Tuesday, 25 March 2014

24 March World TB Day-Every Day Four Thousand People Affected To TB :: भारत में हर साल 18 लाख लोग और हर रोज लगभग 4 हजार लोग टीबी की चपेट में आते हैं और 1000 मरीजों की इस बीमारी की चपेट में आने से मौत हो जाती है--WHO

24 March World TB Day-Every Day Four Thousand People Affected To TB 
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भारत में हर साल 18 लाख लोग और हर रोज लगभग 4 हजार लोग टीबी की चपेट में आते हैं और 1000 मरीजों की इस बीमारी की चपेट में आने से मौत हो जाती है--WHO


भारत में हर साल 18 लाख लोग आ रहे हैं टीबी की चपेट में, जानिए कैसे बचें


Mar 24, 2014, 15:47PM IST

लाइफस्टाइल डेस्क. आज 'वर्ल्ड टीबी' डे है। हर साल 24 मार्च को विश्वभर में इस दिन को मनाया जाता है। इस साल वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इसका स्लोगन दिया गया है- रीच द थ्री मिलियन। इसका मतलब है कि दुनियाभर के 30 लाख लोगों तक इसका इलाज पहुंचाना, जो इस बीमारी से बच नहीं पाते हैं।
क्या है टीबी
टीबी बैक्टीरिया की वजह से होने वाली संक्रामक बीमारी है। इसे तपेदिक और क्षय रोग भी कहा जाता है। टीवी का वैज्ञानिक नाम माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्युलोसिस है। वैसे तो टीबी ज़्यादातर फेफड़े को प्रभावित करती है, लेकिन शरीर के किसी भी अंग पर इसका दुष्प्रभाव हो सकता है।
-एब्डॉमन, किडनी, स्पाइन, ब्रेन और शरीर के किसी भी अंग के हड्डी में तपेदिक हो सकता है।
-इसके अलावा शरीर में पौष्टिक खाने की कमी और एचआईवी पॉजिटिव होने से भी तपेदिक का इन्फेक्शन होता है।
जानिए भारत की हालत 
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में रोज लगभग 4 हजार लोग टीबी की चपेट में आते हैं और 1000 मरीजों की इस बीमारी की चपेट में आने से मौत हो जाती है। कभी लाइलाज रही टीबी का आज इलाज संभव है। 24 मार्च 1882 को सर रॉबर्ट कॉक ने सबसे पहले टीबी के बैक्टीरिया के बारे में बताया था इसलिए इस दिन 'टीबी दिवस 'मनाते हैं।
-वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपॉर्ट बताती है कि भारत में हर साल 18 लाख लोगों को टीबी की बीमारी अपनी चपेट में लेती है।
आगे  पढ़िए टीबी के लक्षणों के बारे में...



भारत में हर साल 18 लाख लोग आ रहे हैं टीबी की चपेट में, जानिए कैसे बचें
टीबी के लक्षण -
  • तीन हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी रहना
  • रोज शाम को बुखार आना
  • छाती में दर्द
  • वजन का घटना
  • भूख में कमी
  • बलगम के साथ खून आना
  • फेफड़ों का इन्फेक्शन बहुत ज्यादा होना
  • सांस लेने में दिक्कत
 पढ़िए टीबी से बचाव के उपाय



भारत में हर साल 18 लाख लोग आ रहे हैं टीबी की चपेट में, जानिए कैसे बचें
टीबी से बचाव के उपाय-
  • टीबी के इलाज के लिए सरकार ने जगह-जगह डॉट्स केंद्र खोले हुए हैं। यहां मरीज टीबी का फ्री इलाज करा सकते हैं।
  • टीबी के मरीज को दूध, पनीर, अंडे, चिकन और मछली खाने की सलाह दी जाती है। इन खाने की चीज़ों में प्रोटीन की ज़्यादा मात्रा होती है और टीबी के मरीज को हर रोज अपनी डाइट में 1.5 ग्राम प्रोटीन लेने की सलाह दी जाती है।
  • टीबी के इलाज के प्रथम चरण में व्यक्ति को संक्रमणमुक्त बनाया जाता है, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमण न हो।
आगे  पढ़िए टीबी से संबंधित तथ्य


भारत में हर साल 18 लाख लोग आ रहे हैं टीबी की चपेट में, जानिए कैसे बचें
टीवी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य...
भारत, चीन और अफ्रीका में टीबी के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है।
टीबी उन लोगों को जल्दी चपेट में लेता है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।
टीबी किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है।
टीबी कोई आनुवंशिक बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, लेकिन इसके इलाज को बीच-बीच में छोड़ने पर स्थिति खतरनाक हो सकती है। मरीज की मौत तक होने की संभावना रहती है।
एल्कोहल का सेवन करने वाले व्यक्ति को टीबी जल्दी अपनी चपेट में लेता है।
टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को सामान्य लोगों की तुलना में टीबी होने का खतरा ज़्यादा रहता है।
बच्चों को टीबी से बचाने के लिए टीबी वैक्सीन लगाना ज़रूरी है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की 2012 की रिपोर्ट के कुछ आंकड़े –
यह रिपोर्ट बताती है कि हर देश में एक लाख व्यक्तियों में से 40 व्यक्ति टीबी से ग्रसित हैं।
क्रमश:
साउथ अफ्रिका-
टीबी के मरीज- 530000
 एक लाख जनसंख्या में टीबी से ग्रसित व्यक्ति-1003
भारत
टीबी के मरीज- 2200000
 एक लाख जनसंख्या में टीबी से ग्रसित व्यक्ति- 176

आगे  पढ़िए टीबी पर WHO की रिपोर्ट..


भारत में हर साल 18 लाख लोग आ रहे हैं टीबी की चपेट में, जानिए कैसे बचें
साल 2012 में टीबी के सबसे ज्यादा नए मामले एशिया में देखे गए। इसका वैश्विक तौर पर 60 फीसदी के करीब आकलन किया गया है. आबादी के अनुपात के हिसाब से सबसे ज्यादा नए मामले अफ्रीका के सब-सहारा क्षेत्र में पाये गये हैं। साल 2012 में यहां प्रत्येक एक लाख की आबादी में टीबी के हजार से भी ज्यादा मामले पाए गए।



साल 2012 में टीबी के तकरीबन 80 फीसदी मामले 22 देशों में पाये गए। कुछ देशों में इसके मामले जरूर कम हुए हैं, लेकिन इनके कम होने की दर बहुत धीमी है। इन 22 देशों में ब्राजील और चीन का उदाहरण इस मामले में उल्लेखनीय माना जा सकता है, जहां पिछले 20 वर्षों में टीबी के मामले बहुत हद तक कम हुए हैं।
चीन में प्रत्येक एक लाख आबादी में टीबी के 83 मामले पाए गए।
कंबोडिया में भी पिछले एक दशक में इस बीमारी में 45 फीसदी कमी आई है।
(स्त्रोत-वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन)
‘इन द साउथ इस्ट एशिया रीजन’ नामक एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2010 में दक्षिण-पूर्वी एशिया में टीबी के लगभग 50 लाख संभावित मामले सामने आए। डॉट्स अभियान के चलते टीबी से मरनेवालों की संख्या भले ही कम हुई हो, लेकिन अब भी हर साल इस क्षेत्र में लगभग पांच लाख लोग मौत का शिकार हो रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जहां टीबी के नये मरीजों में एमडीआर-टीबी दो से तीन फीसदी की दर से बढ़ रहा है, वहीं टीबी के मौजूदा मरीजों में यह दर 12 से 17 फीसदी है। ( स्त्रोत- इन द साउथ इस्ट एशिया रीजन)
अमेरिका में टीबी के मरीज
सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 11.2 मिलियन ( लगभग एक करोड़ 12 लाख) लोग टीबी से ग्रसित हैं। अमेरिका की कुल आबादी की चार प्रतिशत जनता टीबी इन्फेक्शन की शिकार है।
साल 2013 में अमेरिका में 9,588 टीबी के केस देखे गए।
क्लिक कीजिए आगे की स्लाइड्स और पढ़िए दुनिया के किन महान लोगों को टीबी ने लिए अपनी चपेट में..


भारत में हर साल 18 लाख लोग आ रहे हैं टीबी की चपेट में, जानिए कैसे बचें
नेल्सन मंडेला
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और रंगभेद के खिलाफ आंदोलन लड़ने वाले महान गांधीवादी नेता स्वर्गीय नेल्सन मंडेला को साल 1988 में केपटाउन में कारावास के दौरान टीबी ने चपेट में ले लिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने इलाज कराया। 5 दिसंबर 2013 को फेफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से मंडेला की मौत हो गई।

भारत में हर साल 18 लाख लोग आ रहे हैं टीबी की चपेट में, जानिए कैसे बचें
चेखव
महान रूसी लेखक अन्तोन पव्लोविच चेखव की मौत टीबी से हुई। 15 जुलाई सन् 1904 की रात टीबी से चेखव की तबीयत काफी बिगड़ गई। उन्होंने शैम्पेन पिया और बिस्तर पर लेट गए और थोड़ी देर बाद उनकी मृत्यु हो गई।

 आगे पढिए किस-किस को हुआ टीबी




-आंचलिक उपन्यास को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले उपन्यासकार फणीश्वरनाथ रेणु की मौत भी टीबी से ही हुई थी।
-सिंगर सर टोम जेम्स को 12 साल की उम्र में टीबी हुआ था। इसकी वजह से वो दो साल तक बीमार रहे।
- इसके अलावा महान रूसी लेखक हेनरी पंचम, जॉन लॉक, रूसो, जेन ऑस्टिन, जॉर्ज ऑरवेल को मौत भी टीबी की वजह से ही हुई।
टीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले डॉक्टर पॉल एरलिक और जॉन कैनेटी की मौत भी टीबी से ही हुई।

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