Monday 8 December 2014

Uttarakhand Flood 2013: आपदा पीड़ित रामभरोसे,डेढ़ साल का वक्त बीतने के बाद भी प्रभावितों की जिंदगी अस्थायी व्यवस्थाओं के सहारे

Uttarakhand Flood 2013: आपदा पीड़ित रामभरोसे,डेढ़ साल का वक्त बीतने के बाद भी प्रभावितों की जिंदगी अस्थायी व्यवस्थाओं के सहारे

Date:Tue, 09 Dec 2014 
आपदा पीड़ित रामभरोसे
 उत्तरकाशी : आपदा के डेढ साल बाद भी आपदा प्रभावितों की जिंदगी रामभरोसे चल रही है। सरकार प्रभावित इलाकों में स्थायी सुविधाएं मुहैया नहीं करा सकी है। डेढ़ साल का वक्त बीतने के बाद भी प्रभावितों की जिंदगी अस्थायी व्यवस्थाओं के सहारे आगे सरक रही है।
स्यावा गांव को जोड़ने वाला झूला पुल पिछले साल जून में आई बाढ़ में बह गया था। तब यहां तीन महीने बाद एक ट्राली लगाई गई। पुरानी तकनीक आधारित इस ट्राली को खींचकर पार करते वक्त दर्जनभर लोगों को अपनी उंगलियां गंवानी पड़ी। डेढ़ साल बाद भी यहां पुल निर्माण को लेकर कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। न तो पुल के निर्माण को स्वीकृति मिल सकी है न ही कोई अन्य स्थायी व्यवस्था के लिए ही कोई कसरत हो रही है। लिहाजा, अब जब नदी के जलस्तर में थोड़ी गिरावट आई है तो ग्रामीणों ने लकड़ियां डालकर नदी पर आवाजाही लायक कच्ची पुलिया बनाई है। नीचे उफनाती धाराओं के ऊपर कच्ची पुलिया से आवाजाही कभी भी लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है। वहीं डिडसारी गांव में बहे पुल के स्थान पर नया पुल कब बनेगा, यह फिलहाल ग्रामीणों के लिए सवाल बनकर रह गया है। पुल बहने के डेढ़ साल के इंतजार के बाद अब डिडसारी, बायणा, लौंथ्रू को सिर्फ एक ट्राली ही मिल सकी है। रस्म अदायगी को यहां एक मोटर चलित ट्राली लगाई गई है लेकिन यह कब धोखा दे दे यह नहीं कहा जा सकता।
अठाली में भी नदी का जलस्तर घटने के बाद फिलहाल कुछ लकड़ियां डालकर ग्रामीणों ने अस्थायी व्यवस्था आवाजाही की कर रहे हैं। सरकार इन तीनों पुलों के स्थान पर केवल ट्रालियां स्थापित करने में ही सफल हो सकी है। लिहाजा केबल के सहारे सरक रही इन ट्रालियों से ग्रामीणों की जान को खतरा बना हुआ है।
नदी का जलस्तर बढ़ा तो होगी मुसीबत
पुल बहने के बाद अस्थायी व्यवस्थाएं लोगों की जान पर भारी भी पड़ सकती हैं। फिलहाल भागीरथी नदी का जलस्तर बेहद कम है लेकिन गर्मियों की दस्तक के साथ अगले साल जब जलस्तर बढ़ने लगेगा तो फिर नदियों को पार करने को बनाई गई अस्थायी व्यवस्थाएं भी ग्रामीणों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती हैं। केबल के सहारे सरकती ट्रालियों के असंतुलित होकर गिरने से पहले ही कई ग्रामीण जख्मी हो चुके हैं। ऐसे में नदी की उफनती धाराओं के ऊपर ट्राली असंतुलित हुई तो ग्रामीणों को इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ सकती है।
'डिडसारी और स्यावा के लिए पुल जल्द स्वीकृत करवाया जाएगा। डिडसारी में अगले साल मई तक पुल का काम पूरा हो जाएगा। राज्य सरकार प्रभावित इलाकों में स्थायी व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने के लिए पूरी तेजी से काम कर रही है।'
- विजयपाल सिंह सजवाण, विधायक गंगोत्री विधान सभा।

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