तो भाजपा में अंतिम पारी खेल रहे हैं बुजुर्ग नेता
नरेंद्र मोदी व राजनाथ सिंह की जोड़ी के उदय के बाद भाजपा में अब कई बुजुर्ग नेता अपनी अंतिम पारी खेल रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी लंबे समय से चाहता है कि लालकृष्ण आडवाणी व डॉ. मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेता अब चुनावी राजनीति से विदा हो जाए।
लेकिन 2014 के सियासी महासंग्राम में लोकसभा में संख्या बल बढ़ाने के लिए हर दांव खेलने को तैयार भाजपा इस बार चुनाव जीतने की क्षमता रखने वाले सभी नेताओं को मैदान में उतारने की सोच रही है।
इसलिए आडवाणी व डॉ. जोशी से लेकर कल्याण सिंह, शांता कुमार, बीसी खंडूरी, जसवंत सिंह, सीपी ठाकुर जैसे उम्रदराज नेता भी आगामी लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाते नजर आएंगे। हालांकि अब साफ है कि इन नेताओं की लोकसभा की यह अंतिम चुनावी पारी होगी।
यह बात सभी जानते हैं कि अटल-आडवाणी के युग में भाजपा में दूसरी पंक्ति का नेतृत्व समय पर नहीं उभर पाया। अब नरेंद्र मोदी के तौर पर नये नेतृत्व को सामने लाने के लिए संघ समेत भाजपा को भारी मशक्कत करनी पड़ी है।
सूत्रों के अनुसार इसलिए संघ पहले ही आडवाणी और डॉ. जोशी को संकेत दे चुका है कि उन्हें लोकसभा की बजाए अब राज्यसभा की राजनीति करनी चाहिए।
संघ मानता है कि जब तक भाजपा की केंद्रीय राजनीति से उम्र दराज नेताओं का दखल कम नहीं होगा, पार्टी आगे नहीं बढ़ पाएगी।
हालांकि इस बार दोनों को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है क्योंकि किसी एक को चुनाव से अलग रख पाना भाजपा तो दूर संघ के लिए भी आसान नहीं होगा।
वैसे अभी तय यह साफ नहीं है कि इस बार आडवाणी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। मोदी का लगातार विरोध करने के कारण आडवाणी अब भोपाल से चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं।
डॉ. जोशी को लेकर भी चर्चा है कि वे भी सुरक्षित सीट तलाश रहे हैं। इन दोनों नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने पर अन्य बुजुर्ग नेताओं को भी भाजपा मना नहीं कर पाएगी क्योंकि पार्टी इस बार एक-एक सीट पर मेहनत कर रही है और जिताऊ उम्मीदवार तलाश रही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी लंबे समय से चाहता है कि लालकृष्ण आडवाणी व डॉ. मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेता अब चुनावी राजनीति से विदा हो जाए।
लेकिन 2014 के सियासी महासंग्राम में लोकसभा में संख्या बल बढ़ाने के लिए हर दांव खेलने को तैयार भाजपा इस बार चुनाव जीतने की क्षमता रखने वाले सभी नेताओं को मैदान में उतारने की सोच रही है।
इसलिए आडवाणी व डॉ. जोशी से लेकर कल्याण सिंह, शांता कुमार, बीसी खंडूरी, जसवंत सिंह, सीपी ठाकुर जैसे उम्रदराज नेता भी आगामी लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाते नजर आएंगे। हालांकि अब साफ है कि इन नेताओं की लोकसभा की यह अंतिम चुनावी पारी होगी।
यह बात सभी जानते हैं कि अटल-आडवाणी के युग में भाजपा में दूसरी पंक्ति का नेतृत्व समय पर नहीं उभर पाया। अब नरेंद्र मोदी के तौर पर नये नेतृत्व को सामने लाने के लिए संघ समेत भाजपा को भारी मशक्कत करनी पड़ी है।
सूत्रों के अनुसार इसलिए संघ पहले ही आडवाणी और डॉ. जोशी को संकेत दे चुका है कि उन्हें लोकसभा की बजाए अब राज्यसभा की राजनीति करनी चाहिए।
संघ मानता है कि जब तक भाजपा की केंद्रीय राजनीति से उम्र दराज नेताओं का दखल कम नहीं होगा, पार्टी आगे नहीं बढ़ पाएगी।
हालांकि इस बार दोनों को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है क्योंकि किसी एक को चुनाव से अलग रख पाना भाजपा तो दूर संघ के लिए भी आसान नहीं होगा।
वैसे अभी तय यह साफ नहीं है कि इस बार आडवाणी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। मोदी का लगातार विरोध करने के कारण आडवाणी अब भोपाल से चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं।
डॉ. जोशी को लेकर भी चर्चा है कि वे भी सुरक्षित सीट तलाश रहे हैं। इन दोनों नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने पर अन्य बुजुर्ग नेताओं को भी भाजपा मना नहीं कर पाएगी क्योंकि पार्टी इस बार एक-एक सीट पर मेहनत कर रही है और जिताऊ उम्मीदवार तलाश रही है।
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