सऊदी अरब में तकरीबन 20 लाख भारतीय में से 95 प्रतिशत भारतीय प्रवासी वापस भारत भेजे
सऊदी अरब से निकाले गए 3.70 लाख अप्रवासी कामगार
रविवार, 23 मार्च, 2014 को 01:15 IST तक के समाचार
सऊदी अरब ने पिछले पांच महीनों में 370,000 विदेशी प्रवासी कामगारों को वापस भेजा गया है
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक आंतरिक मामलों के
मंत्रालय का कहना है कि दुनिया भर के अलग अलग देशों से काम के सिलसिले में
लोग यहां ठहरे विदेशी क्लिक करें
अवैध तरीके से यहां रह रहे थे और वे श्रम कानूनों का उल्लंघन भी कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि इन कामगारों ने निवास की शर्तों और श्रम कानूनों का उल्लंघन किया है. ये लोग प्रत्यर्पण का इंतजार कर रहे हैं.
निर्वासन केंद्र
नागरिक अधिकारों के समूह का कहना है कि ये प्रवासी मजदूर निर्वासन के इंतजार में भयावह परिस्थियों में दिन काट रहे हैं.सऊदी अरब में रोजगार का नया नियम यानि निताकत कानून लागू होने के बाद देश में अवैध ढ़ग से रहने वाले करीब 90 लाख अप्रवासी मजदूरों की पहचान की गई.
लागू की गई आम माफ़ी की अवधि नवंबर में समाप्त हो गई. अवधि समाप्त हो जाने के बाद प्रशासन अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी कामगारों की धरपकड़ शुरू कर उन्हें निर्वासित करना शुरू कर दिया.
90 लाख अप्रवासी
एक अनुमान के मुताबिक सऊदी अरब में करीब 90 लाख अप्रवासी कामगार रहते हैं. ये सऊदी अरब में कार्यरत कुल लोगों की आधी संख्या के बराबर हैं.
अप्रवासी कामगार सऊदी अरब के दफ़्तरों और उद्योगों में कार्यरत हैं तथा मज़दूरी भी करते हैं.
अरब देशों में सऊदी अरब सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन सऊदी नागरिकों में बेरोजगारी की दर 12 प्रतिशत है और प्रशासन अब इसे कम करने की कोशिशें कर रहा है.
भारत पर असर
नए 'निताकत क़ानून ' यानी कि श्रम क़ानून के मुताबिक सऊदी अरब से संचालित हर कंपनी में कम से कम 10 प्रतिशत कर्मचारी स्थानीय नागरिक होने चाहिए.
साल 2013 के आंकड़ों के मुताबिक सऊदी अरब में तकरीबन 20 लाख भारतीय काम करते हैं और इनमें से एक बड़ा तबका ऐसा है जो छोटे मोटे काम करने वाले श्रमिकों की श्रेणी में आता हैं.
सऊदी अरब में भारत के दूतावास के मुताबिक रविवार को समयसीमा समाप्त होने से पहले अवैध रूप से रह रहे 95 प्रतिशत भारतीय प्रवासी वापस लौट चुके हैं.
अप्रवासी कामगारों की वापसी का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. विदेशों में रह रहे भारतीयों ने पिछले साल करीब 70 अरब डॉलर भारत भेजे थे.
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