Tuesday 10 February 2015

वर्ग चार की जमीन पर अब नहीं होगा तीन-पांच

वर्ग चार की जमीन पर अब नहीं होगा तीन-पांच

February 11, 2015
landकैबिनेट ने लगाई मुहर, बहुगुणा खुश
देहरादून: प्रदेश में लंबे समय से वर्ग चार की जमीन के नियमितीकरण को लेकर छाया संस्पेंस आखिरकार खत्म हुआ।  मंत्रिमंडल ने बहुप्रतीक्षित वर्ग-चार की जमीन को छह श्रेणी में बांटकर नियमित करने का फैसला ले लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सरकार को चेतावनी दी थी कि इस मुद्दे को मंत्रिमंडल में नहीं लाया गया तो वह 15 फरवरी को ऊधमसिंह नगर में जनाक्रोश रैली करेंगे। सरकार के निर्णय बहुगुणा खुश हैं। सीएम हरीश रावत की अध्यक्षता में मंगलवार देर शाम हुई मंत्रिमंडल की बैठक में वर्ग चार की जमीन को के नियमितीकरण की प्रक्रिया को छह श्रेणियों में बांटा गया है। कुछ यूं मिलेगा मालिकाना हक
•अनुसूचित जाति, जनजाति, अंत्योदय व बीपीएल को 3.125 एकड़ तक निशुल्क
•अनुसूचित जाति, जनजाति, अंत्योदय और बीपीएल के लिए 3.125 से अधिक लेकिन 12.5 एकड़ से कम के लिए सर्किल रेट का 15%, एक साल में तीन-तीन माह में चार किस्तों में जमा होगा।
•अन्य सामान्य वर्ग को 3.125 एकड़ तक दस प्रतिशत। 3.125 एकड़ से अधिक किंतु 6.25 एकड़ तक सर्किल रेट का 25 प्रतिशत। 6.125 एकड़ से अधिक किंतु 12.5 एकड़ तक सर्किल रेट का 40%। एक साल में चार किस्तों में जमा होगा।
•शहरी क्षेत्रों में सौ वर्ग मीटर तक अनुसूचित जाति, जनजाति, बीपीएल और अंत्योदय के लिए निशुल्क और बाकी लोगों के लिए सर्किल रेट का 25%। साल में चार समान किस्तों में जमा होगा।
2006 की नीति में ये थे प्रावधान
अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए 3.125 एकड़ तक निशुल्क
•अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए 3.125 एकड़ से अधिक लेकिन 12.5 एकड़ से कम तक के लिए सर्किल रेट का 25%
•अन्य सामान्य वर्ग के लिए 3.125 एकड़ तक 10%, 6.125 एकड़ से अधिक पर 12.5 एकड़ तक सर्किल रेट का 75%
•शहरों में सभी के लिए 100 वर्ग मीटर तक सर्किल रेट का 25%

माल, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज बनाने को जमीन का झंझट खत्म
कृषिभूमि पर अस्पताल, शिक्षण संस्थान, निजी मेडिकल कालेज, शॉपिंग मॉल आदि के निर्माण के लिए 45 दिनों में एक पॉलिसी लाई जाएगी। जिसमें इनके लिए अपने आप लैंडयूज बदल जाएगा। वहीं घोषित शहरी आबादी जैसे नगर निगम, नगर पंचायतों, विकास प्राधिकरणों, औद्योगिक प्राधिकरणों के क्षेत्र में आने वाली जमीन पर कंवर्जन की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं बैंक लोन में सरकारी दस्तावेज की आवश्यकता भी नहीं होगी। सरकार भी बैंकों को सूचित करेगी। वहीं मेडिकल कालेज-विवि आदि के लिए एक जगह पर खरीदी जाने वाली एक 25 एकड़ भूमि में अगर सरकार की जमीन आती है तो उसे भी निजी भूमि के सर्किल रेट पर दिया जाएगा। चौड़ी सड़क वाली जगह पर यह लाभ नहीं मिलेगा। पहाड़ों के सीढ़ीनुमा खेत की खरीद-फरोख्त में आड़े आने वाली सरकारी पट्टी(मेड़)भी उसी सर्किल रेट पर बिकेगी जिस रेट पर समतल जमीन (किसान की) बिकेगी।
ये फैसले भी लिए
पिछले दिनों लंबी हड़ताल पर रहे राजस्व व मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों का वेतन अब नहीं काटा जाएगा। सरकार ने पहले नो वर्क नो पे के तहत इन कर्मचारियों का वेतन काटा था। अब हड़ताल के दिनों को छुट्टी में जोड़ा जाएगा।
गरदपुर स्थित चीनी मिल को बंद करने पर सैद्धांतिक सहमति बनी, गढ़वाली ल्या ढुंगार हुई टैैक्स फ्री, सोशल मीडिया पर पॉलिसी मंजूर, सरकारी विज्ञापन भी मिलेगा।
राज्य के चिह्नित आंदोलनकारियों के आश्रितों को दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के लिए सरकार विधानसभा के अगले सत्र में विधेयक लाएगी। साठ वर्ष से अधिक के आंदोलनकारियों के पेंशन पर चर्चा ।जिलों से संख्या न आने से कोई ठोस फैसला नहीं हो सका।
मंत्रिमंडल ने रमसा शिक्षकों के वेतन में केंद्र से हुई कटौती की भरपाई करने का फैसला भी लिया है। दरअसल रसमा के तहत आउटसोर्सिंग से भर्ती शिक्षकों को करीब 12 हजार प्रतिमाह मिलते थे। केंद्र की योजना में वेतन घटाकर 9 हजार कर दिया गया है। राज्य सरकार 3 हजार के अंतर की क्षतिपूर्ति करेगी।
कुमाऊं-गढ़वाल के शिक्षकों का अंतर समाप्त ः उत्तर प्रदेश के जमाने से कुमाऊँ-गढ़वाल के शिक्षकों के बीच उच्च वेतनमान के अंतर को पाट दिया है। विद्यालयी शिक्षा में नई पेंशन स्कीम पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। आबकारी विभाग में पदोन्नति अनुपात में प्रतिशत बढ़ेगा, रायपुर में बनने वाले क्रिकेट स्टेडियम का रजिस्ट्रेशन-नक्शा शुल्क माफ, उच्च शिक्षा में सहायक प्रोफेसर, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर की तर्ज पर निदेशालय में कार्यरत शिक्षा संवर्ग के अफसरों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 करने का फैसला लिया है। अभी सिर्फ शिक्षण कार्य में लोगों को ही यह सुविधा मिल रही थी। प्रदेश की निर्माण एजेंसियों को पांच करोड़ तक की स्वीकृति अब वित्त विभाग से नहीं लेनी होगी।

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