Dadasaheb Phalke Award 2013 GOES TO GULJAR
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List of All Dadasaheb Phalke Award Between 1969 to 2013
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जितेंद्र,मनोज कुमार के नाम पर विरोध के चलते गुलजार को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड
Apr 13, 2014,
नई दिल्ली. मशहूर गीतकार और लेखक गुलजार को साल 2013 के दादा
साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। दादा साहेब फाल्के अवार्ड
सिनेमा के क्षेत्र में दिए जाना वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। इस प्रतिष्ठित
सम्मान के लिए जितेंद्र के नाम की भी चर्चा थी, लेकिन उनके नाम को लेकर
फिल्म इंडस्ट्री में सहमति नहीं बन पाई थी। सलमान खान
के पिता और मशहूर लेखक सलीम खान ने देशभक्ति की कई फिल्में बनाने वाले
मनोज कुमार को यह पुरस्कार देने की वकालत की थी। लेकिन आखिरकार गुलजार को
फाल्के अवॉर्ड से नवाजे जाने की घोषणा की गई।
बीस फिल्म फेयर अवॉर्ड भी जीत चुके हैं गुलजार
79 वर्षीय गुलजार सर्वाधिक फिल्मफेयर पुरस्कार जीतकर रिकॉर्ड बना चुके
हैं। उन्होंने 20 बार यह पुरस्कार जीता है। गीतकार और संवाद लेखक के तौर
पर प्रतिष्ठा अर्जित करने वाले गुलजार ने कईं यादगार फिल्मों का निर्देशन
भी किया। बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म 1971 में आई। फिल्म का नाम था-
मेरे अपने। चर्चित फिल्म 'स्लमडॉग मिलेनियर' के गीत 'जय हो' भी गुलजार ने
लिखा था। इसके लिए एआर रहमान को ऑस्कर अवॉर्ड भी मिल चुका है।
2001- यह सम्मान मशहूर बंगाली अभिनेता सौमित्र चटर्जी को दिया गया। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने उन्हें सम्मानित किया।
2010- मशहूर निर्देशक और स्क्रिप्ट राइटर के बालाचंदर को
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा था।
बालाचंदर ज्यादातर तमिल फिल्मों में काम करते रहे हैं।
Dadasaheb Phalke Award
From Wikipedia, the free encyclopedia
Dadasaheb Phalke Award | ||
Award Information | ||
---|---|---|
Category | Indian Cinema | |
Description | Lifetime Achievement award | |
Instituted | 1969 | |
First awarded | 1969 | |
Last awarded | 2013 | |
Total awarded | 45 | |
Awarded by | Govt. of India | |
Cash award | 1,000,000 | |
Medal | Swarna Kamal (Golden Lotus) | |
First awardee(s) | Devika Rani | |
Recent awardee(s) | Gulzar |
The Award is given to a prominent personality from the Indian film industry, noted and respected for significant contributions to Indian cinema. A committee consisting eminent personalities from the Indian film industry is appointed to evaluate the award. Introduced in 1969, the birth centenary year of Dadasaheb Phalke, considered as the father of Indian cinema,[1] award is given to recognise the contribution of film personalities towards the development of Indian Cinema and for distinguished contribution to the medium, its growth and promotion.
The award for a particular year is given during the end of the following year along with the National Film Awards. The award comprises a Swarna Kamal (Golden Lotus) medallion, a cash prize of 1 million and a shawl.[2]
The amount of the cash prize has varied over the years, as illustrated by the following table:
Year | Cash Prize |
---|---|
1969 – 1972 | A plaque, a shawl and 11,000 |
1973 – 1976 | A Gold medal, a shawl and 20,000 |
1977 – 1983 | A Gold medal, a shawl and 40,000 |
1982 – 2002 | Swarna Kamal, 100,000 and a Shawl |
2003 – 2005 | Swarna Kamal, 200,000 and a Shawl |
2006 – | Swarna Kamal, 1,000,000 and a Shawl |
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