मोदी के लिए राजनीतिक भूकंप: अमरीकी मीडिया
अमरीकी
अख़बारों ने दिल्ली चुनाव परिणामों को एक भ्रष्टाचार विरोधी छोटी सी
पार्टी के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ज़बरदस्त हार के तौर पर
पेश किया है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे नरेंद्र मोदी के लिए एक
राजनीतिक भूकंप कहा है. अख़बार का कहना है कि जहां नरेंद्र मोदी ने अपने
विदेशी दौरों में एक के बाद एक कामयाबी हासिल की है, वहीं देश की
अर्थव्यवस्था में उनके शासन में अभी तक कोई ख़ास सुधार नज़र नहीं आया है.अख़बार का कहना है कि भारत में हर साल एक करोड़ 20 लाख नए लोग रोज़गार पाने की दौड़ में शामिल हो रहे हैं लेकिन मोदी सरकार उनके लिए गिनी-चुनी नौकरियां ही पैदा कर पाई है. इसके अलावा अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी संदेश ने नौजवान तबके को अपनी ओर खींचा है.
साथ ही जिस नरेंद्र मोदी ने नौ महीने पहले अपनी चायवाले की छवि जनता के सामने रखकर जीत हासिल की थी, वही मोदी अब 10 लाख रूपये से ज़्यादा कीमत वाला सूट पहने नज़र आते हैं जबकि केजरीवाल "मफ़लर मैन" के नाम से जाने जाते हैं जो छवि आम आदमी के ज़्यादा करीब नज़र आती है.
वाशिंगटन पोस्ट
वॉशिंगटन पोस्ट ने भी कुछ इसी तर्ज पर लिखा है कि जहां मोदी अपने हेलिकॉप्टर में बैठकर बड़ी-बड़ी चुनाव सभाओं में पहुंचकर भाषण दे रहे थे, वहीं केजरीवाल गली-कूचों में छोटी-छोटी सभाओं में स्थानीय मु्द्दों पर बात कर रहे थे.
चुनाव से ठीक पहले जहां मोदी मंहगे-मंहगे सूट पहनकर ओबामा के साथ चौबीसों घंटे मीडिया में नज़र आ रहे थे, वहीं केजरीवाल झुग्गी-झोपड़ियों में, तंग-गलियों में अपने सिर पर मफ़लर लपेटकर आम लोगों के साथ रिश्ता बनाने में जुटे हुए थे.
अख़बार का कहना है कि इस चुनाव को काफ़ी हद तक मोदी के राजनीतिक वर्चस्व के इम्तहान की तरह देखा जा रहा था लेकिन एक छोटी सी पार्टी ने उन्हें करारी मात दी है.
वॉल स्ट्रीट जरनल
वॉल स्ट्रीट जरनल का कहना है कि एक भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी के हाथों मोदी को करारी राजनीतिक शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है. अख़बार का कहना है कि केजरीवाल अब एक अहम राजनीतिक मंच पर हैं और दोनों ही नेता भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ माने जाते हैं लेकिन दोनों की राजनीतिक शैली इतनी अलग है कि आनेवाले दिनों में दोनों में ख़ासा टकराव नज़र आ सकता है.
अख़बार का कहना है कि आम आदमी पार्टी की इस जीत की बदौलत आनेवाले दिनों में केजरीवाल, मोदी की आर्थिक नीतियों और दक्षिणपंथी रूझान वाली पार्टी के ख़िलाफ़ एक गठबंधन खड़ा करने की हैसियत रखते हैं.
इसके अलावा जनता ने केजरीवाल में वही विश्वास दिखाया है जो लोकसभा चुनाव में उन्होंने मोदी में दिखाया था.
अमरीकी मीडिया में हाल के दिनों में भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िला़फ़ हुए हमलों का भी ख़ासा ज़िक्र रहा है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने तो इस पर काफ़ी सख़्त संपादकीय भी लिखा था.
वॉल स्ट्रीट जरनल ने लिखा है कि लोकसभा में भाजपा को मिली भारी जीत के बात हिंदूवादी ताक़तों ने एक आक्रामक रूख अपनाया, ख़ासतौर से मुसलमानों के ख़िलाफ़ और संभव है कि ये भी दिल्ली में भाजपा के ख़िलाफ़ गया हो.
लॉस ऐंजल्स टाइम्स
लॉस एंजिलिस टाइम्स ने भी दिल्ली में चर्चों पर हुए हमले और त्रिलोकपुरी में हुए दंगों का ज़िक्र किया है और लिखा है कि शायद वोटर हिंदू कट्टरपंथियों की बढ़ती ताक़त से घबरा गए हैं.
अख़बार ने आम आदमी पार्टी के समर्थकों की एक बड़ी सी तस्वीर भी प्रकाशित की है और लिखा है- ज़ाहिर है कि नौ महीनों में मोदी ने जो आर्थिक मंत्र सामने रखा है वो दिल्ली की जनता को मुग्ध नहीं कर पाया.
I am definitely enjoying your website. You definitely have some great insight and great stories.
ReplyDeleteSamsung Customer Service
Flipkart Customer Care Number
New Year Captions For Instagram Pictures
hollywood action movie in hindi
NCERT Books PDF Download
whatsapp profile status