NATIONAL SHAME2 INDIA:
Pregnant Woman Cross the River by Swimming 90 Mins To Safety | नौ माह की गर्भवती को उफनती नदी पार कर पहुंचना पड़ा अस्पताल
Pregnant Woman Cross the River by Swimming 90 Mins To Safety | नौ माह की गर्भवती को उफनती नदी पार कर पहुंचना पड़ा अस्पताल
Aug 04, 2014, 13:18PM IST
(फोटोः गांव वालों के साथ येल्लावा)
बेंगलुरु. नौ महीने की गर्भवती महिला येल्लावा (22) ने अपने
बच्चे के सुरक्षित जन्म के लिए उफनती नदी में छलांग लगा दी और सकुशल इस नदी
को पार कर अस्पताल भी पहुंच गई। येल्लावा को तैरना नहीं आता था। फिर भी वह
करीब डेढ़ घंटे तैरकर किनारे सही सलामत पहुंची।
उत्तरी कर्नाटक के यादगीर जिले के गांव नीलकंठरायनागढ़े की रहने वाली
येल्लापा के लिए समस्या नजदीकी कृष्णा नदी का जल स्तर बढ़ना था। आसपास कोई
ठीक-ठाक हॉस्पिटल भी नहीं था और उसे चार किलोमीटर दूर के हॉस्पिटल ले जाने
के लिए कोई नाविक तैयार नहीं था। हैरतअंगेज कारनामे को अंजाम देने वाली
येल्लावा ने 90 मिनट में अकेले ही नदी पार करके ऐसी बहादुरी का परिचय दिया
कि हर साल बाढ़ का दंश झेलने वाले लोग हैरान हैं।
(फोटोः अपने पिता, भाई और अन्य गांव वालों के साथ येल्लावा)
पहला बच्चा है, सुरक्षित जन्म देना चाहती थी-
येल्लावा ने बताया ''यह मेरा पहला बच्चा है और मैं इसे बेहद प्यार
करती हूं। गांव में बच्चे के जन्म के लिए साधारण सुविधा तो है, लेकिन मैं
नजदीकी अस्पताल पहुंचना चाहती थी, ताकि बच्चे का जन्म सुरक्षित रूप से हो
सके। नदी का जलस्तर बढ़ रहा था, इसलिए लोगों ने भी काफी मना किया, लेकिन
मैं फैसला कर चुकी थी।''
दूसरी पत्नी है येल्लावा
बहादुर येल्लावा गद्दी बालप्पा की दूसरी पत्नी है। वह गांव में मजदूरी करता है। बताया गया कि येल्लावा को पति बालप्पा पसंद नहीं करता, इसलिए उसकी देखभाल पिता और भाई ही करते हैं। जब येल्लावा की तबियत बिगड़ी तो उसके पिता ने ही उसे नदी पार करने के लिए प्रेरित किया। इतना ही नहीं, येल्लावा के भाई ने सूखे हुए सीताफल और लौकी को उसके शरीर से बांध दिए ताकि कुछ हल्कापन लगे। हालांकि येल्लावा के साथ उसके पिता और भाई भी साथ-साथ नदी में उतरे थे और कुछ गांव वालों भी थे, लेकिन नदी पार करने के बाद येल्लावा की हिम्मत के सभी मुरीद हो गए।
बहादुर येल्लावा गद्दी बालप्पा की दूसरी पत्नी है। वह गांव में मजदूरी करता है। बताया गया कि येल्लावा को पति बालप्पा पसंद नहीं करता, इसलिए उसकी देखभाल पिता और भाई ही करते हैं। जब येल्लावा की तबियत बिगड़ी तो उसके पिता ने ही उसे नदी पार करने के लिए प्रेरित किया। इतना ही नहीं, येल्लावा के भाई ने सूखे हुए सीताफल और लौकी को उसके शरीर से बांध दिए ताकि कुछ हल्कापन लगे। हालांकि येल्लावा के साथ उसके पिता और भाई भी साथ-साथ नदी में उतरे थे और कुछ गांव वालों भी थे, लेकिन नदी पार करने के बाद येल्लावा की हिम्मत के सभी मुरीद हो गए।
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