अखिलेश को दी वही चुनौती जिसका सामना किया था मुलायम ने
फैजाबादट 31 जुलाई 2013
बिना
इजाजत परंपरागत समय से सात माह पहले ही 84 कोसी परिक्रमा के आयोजन का
बिगुल फूंक विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राम मंदिर
निर्माण को लेकर फिर इतिहास दोहराते दिख रहे हैं।
फर्क इतना है कि तब सूबे के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सख्त तेवर दिखाए थे, अब प्रदेश की कमान उनके बेटे अखिलेश यादव के पास है।
फिलहाल, अखिलेश सरकार हिंदू संगठनों की मंशा भांपकर सीधे टकराव को टाल रही है।
उधर, विहिप नेताओं की चर्चा के बाद अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय संग एक टीम बुधवार को अयोध्या पहुंच रही है।
विहिप ने 1990 में भी अचानक सीता चबूतरा की सरयू जल से धुलाई के लिए कारसेवा करने की नई परंपरा डाल सरकार को कार्रवाई के लिए बाध्य किया था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सख्ती दिखाई थी। सरकार व हिंदू संगठनों के टकराव का असर पूरे देश पर पड़ा था।
अब ऐसे ही हालात बनाने के लिए चैत्र रामनवमी के बाद अप्रैल माह में होने वाली परिक्रमा को सावन मेले के बाद भादों में तय करके सरकार को चुनौती दी गई है।
विहिप के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंगल, कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया समेत कई शीर्ष धर्माचार्यों ने शासन की ओर से बगैर अनुमति नई परंपराएं कायम करने पर उठाए जा रहे सवालों को सिरे से खारिज कर दिया है।
प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि शीर्ष नेताओं ने पूरे मामले पर विचार किया है, साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि 84 कोसी परिक्रमा संतों का अनुष्ठान है, नई परंपरा नहीं। संतों को धार्मिक अनुष्ठान के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है।
कार्यक्रम का मुहूर्त ग्रह-नक्षत्र देख तय किया है। एसएसपी फैजाबाद केबी सिंह ने कहा कि प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी समेत सुरक्षा से जुड़े महकमों के आला अफसरों ने मंगलवार को वीडियो क्रांफ्रेंसिंग करके सुरक्षा समेत तमाम पहलुओं पर खास सतर्कता के निर्देश दिए हैं।
विहिप और संघ का परिक्रमा मामला भी शासन के संज्ञान में है, समय पर उचित निर्णय लिया जाएगा।
फर्क इतना है कि तब सूबे के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सख्त तेवर दिखाए थे, अब प्रदेश की कमान उनके बेटे अखिलेश यादव के पास है।
फिलहाल, अखिलेश सरकार हिंदू संगठनों की मंशा भांपकर सीधे टकराव को टाल रही है।
उधर, विहिप नेताओं की चर्चा के बाद अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय संग एक टीम बुधवार को अयोध्या पहुंच रही है।
विहिप ने 1990 में भी अचानक सीता चबूतरा की सरयू जल से धुलाई के लिए कारसेवा करने की नई परंपरा डाल सरकार को कार्रवाई के लिए बाध्य किया था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सख्ती दिखाई थी। सरकार व हिंदू संगठनों के टकराव का असर पूरे देश पर पड़ा था।
अब ऐसे ही हालात बनाने के लिए चैत्र रामनवमी के बाद अप्रैल माह में होने वाली परिक्रमा को सावन मेले के बाद भादों में तय करके सरकार को चुनौती दी गई है।
विहिप के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंगल, कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया समेत कई शीर्ष धर्माचार्यों ने शासन की ओर से बगैर अनुमति नई परंपराएं कायम करने पर उठाए जा रहे सवालों को सिरे से खारिज कर दिया है।
प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि शीर्ष नेताओं ने पूरे मामले पर विचार किया है, साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि 84 कोसी परिक्रमा संतों का अनुष्ठान है, नई परंपरा नहीं। संतों को धार्मिक अनुष्ठान के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है।
कार्यक्रम का मुहूर्त ग्रह-नक्षत्र देख तय किया है। एसएसपी फैजाबाद केबी सिंह ने कहा कि प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी समेत सुरक्षा से जुड़े महकमों के आला अफसरों ने मंगलवार को वीडियो क्रांफ्रेंसिंग करके सुरक्षा समेत तमाम पहलुओं पर खास सतर्कता के निर्देश दिए हैं।
विहिप और संघ का परिक्रमा मामला भी शासन के संज्ञान में है, समय पर उचित निर्णय लिया जाएगा।
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