#DelhiDecides #KiskiDilli: अरविंद के 5 साथी, जिनकी राहें जुदा हुईं
उस दौरान रामलीला मैदान के मंच पर उनके साथ कई ऐसे लोग थे जो अब अलग अलग राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं.
इनमें पहला नाम दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी की ओर से उम्मीदवार किरण बेदी का है.
वे कभी एक मंच पर साथ खड़े हुए थे और आज वे एक ही पद के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं.
हालांकि मतदान बाद के सर्वेक्षणों में किरण बेदी को अरविंद से पिछड़ता हुआ दिखाया जा रहा है.
लेकिन शाज़िया के सितारे चुनावी समर में कभी भी चमक नहीं पाए. वे दिसंबर 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में महज 326 वोटों से चुनाव हार गईं.
उनकी हार का सिलसिला लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा और वे गाज़ियाबाद से जनरल वीके सिंह के खिलाफ़ चुनाव लड़ीं और हार गईं.
शाज़िया का 'आप' से अलग हो कर बीजेपी में शामिल होना अरविंद के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा था. हालांकि शाज़िया इन चुनावों में भाग नहीं लिया है.
बिन्नी के बागी तेवर उसी समय से जाहिर हो गए थे जब अरविंद केजरीवाल ने उन्हें अपनी कैबीनेट में जगह नहीं दी थी.
हालांकि बिन्नी इन आरोपों से इनकार करते हैं और अरविंद के साथ मतभेदों को 'आप' छोड़ने की वजह बताते हैं.
आम आदमी पार्टी के साथ उनके जुड़ने को उद्योग जगत का 'आप' को लेकर एक सकारात्मक प्रतिक्रिया के तौर पर देखा गया था.
लेकिन बाद में उन्हें लगा कि 'आप' अपने उद्देश्यों से भटक गई है और 2014 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी.
सेवानिवृत्ति के बाद जनरल सिंह इंडिया अगेस्न्ट करप्शन के मंच पर अन्ना हज़ारे के साथ दिखे. और फिर हरियाणा के रेवाड़ी में हुई रैली में वे मोदी के साथ मंच पर आए.
बीते लोकसभा चुनाव में उन्होंने गाज़ियाबाद से शाज़िया इल्मी को हराया और अभी वे मोदी कैबिनेट का हिस्सा हैं.
इनके अलावा पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त 'आप' के विधायक मनिंदर सिंह धीर और पार्टी नेता शकील अंजुम दहलवी ने अरविंद का दामन छोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था.
कहते हैं कि राजनीति में समय के साथ साथी भी बदल जाते हैं. जो आज साथ है, जरूरी नहीं कि वह कल भी साथ हो.
चार
साल पहले जब जन लोकपाल कानून के लिए इंडिया अगेस्न्ट करप्शन के बैनर तले
अन्ना हज़ारे की अगुवाई में चल रहे आंदोलन से अरविंद राजनीति के फलक पर
उभरे.उस दौरान रामलीला मैदान के मंच पर उनके साथ कई ऐसे लोग थे जो अब अलग अलग राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं.
इनमें पहला नाम दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी की ओर से उम्मीदवार किरण बेदी का है.
किरण बेदी
वे कभी आम आदमी पार्टी से नहीं जुड़ीं लेकिन अन्ना हज़ारे के करीबी सहयोगियों में उनका नाम भी लिया जाता था.वे कभी एक मंच पर साथ खड़े हुए थे और आज वे एक ही पद के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं.
हालांकि मतदान बाद के सर्वेक्षणों में किरण बेदी को अरविंद से पिछड़ता हुआ दिखाया जा रहा है.
शाज़िया इल्मी
शाज़िया इल्मी भी इंडिया अगेस्न्ट करप्शन के वक्त से ही अरविंद के साथ थीं. 'आप' की शुरुआत के वक्त भी अरविंद और उनका साथ बना हुआ था.लेकिन शाज़िया के सितारे चुनावी समर में कभी भी चमक नहीं पाए. वे दिसंबर 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में महज 326 वोटों से चुनाव हार गईं.
उनकी हार का सिलसिला लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा और वे गाज़ियाबाद से जनरल वीके सिंह के खिलाफ़ चुनाव लड़ीं और हार गईं.
शाज़िया का 'आप' से अलग हो कर बीजेपी में शामिल होना अरविंद के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा था. हालांकि शाज़िया इन चुनावों में भाग नहीं लिया है.
विनोद कुमार बिन्नी
'आप' के विधायक रहे बिन्नी इस बार बीजेपी के झंडे तले पटपड़गंज से मनीष सिसोदिया के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.बिन्नी के बागी तेवर उसी समय से जाहिर हो गए थे जब अरविंद केजरीवाल ने उन्हें अपनी कैबीनेट में जगह नहीं दी थी.
हालांकि बिन्नी इन आरोपों से इनकार करते हैं और अरविंद के साथ मतभेदों को 'आप' छोड़ने की वजह बताते हैं.
कैप्टन गोपीनाथ
कारोबार जगत काफी शोहरत पा चुके कैप्टन गोपीनाथ को भारत में कम कीमत वाली उड़ान सेवा की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है.आम आदमी पार्टी के साथ उनके जुड़ने को उद्योग जगत का 'आप' को लेकर एक सकारात्मक प्रतिक्रिया के तौर पर देखा गया था.
लेकिन बाद में उन्हें लगा कि 'आप' अपने उद्देश्यों से भटक गई है और 2014 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी.
जनरल वीके सिंह
जनरल वीके सिंह जन्मदिन की तारीख के विवाद के लिए भी जाने जाते हैं. तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार के साथ उनके रिश्ते को लेकर मीडिया में काफी कुछ कहा सुना जाता रहा.सेवानिवृत्ति के बाद जनरल सिंह इंडिया अगेस्न्ट करप्शन के मंच पर अन्ना हज़ारे के साथ दिखे. और फिर हरियाणा के रेवाड़ी में हुई रैली में वे मोदी के साथ मंच पर आए.
बीते लोकसभा चुनाव में उन्होंने गाज़ियाबाद से शाज़िया इल्मी को हराया और अभी वे मोदी कैबिनेट का हिस्सा हैं.
इनके अलावा पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त 'आप' के विधायक मनिंदर सिंह धीर और पार्टी नेता शकील अंजुम दहलवी ने अरविंद का दामन छोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था.
No comments:
Post a Comment