Tuesday 25 March 2014

सोनी सोरी: 'माओवादियों की साथी', अब माओवादियों का बहिष्कार :::: बस्तर लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सोनी सोरी

सोनी सोरी: 'माओवादियों की साथी', अब माओवादियों का बहिष्कार 

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बस्तर लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सोनी सोरी


सोनी सोरी
सोनी सोरी को माओवादियाों की मदद के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
माओवादियों ने बस्तर लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सोनी सोरी पर चुनाव लड़कर सरकार को फ़ायदा पहुँचाने और टाटा एवं एस्सार समूह की कथित लूट में सहयोग देने का आरोप लगाया है.
माओवादियों ने प्रेस को जारी एक बयान में जनता से सोनी सोरी का और चुनाव का बहिष्कार करने की भी अपील की है.
इस बयान में लोकसभा चुनाव में खड़े हुए अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों के भी बहिष्कार करने की बात भी कही गई है.
इस मामले में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुनील कुजूर का कहना है, "हमारे पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. जब कोई जानकारी सामने आएगी, तभी हम इस मामले में की जाने वाली कार्रवाई के बारे में कुछ कह सकते हैं."

सांठगांठ के आरोप

ग़ौरतलब है कि क्लिक करें सोनी सोरी पर माओवादियों से कथित सांठगांठ और एस्सार समूह से 'सुरक्षा के बदले पैसे वसूलने' के आरोप हैं. उन्हें कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम ज़मानत दी है.
तीन दिन पहले ही सोनी सोरी ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की हैसियत से बस्तर लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया है.
अब माओवादियों की दक्षिण रीज़नल कमेटी के सचिव गणेश उईके ने एक बयान जारी कर आम आदमी पार्टी के नेता क्लिक करें अरविंद केजरीवाल और सोनी सोरी के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगाए हैं.
इस बयान में माओवादी नेता ने कहा है, "सोनी सोरी माओवादियों की मदद देने के नाम पर पुलिस प्रशासन के ज़ुल्म और अत्याचार का शिकार होकर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनकर सरकार की दमनकारी नीति, अत्याचार, टाटा और एस्सार की लूट में सहयोग दे रही है. साथ ही सोनी सोरी लोकसभा प्रत्याशी बन कर सरकार को फ़ायदा पहुंचाने का काम कर रही है, जिसे जनता को कोई लाभ नहीं है."

केजरीवाल पर आरोप

सोनी सोरी
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी के अनुसार सोनी सोरी के साथ पुलिस हिरासत में यौन हिंसा हुई थी.
अपने बयान में क्लिक करें माओवादी नेता ने आम आदमी पार्टी पर विदेशी साम्राज्यवादियों की कथित मदद करने और विदेशों से कथित फंडिंग का आरोप लगाते हुए केजरीवाल पर भ्रष्टाचार और महंगाई के ख़िलाफ़ लड़ाई का ढोंग रचने और निजीकरण में शामिल होने की बात कही है.
माओवादियों ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान 'नोटा' में वोट देने से कोई लाभ नहीं होने का उल्लेख करते हुये अपने बयान में कहा है, "सही लोकतंत्र के लिए और जनाधिकार के लिए चुनाव के बजाए जनहित पर आगे बढ़ना होगा."
इस बयान में चुनाव के दौरान सुरक्षाबलों के ख़िलाफ़ हिंसक कार्रवाईयों की चेतावनी देते हुए अपनी पूरी तैयारी की बात भी कही गई है.
नक्सल प्रभावित बस्तर के एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका, सोनी सोरी को पांच अक्तूबर 2011 को क्राइम ब्रांच और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त अभियान में दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया था.
सोनी सोरी के ख़िलाफ़ राज्य सरकार ने नक्सल गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था और उनके ख़िलाफ़ आठ अलग-अलग मुक़दमे दर्ज किए गए थे.

हिरासत के दौरान शोषण

सोनी सोरी
सोरी पर दर्ज आठ मामलों में से पाँच में वो निर्दोष क़रार हो चुकी हैं.
इनमें से पांच मामलों में सोनी सोरी को पहले ही निर्दोष क़रार दे दिया गया है. इसके अलावा एक मामला बंद हो चुका है और दो मामलों में उन्हें ज़मानत मिल चुकी है.
सोनी सोरी का मामला तब चर्चा में आया, जब अक्तूबर 2011 में कोलकाता के एक अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने सर्वोच्च अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सोरी के शरीर में कुछ बाहरी चीज़ें पाई गईं. लेकिन टीम यह नहीं तय कर पाई कि ये चीज़ें कैसे उनके जननांगों में पहुँचीं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की भारत इकाई ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह को एक ख़त लिखकर सोनी सोरी के उन आरोपों की जांच की मांग की थी, जिनमें उन्होंने हिरासत के दौरान यौन शोषण और हिंसा का शिकार होने का आरोप लगाया था.
एमनेस्टी के अनुसार आठ और नौ अक्टूबर, 2011 को पुलिस हिरासत में सोनी सोरी को पीटा गया, उनसे यौन हिंसा की गई और क्लिक करें बिजली के झटके दिए गए. 


मुझे बिजली के झटके दिए गए थे: सोनी सोरी

 गुरुवार, 14 नवंबर, 2013 को 19:47 IST तक के समाचार

सोनी सोरी
सोनी सोरी छत्तीसगढ़ के बस्तर के एक स्कूल में शिक्षक थीं.
छत्तीसगढ़ के बस्तर के एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका, सोनी सोरी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिल गई है. सोनी सोरी को पांच अक्तूबर 2011 को क्राइम ब्रांच और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त अभियान में दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया था.
उनका मामला तब चर्चा में आया था जब अक्तूबर 2011 में कोलकाता के एक अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कहा कि सोनी के शरीर में कुछ बाहरी चीज़ें पाई गईं.
अंतरिम ज़मानत मिलने के बाद सोनी सोरी ने बीबीसी संवाददाता विनीत खरे से बातचीत में कहा कि उन्हें राहत मिलने से आदिवासियों में भी उम्मीद जगी है.

आपने पुलिस पर किन अत्याचार के आरोप लगाए हैं?

मैंने पहले भी कहा है कि मुझे निर्वस्त्र किया गया. करंट छोड़ा गया. ये सच है मेरे साथ ऐसा हुआ था.
सोनी सोरी
सोनी सोरी की गिरफ़्ताी के खिलाफ मानवाधिकार संगठन लंबे अरसे से प्रदर्शन कर रहे थे.
मैं एक आदिवासी हूं, मैंने सोचा था कि अपने लोगों को पढ़ा-लिखा कर आगे बढ़ाऊंगी. आज मेरे पास कई केस डाल दिए गए, कुछ में मैं बरी भी हो गई, इस केस में भी मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं बरी हो जाऊंगी.
इससे सिर्फ़ मेरी ही बर्बादी नहीं हुई, जिन बच्चों को मैं अपने आश्रम में पढ़ा रही थी उनका भी भविष्य अंधकार में है. कुछ बच्चे भाग गए हैं. जितना इलाके का विकास होना था वो नहीं हो पाया.

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की हालत पर काफी कुछ लिखा गया है, आप क्या सोचती हैं?

मुझे लगता है कि आदिवासियों को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए. अगर अच्छी शिक्षा मिलेगी तो जो हो रहा है वो ख़त्म हो जाएगा. ताकि इन्हें अच्छे-बुरे की समझ आ सके. जब मैंने ग़लती ही नहीं की तो क्यों अत्याचार सहूं. इसके खिलाफ मैं लड़ी, बहुत दिक्कत हुई.
सब की मदद से मैंने लड़ाई को यहां तक पहुंचाया. सुप्रीम कोर्ट ने जो मुझे राहत दी है वो मेरे लिए ही नहीं है बल्कि आदिवासियों में भी विश्वास जगा है कि आज हमारे लिए और भी दरवाज़े हैं.

आप पर आरोप लगे कि आप माओवादियों की समर्थक हैं, क्या कहेंगी आप?

मैं कहती हूं कि ऐसा था तो मुझे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया, वारंट बनाकर क्यों रखे गए. अगर मैं नक्सलियों की समर्थक होती तो अपने पिता को क्यों नहीं बचा पाई. आज मेरे तीनों भाई बिखरकर रह गए.

आपको पुलिस ने क्यों गिरफ़्तार किया?

मैं भी जानना चाहती हूं कि मुझे गिरफ़्तार क्यों किया गया.

याचिका में कहा गया था कि आपके शरीर में से पत्थर मिले, इसमें कितनी सच्चाई है?

वो मैं अभी नहीं बताऊंगी. ये बात मैं तब बताऊंगी जब मैं दिल्ली जाऊंगी. अभी मेरी मानसिक स्थिति ऐसी हो गई है. मुझसे पूछेंगे तो मुझे रोना आएगा.
अभी परिवार के बीच थोड़ा बोल पा रही हूं. अभी मेरे परिवार वालों ने मुझे घेर रखा है. अभी परिवार के सामने इस घटना को बताऊंगी तो परिवार को बहुत तकलीफ़ होगी.
ये नहीं पता कि परिवार के लोग कितना जानते हैं. गांव में रहते हैं. उन्हें तो ये देखकर डर लग रहा है कि इतनी पुलिस क्यों आई है



आप की छठी सूची में सोनी सोरी और शाज़िया



आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी ने शनिवार को 16वीं लोकसभा के चुनाव के लिए अपनी छठी सूची जारी कर दी है.
55 नामों की यह सूची जारी होने के बाद अब आप की तरफ से लोकसभा चुनावों के लिए कुल 242 उम्मीदवार हो गए हैं.
पार्टी ने इस सूची में पूरे भारत में अपनी ताल ठोकने की तैयारी की है.
क्लिक करें आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिए अपनी छठी सूची में 13 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है.

'बस्तर से सोनी सोरी'

सोनी सोरी
पेशे से शिक्षिका सोनी सोरी को पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिली थी.
लेकिन इस सूची में सबसे जाना पहचाना नाम छत्तीसगढ़ की क्लिक करें बस्तर लोकसभा सीट से सोनी सोरी का है.
उन्हें माओवादियों का समर्थन करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. पेशे से शिक्षिका सोनी सोरी को पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिली थी.
सोनी सोरी ने बीबीसी से बातचीत में कहा था कि उन्हें राहत मिलने से आदिवासियों में भी उम्मीद जगी है.
इसके अलावा उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट से कंचन चौधरी भट्टाचार्य को उतारा गया है जो देश की पहली महिला पुलिस महानिदेशक बनीं थीं.
साल 1973 के बैच की आईपीएस अधिकारी कंचन 2007 में रिटायर हुईं थीं. कंचन चौधरी इस साल फ़रवरी में आम आदमी पार्टी में शामिल हुईं थीं.

'दूसरी आईपीएस अधिकारी'

शाज़िया
शाज़िया को पहले सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ मैदान में उतारने की बात की जा रही थी.
इसके अलावा उत्तरप्रदेश की गाज़ियाबाद लोकसभा सीट के लिए आम आदमी पार्टी की नेता शाज़िया इल्मी को भी टिकट मिल गया है. पहले शाज़िया को रायबरेली से सोनिया गांधी के सामने खड़ा करने की बात की जा रही थी. गाज़ियाबाद सीट से कांग्रेस ने राज बब्बर को मैदान में उतारा है.
आम आदमी पार्टी ने अंडमान निकोबार, दादर और नागर हवेली, दमन और दीव, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश से लेकर ओडिशा, राजस्थान और उत्तराखंड तक से अपने उम्मीदवारों को खड़ा किया है.
पार्टी ने अपने सबसे अधिक उम्मीदवार ओडीशा और उत्तर प्रदेश से उतारे हैं. इन दो राज्यों में आम आदमी पार्टी के 10-10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.
पार्टी ने मध्य प्रदेश से सात, महाराष्ट्र से छह, राजस्थान से पांच, उत्तराखंड और छत्तीसग़ढ से तीन-तीन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है.


सोनी सोरी के समर्थन में भूख हड़ताल

 बुधवार, 29 फ़रवरी, 2012 को 19:14 IST तक के समाचार

सोनी सोरी के समर्थन में विरोध प्रर्दशन
आदिवासी महिला सोनी सोरी माओवादियों के साथ संबंध होने के आरोप में रायपुर जेल में बंद हैं.
माओवादियों के साथ संबंध होने के आरोप में रायपुर जेल में बंद आदिवासी महिला सोनी सोरी के समर्थन में बुधवार को नई दिल्ली में राजघाट पर महिला संगठनों और अन्य लोकतांत्रिक गुटों ने दिन भर की भूख हड़ताल की.
उनके समर्थन में बेंगलूरु, भोपाल, जयपुर, मुंबई और अमरीका के सैन फ़्रांसिस्को और बोस्टन शहरों में भी ऐसी हड़तालें आयोजित की गईं.
महिला संगठन, सहेली (विमेन अगेंस्ट सेक्श्यूल वायलेंस एंड स्टेट रिप्रैशन) की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक हाल ही में सोनी सोरी ने जेल से लिखे गए पत्रों में ज़िक्र किया था कि उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा है और उन्हें दर्द और रक्तस्राव हो रहा है.
पत्रों में सोनी ने जेल प्रशासन पर ये आरोप भी लगाया था कि उनके लगातार मांग करने के बावजूद अधिकारियों ने उन्हें समुचित चिकित्सा सुविधाएं मुहैया नहीं कराईं.

मेडिकल जांच की मांग

पिछले साल जब सोरी छत्तीसगढ़ की जगदलपुल जेल में थीं, तब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर छत्तीसगढ़ पुलिस पर हिरासत में प्रताड़ना के आरोप लगाए थे जिसके बाद कोर्ट ने कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में उनकी मेडिकल जांच के आदेश दिए थे.
तब सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार से जवाब तलब किया था जिसके बाद सोरी को जगदलपुर जेल से निकालकर रायपुर सेन्ट्रल जेल में रखे जाने का आदेश दिया गया.
हाल के पत्रों में सोनी सोरी ने आरोप लगाया है कि अक्तूबर 2011 में मेडिकल जांच के बाद उनका इलाज नहीं करवाया गया है.
इसके विरोध में महिला संगठनों ने मांग की है कि सोनी सोरी की तुरंत समुचित मेडिकल जांच हो और हिरासत में उन्हें तथाकथित तौर पर प्रताड़ित करने वाले पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्यवाई शुरु की जाए.

माओवादी होने का आरोप

प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका, सोनी सोरी को पांच अक्तूबर 2011 को क्राइम ब्रांच और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त अभियान में दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया था. उनपर माओवादियों के साथ संबंध होने के आरोप है. सोरी इन आरोपों से इनकार करती हैं.
लेकिन हिरासत में लिए जाने के एक हफ्ते के अंदर ही सोरी का एक वीडियो सामने आया जिसमें उन्हें दर्द से चीखते हुए देखा जा सकता था. इसके बाद सोरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा हिरासत में प्रताड़ना के आरोप लगाए गए थे.
 
 

प्रताड़ना के आरोपी अधिकारी को पुलिस पदक पर विवाद

 शुक्रवार, 27 जनवरी, 2012 को 13:45 IST तक के समाचार

सोनी सोढ़ी को छत्तीसगढ़ राज्य की जेल से हटाए जाने के लिए राजधानी में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
दंतेवाड़ा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग को वीरता के लिए दिए गए पुलिस पदक से विवाद छिड़ गया है.
सामाजिक संगठन गर्ग को इस तरह का पदक दिए जाने का विरोध कर रहे है क्योंकि उनके खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में एक आदिवासी महिला शिक्षक सोनी सोढ़ी को हिरासत में प्रताड़ित करने का मामला चल रहा है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सोनी सोढ़ी का मेडिकल परीक्षण कोलकाता के नीलरतन सरकारी मेडिकल कालेज एंड हॉस्पिटल में किया गया जहां पाया गया कि 'उनके गुप्तांगों में गोलियां और पत्थर' डाले गए.
सोढ़ी की तरफ से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिर्फ़ इतना ही नहीं, उन्हें हिरासत में बिजली के झटके भी दिए गए. इस मामले में सोढ़ी नें अंकित गर्ग को नामज़द अभियुक्त बनाया है.
सामाजिक संगठनों का कहना है कि अंकित गर्ग पर ऐसे गंभीर आरोप लगने की सूरत में उन्हें बहादुरी के लिए राष्ट्रपति का पदक देना ग़लत है.

महिला संगठनों ने की आलोचना

इस मामले में पुलिस के अधिकारी और राज्य सरकार कुछ भी कहने से कतरा रही है, अलबत्ता उनका कहना है कि गर्ग को दिए गए पुलिस पदक से सोनी सोढ़ी मामले का कोई लेना देना नहीं है.

वूमेन अगेंस्ट सेक्सुअल वायलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन

"क्या हिरासत में यातनाएं देना कोई बहादुरी का काम है जिसे सरकार प्रोत्साहित कर रही है?"
लेकिन सामजिक संगठन पुलिस अधिकारियों की इस दलील को ख़ारिज करते हुए कहते हैं कि सिर्फ सोनी सोढ़ी का मामला ही नहीं अंकित गर्ग पर हिरासत में यातनाएं देने के और भी आरोप हैं.
मुंबई स्थित महिलाओं की राष्ट्रीय संस्था वूमेन अगेंस्ट सेक्सुअल वायलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन यानी डब्लूएसएस ने एक बयान जारी कर कहा है, "क्या हिरासत में यातनाएं देना कोई बहादुरी का काम है जिसे सरकार प्रोत्साहित कर रही है?".
वहीं पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गर्ग को ये पदक, राजनांदगांव के पुलिस अधीक्षक के तौर पर एक नक्सली हमले का बहादुरी के साथ सामना करने के लिए दिया गया है.
उनका कहना है कि अक्तूबर 2010 में राजनांदगांव में माओवादी छापामारों और पुलिस बल में मुठभेड़ हुई जिसमें सुरक्षा बलों नें 6 नक्सलियों को मार गिराया था.
अंकित गर्ग पुलिस दल का नेतृत्व कर रहे थे. मगर इसी मुठभेड़ में दो आम नागरिकों की भी गोली लगने से मौत हुई थी. इनमे से एक मज़दूर था जबकि एक गूंगा और बहरा था.
पुलिस नें दलील दी थी कि यह दोनों लोग माओवादियों और पुलिस की गोलीबारी के बीच फंस गए थे. लेकिन ये दावा विवादित रहा है.
 



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