Sunday 3 August 2014

नेपाल में PM नरेंद्र मोदी का भव्‍य स्‍वागत, अपने परिवार से मिला मोदी का 'धर्मपुत्र' जीत बहादुर | चीन का बढ़ता असर कम कर पाएंगे मोदी?

नेपाल में PM नरेंद्र मोदी का भव्‍य स्‍वागत, अपने परिवार से मिला मोदी का 'धर्मपुत्र' जीत बहादुर  | चीन का बढ़ता असर कम कर पाएंगे मोदी?
नई दिल्ली, 3 अगस्त 2014 | अपडेटेड: 15:07 IST
 
टैग्स: नरेंद्र मोदी| नेपाल| दिल्ली| काठमांडू| प्रधानमंत्री
जीत बहादुर और उसके परिवार वालों के साथ नरेंद्र मोदी
दो दिनों के दौरे पर नेपाल पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्‍य स्‍वागत किया गया. नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने काठमांडू के त्रिभुवन एयरपोर्ट पर मोदी की अगुवाई की. इस दौरान नेपाली मंत्रिमंडल के सदस्‍य और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मौजूद थे. हवाई अड्डे पर नेपाल के उप प्रधानमंत्री बाम देव गौतम और प्रकाश मान सिंह भी मौजूद थे. मोदी को 19 तोपों की सलामी दी गई. मोदी को हवाई अड्डे पर ही रंगारंग समारोह में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और इस मौके पर भारत और नेपाल के राष्ट्रगान बजाए गए.पीएम मोदी के साथ जीत बहादुर भी नेपाल गया है. मोदी ने 'धर्मपुत्र' जीत बहादुर को नेपाल में उसके माता-पिता से मिलवाया.   
(फोटो: जीत बहादुर के परिवार वालों से मिलते नरेंद्र मोदी)
हवाई अड्डे से होटल के बीच 10 मिनट के सफर के दौरान सड़कों पर लोग बड़ी संख्या में देखे गए. ये लोग झंडे लहरा रहे थे और अपने कैमरों एवं मोबाइल फोन से तस्वीरें ले रहे थे. नेपाल में मोदी के दौरे के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए गए हैं. 17 साल बाद ये पहला मौका है जब भारत के प्रधानमंत्री नेपाल के दौरे पर गए हैं
. (फोटो: काठमांडू में नरेंद्र मोदी को देखने के लिए उमड़ी भीड़)
मोदी नेपाल के पीएम सुशील कोइराला से भी मिलेंगे. पौने 3 बजे वो नेपाल के संसद पहुंचेंगे जहां वो स्पीकर और विपक्ष के नेता से मुलाकात करेंगे. करीब सवा 4 बजे नरेंद्र मोदी नेपाल के संसद को संबोधित करेंगे. (फोटो: काठमांडू में त्रिभुवन एयरपोर्ट पर मोदी का स्‍वागत)
काठमांडू में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा
इस बीच, काठमांडू छावनी में बदल गया है. एसपीजी के कमांडो काठमांडू पहुंच गए हैं जबकि नेपाली फौज चप्पे-चप्पे पर तैनात है. नेपाल सरकार ने काठमांडू में दो दिन की छुट्टी का भी ऐलान किया है. आसमान में नेपाली एयरफोर्स के हेलिकॉप्टरों का बेड़ा सबसे बड़े और सबसे कड़े सुरक्षा मिशन पर लगातार उड़ान भर रहे हैं. 3 अगस्त को प्लेन उतरने से लेकर वापसी की उड़ान भरने तक मोदी के इर्द-गिर्द चार लेवल का अभेद सुरक्षा घेरा मौजूद रहेगा. मोदी के सबसे करीब दिल्ली से गई एसपीजी की तगड़ी टीम होगी, करीब 20 कमांडो वाला ये ग्रुप अपने पूरे साजोसामान के साथ पहले ही काठमांडू कूच कर चुका है

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सुरक्षा के दूसरे स्तर पर नेपाली आर्मी के जांबाज कमांडो को तैनात किया गया है. सबसे आधुनिक हथियारों से लैस करीब सौ से ज्यादा कमांडो अपनी हिम्मत और हमले को लेकर दुनिया भर में मशहूर हैं. मोदी की सिक्योरिटी का तीसरा घेरा नेपाल की एंटी टेरेरिस्ट पुलिस के हवाले होगा. नेपाल में डी कंपनी समेत दूसरे अंडरवर्ल्ड गुटों की मौजूदगी की खबरों के बीच तीसरे स्तर की ये सुरक्षा काफी अहम हो जाती है. मोदी के सुरक्षा घेरे में चौथी कमान नेपाली पुलिस संभालेगी, जिसके जिम्मे उन इलाकों की चप्पे-चप्पे की तगड़ी निगरानी होगी, जहां जहां से मोदी का काफिला गुजरेगा.

चीन का बढ़ता असर कम कर पाएंगे मोदी?

नरेंद्र मोदी, सुशील कोइराला के साथ
भारत और नेपाल के बीच संबंध ऐतिहासिक हैं. मगर पिछले कुछ साल में चीन नेपाल को अपनी ओर लुभाने में सफल रहा है.
वहीं भारत ने नेपाल में चीन के बढ़ते असर को कम करने के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठाया.
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिशा में कामयाब होंगे?

पढ़ें संवाददाता  का विश्लेषण

पिछले दो दशकों से चीन ख़ामोशी से लेकिन पूरी दृढ़ता के साथ बर्मा, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल में अपना असर बढ़ा रहा है.
चीन के काम करने का तरीका सरल है. चीन पैसे से मदद नहीं करता, बल्कि इन देशों में बुनियादी ढांचा बनाने का बीड़ा उठाता है.
चीन ने इन देशों में सड़कें, पुल, बंदरगाह और हवाईअड्डों के कई प्रोजेक्ट पूरे किए हैं.
सुषमा स्वराज, नेपाल दौरे के समय
नेपाल में चीन ने काफ़ी काम किया है. इस कारण नेपाल साफ़ तौर पर चीन के प्रभाव में आया है और भारत का असर थोड़ा कम हुआ है.
एक समय था जब काठमांडू में भारतीय दूतावास सबसे असरदार जगह थी.
क्या मोदी उस असर को बहाल कर सकने में सफल होंगे? यह अब इतना आसान नहीं दिखता.

हिमालयी देशों का संगठन?

चीन
नेपाल, भूटान, भारत और चीन की सरहदें एक दूसरे से मिलती हैं और ये देश एक दूसरे के सहयोग से फ़ायदा उठा सकते हैं.
इस संदर्भ में पिछले साल चीन ने सहयोग का एक प्रस्ताव रखा था लेकिन तब यूपीए सरकार ने इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया था.
भारत को डर है कि इससे भूटान और नेपाल में चीन का असर और बढ़ जाएगा.
नरेंद्र मोदी की चीन के प्रति सोच अलग दिखती है. वह चीन से डरने के बजाय उससे सीखना चाहते हैं. वो गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चार बार चीन गए थे.
गुजरात में चीन ने काफी निवेश भी किया है, लेकिन मोदी अब प्रधानमंत्री हैं और देशहित को सामने रखकर ही अगला कदम उठाएंगे.
हिमालय
देखना यह है कि वह नेपाल के प्रधानमंत्री कोइराला के साथ बंद कमरे में बातचीत में चीन के भूत को कितना महत्व देते हैं?

'भारत विरोधी तत्वों' पर अंकुश

पिछले कुछ साल से काठमांडू 'भारत विरोधी तत्वों' का केंद्र सा बन गया है. भारत ने काठमांडू में पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के सक्रिय रहने का आरोप लगाया है.
चीन
भारत में पुलिस ने ऐसे कई कथित चरमपंथियों को पकड़ा है जो नेपाल के रास्ते भारत आए थे.
इस आवाजाही को रोकने के लिए नेपाल सरकार पर दबाव डालना मोदी के लिए एक बड़ी चुनौती है.
भारत के पड़ोसी देश अक्सर यह शिकायत भी करते रहे हैं कि भारत बिग ब्रदर जैसा सुलूक करता है और इसमें शायद कुछ सच भी हो.
हालांकि नरेंद्र मोदी ने इस शिकायत को पहले दूर करने की कोशिश की है.
अपने शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण एशियाई देशों के नेताओं को बुलाकर उन्होंने पैग़ाम दिया कि भारत अपने पड़ोसियों का दोस्त है 'बिग ब्रदर' नहीं.

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