धमकी दे चुके है.
मुश्किल हैदराबाद को लेकर भी है कि उसे किसके साथ दिया जाये. तेलंगाना के लोग हैदराबाद को अपने साथ रखना चाहते है तो बाकी आंध्रप्रदेश के लिए भी ये शहर उनके दिल के पास है. इसलिए प्रस्ताव ये है कि हैदराबाद को चंडीगढ़ की तर्ज पर संयुक्त राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाये. इसके अलावा तेलंगाना में रायलसीमा क्षेत्र के दो जिले अनंतपुर और कुर्नूल को मिलाकर रायल तेलंगाना बनाने का भी प्रस्ताव है.
उधर अखंड आंध्र प्रदेश के समर्थकों ने राज्य के विभाजन से जुड़े कांग्रेस नेतृत्व के कथित प्रस्ताव के खिलाफ रायलसीमा और तटीय आंध्र में अपना विरोध प्रदर्शन और तेज कर दिया. अखंड आंध्र के समर्थकों ने डी पुरंदेश्वरी (विशाखापटनम), के एस राव (इलुरू) और एल राजगोपाल (विजयवाड़ा) सहित विभिन्न कांग्रेस सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों के आवास एवं कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. सरकार को डर ये है कि इन फैसलों के बाद कही आंध्र प्रदेश में हालात और न बिगड़ जाये. इसलिए केंद्र ने अर्द्धसैनिक बलों की 25 और कंपनियों को आंध्र प्रदेश भेजा है. यानी डर तो सरकार को भी है. जाहिर है कोई भी फैसला बहुत सोच समझकर ही लेना होगा.
लेकिन लगता है कि कांग्रेस ने तेलंगाना को नया राज्य बनाने का मन बन लिया है. कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को यूपीए समन्वय समिति की बैठक शाम चार बजे होगी और इसके बाद शाम साढ़े पांच बजे कांग्रेस कार्य समिति की बैठक होगी.
यूपीए की बैठक जहां घटक दलों की मंजूरी हासिल करने का प्रयास है, वहीं मुद्दे पर सहयोगियों का रुख पता चलने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अंतिम फैसला होगा. सरकार के सहयोगी भी इस मसले पर उसके साथ है तो विपक्ष बीजेपी भी खुलकर कह रही है कि तेलंगाना बनना चाहिए. यानी संसद में इसे लेकर कोई दिककत नही दिखती.
एनसीपी प्रमुख और कृषि मंत्री शरद पवार पहले ही पृथक तेलंगाना के गठन का पुरजोर समर्थन कर चुके हैं, वहीं दूसरे गठबंधन सहयोगी रालोद के नेता और नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह छोटे राज्यों के गठन के पक्षधर हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों को मिलाकर हरित प्रदेश बनाए जाने की मांग करते रहे हैं.
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पृथक तेलंगाना के लिए अपनी पार्टी का समर्थन व्यक्त किया था. उन्होंने कहा था, ‘हम तेलंगाना का समर्थन करते हैं. राज्य के गठन के प्रति भाजपा तैयार है.’ भाजपा नेता कहते रहे हैं कि यदि भाजपा आम चुनावों के बाद सत्ता में आई तो वह तेलंगाना राज्य का गठन करेगी.
लेकिन कांग्रेस की मु्श्किलें अंदरूनी ज्यादा है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण रेड्डी ही खुद कह चुके है कि वो राज्य का बंटवारा नहीं चाहते. उनके साथ साथ केन्द्र के मंत्री पल्लम राजू और डी पुरंदेश्वरी भी बंटवारा होने पर इस्तीफे की धमकी दे चुके है.
मुश्किल हैदराबाद को लेकर भी है कि उसे किसके साथ दिया जाये. तेलंगाना के लोग हैदराबाद को अपने साथ रखना चाहते है तो बाकी आंध्रप्रदेश के लिए भी ये शहर उनके दिल के पास है. इसलिए प्रस्ताव ये है कि हैदराबाद को चंडीगढ़ की तर्ज पर संयुक्त राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाये. इसके अलावा तेलंगाना में रायलसीमा क्षेत्र के दो जिले अनंतपुर और कुर्नूल को मिलाकर रायल तेलंगाना बनाने का भी प्रस्ताव है.
उधर अखंड आंध्र प्रदेश के समर्थकों ने राज्य के विभाजन से जुड़े कांग्रेस नेतृत्व के कथित प्रस्ताव के खिलाफ रायलसीमा और तटीय आंध्र में अपना विरोध प्रदर्शन और तेज कर दिया. अखंड आंध्र के समर्थकों ने डी पुरंदेश्वरी (विशाखापटनम), के एस राव (इलुरू) और एल राजगोपाल (विजयवाड़ा) सहित विभिन्न कांग्रेस सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों के आवास एवं कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. सरकार को डर ये है कि इन फैसलों के बाद कही आंध्र प्रदेश में हालात और न बिगड़ जाये. इसलिए केंद्र ने अर्द्धसैनिक बलों की 25 और कंपनियों को आंध्र प्रदेश भेजा है. यानी डर तो सरकार को भी है. जाहिर है कोई भी फैसला बहुत सोच समझकर ही लेना होगा.
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