भारत प्रशासित कश्मीर में हुर्रियत कांफ्रेस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी :'भारतीय मीडिया चरमपंथियों और खुफिया एजेंसियों का अड्डा'
भारत के उर्दू अख़बारों मे जहां
देश के गड़बड़ाते आर्थिक हालात और सियासी सरगर्मियों की चर्चा है, वहीं
पाकिस्तान के कराची शहर में फिर तेज होती हिंसा वहां के मीडिया में छाई हुई
है.
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खाद्य सुरक्षा बिल पर दिल्ली से निकलने वाले 'हिंदोस्तान
एक्सप्रेस' का संपादकीय है 'कांग्रेस ने मैदान मार लिया'. अखबार के अनुसार
इस बिल पर बहस के दौरान जिन पार्टियों ने सरकार को जम कर खरी खोटी सुनाई
थी, वो मतदान के वक्त समर्थन करने लगीं.
अब ये बिल राज्य सभा में जाएगा और वहां भी अख़बार के अनुसार, सरकार को इसके पास होने को लेकर कोई चिंता नहीं है. हालांकि लोकसभा में बीजेपी ने इसे 'खाद्य सुरक्षा के नाम पर वोट सुरक्षा' जरूर कहा था.
मुसलमान पीछे
वहीं 'हमारा समाज' में खबर है 'क्लिक करें मुस्लिम तबका शिक्षा पर ध्यान देने में गंभीर नहीं'.अख़बार लिखता है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछड़े इलाकों में सरकारी और निजी भागीदारी से 500 मॉडल स्कूलों की स्थापना के लिए पायलट प्रोजेक्ट के 50 आवेदन पत्र मंगाए उनमें सिर्फ दो ही मुस्लिम उम्मीदवारों के थे और वो भी दक्षिण भारत से.
'अजीज़ुल हिंद' ने भारत की आर्थिक मुश्किलों का जिक्र अपने संपादकीय में किया है. अख़बार लिखता है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में 20 प्रतिशत तक की कमी आई है. किसी भी देश की मुद्रा उसकी पहचान होती है और अगर उसकी कीमत गिरती है तो इससे देश की साख प्रभावित होती है.
अख़बार के अनुसार ऐसे में सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वो देश की अर्थव्यवस्था और देश की आर्थिक हालात पर क़ाबू पाए क्योंकि दिनोंदिन बढ़ती महंगाई गरीबों के लिए बड़ी चिंता का कारण है.
दैनिक 'इंकलाब' ने आशंका जताई है कि कहीं चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल जैसे हालात पैदा न हो जाए जब सोने को गिरवी रख कर रुपये को संभालना पड़ा था.
कराची में खून खराबा
उधर पाकिस्तान के कराची में एक बार फिर बिगड़ते हालात पाकिस्तानी मीडिया की सुर्खियों में हैं. कराची से निकलने वाले 'जंग' ने अपने संपादकीय में लिखा है कि टारगेट किलिंग करने वालों के खिलाफ़ अब तक पुलिस और अर्धसैनिक बल रैंजर्स को अपेक्षित कामयाबी न मिल पाने की वजह हिंसक तत्वों के राजनीतिक पार्टियों से संबंध और इस आधार पर उन्हें मिलने वाला संरक्षण है.दैनिक 'एक्सप्रेस' ने चीफ़ जस्टिस इफ़्तिख़ार मोहम्मद चौधरी के इस बयान को तवज्जो दी है कि कराची में नाहक बहते खून की जिम्मेदारी संघीय और प्रांतीय सरकारों पर आती है. उन्होंने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कराची में पिछले दो साल में चार हजार 952 लोग टारगेट किलिंग की भेंट चढ़ गए हैं.
दैनिक 'खबरें' ने कराची में पुलिस और रेंजर्स की कार्रवाई में एमक्यूएम और एएनपी के लगभग 50 कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी की खबर लगाई जिनसे भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए. इन्हीं दोनों पार्टियों पर अकसर शहर में अपना दबदबा कायम करने के लिए टारगेट किलिंग में शामिल होने के आरोप लगते हैं.
निशाने पर भारतीय मीडिया
उधर दैनिक 'नवाए वक्त' ने भारत प्रशासित कश्मीर में हुर्रियत कांफ्रेस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी के इस बयान को अपने पहले पन्ने पर जगह दी कि 'भारतीय मीडिया हिंदू चरमपंथियों और ख़ुफ़िया एजेंसियों का अड्डा बन गया है'.अख़बार के अनुसार गिलानी के संरक्षण में बनी एक फ़ोरम ने भारतीय मीडिया पर पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने का आरोप लगाया जो मौक़ा मिलने पर कभी भी तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर दिखाता है. फ़ोरम के मुताबिक़ वो कश्मीर की आज़ादी के संघर्ष के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करता है.
दैनिक 'एक्सप्रेस' ने रूस और पाकिस्तान के बीच पहली रणनीतिक बातचीत को नई शुरुआत बताया है.
अख़बार लिखता है कि फ़िलहाल अमरीका ही दुनिया का इलकौता सुपर पावर है और पश्चिमी यूरोप और खासकर ब्रिटेन उसका बड़ा समर्थक है जबकि मध्य पूर्व में सउदी अरब और एशिया के जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अहम देश भी उसी के पाले में खड़े हैं.
अख़बार की राय में, ऐसे में पाकिस्तान मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में तभी कोई अहम भूमिका अदा कर सकता है जब वो शक्ति के संतुलन को बनाए रखने में कोई योगदान दे सके. चूंकि रूस पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया की बड़ी ताकत है इसीलिए उससे बेहतर रिश्ते बनाने की पाकिस्तान सरकार की कोशिश को अख़बार ने सराहा है.
डायनासोर ने दौड़ाया
दैनिक 'खबरें' ने खबर लगाई 'नकली डायनासोर ने लोगों को खूब दौड़ाया'.अख़बार लिखता है कि जापान की राजधानी टोक्यो में एक नौजवान हॉलीवुड की मशहूर फिल्म 'जुरासिक पार्क4' के डायनासोर के कपड़े पहन कर दफ्तर पहुंचा तो वहां काम कर रहे लोगों की हालत पतली हो गई और वो जान बचाने के लिए भागने लगे.
एक कर्मचारी कुछ देर से आया. उसने दफ्तर की अफ़रातफ़री देखी तो कमरे में दाखिल होने से पहले ही वापस सरपट भाग गया.
दैनिक 'औसाफ़' ने पाकिस्तान के आर्थिक हालात पर कार्टून के ज़रिए टिप्पणी की है जिसमें वित्त मंत्री इशाक डार को कठपुतली के रूप में दिखाया गया है जिनकी डोर एक बड़े से हाथ में हैं और ये हाथ है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का. लेकिन डार को कहते दिखाया गया है आईएमएफ की शर्तें न कबूल की है और न आगे करेंगे.
दैनिक 'आजकल' के कार्टून में दर्शाया गया है कि चरमपंथ से निपटना कितना बड़ी चुनौती है. इसमें सरकार को चींटीखोर के तौर पर पेश किया गया है.
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