HISTORICAL JUDGEMENT OF SC: Supreme Court recognizes transgenders as third gender :::: India is now first country in a hole word for Transgender :::: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, किन्नर है तीसरी लिंग श्रेणी, मिले विशेष दर्जा
"आज मुझे भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व हो रहा है. आज पहली बार मैं खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रही हूं."
लक्ष्मी नारायण, किन्नरों की नेता
नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2014 | अपडेटेड: 13:16 IST
किन्नरों पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट
ने लिंग के तीसरे वर्ग के रूप में ट्रांसजेंडर को मान्यता दी है. इसके साथ
किन्नरों की ऐसा दर्जा देने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं
मुहैया कराने के लिए केंद्र एवं राज्यों को निर्देश देते हुए कहा कि वे
सामाजिक रूप से पिछड़ा समुदाय हैं. उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए.
संविधान के आर्टिकल 14, 16 और 21 का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर देश के नागरिक हैं और शिक्षा, रोजगार एवं सामाजिक स्वीकार्यता पर उनका समान अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किन्नरों को विशेष दर्जा दिया जाए. इस समुदाय को भी बच्चे गोद लेने का अधिकार मिले.
किन्नरों के अधिकारों के लिए मुखर रूप
से पहल करने वाली किन्नरों की नेता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी सुप्रीम कोर्ट
के फैसले पर बेहद ख़ुशी जाहिर की और कहा कि आज वे खुद को संपूर्ण भारतीय
महसूस कर रही हैं.
लक्ष्मी नारायण ने कहा, "अभी तो केवल राज्य सरकार के साथ काम करना है. सुप्रीम कोर्ट ने तो फैसला दे दिया है. नई सरकार आएगी तो उसके साथ काम करेंगे."
इसके पहले निर्वाचन आयोग ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्ज़ा देकर उनको एक नई पहचान दी.
किन्नरों को तीसरे लिंग के रूप में पहचान तो मिल गई है, लेकिन सवाल है कि उनका अगला क़दम क्या होगा.
लक्ष्मी कहती हैं, "अभी तो सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी तौर पर अवसरों का दरवाजा खोला है. हमें इन अवसरों को आगे लेकर जाना है."
अदालत ने केंद्र सरकार को हुक्म जारी किया है कि
वो किन्नरों को स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा मुहैया करवाए. इसके बाद
उन्हें नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में भी अवसर मिलेंगे. क्या इसके साथ
कोई मुश्किल भी आएगी.
इस सवाल के जवाब में लक्ष्मी ने कहा, "संभव है कि ज़मीनी स्तर पर मुश्किलें आएं, लेकिन हम उनका सामना करेंगे. अभी तो जिंदगी में बहुत सारे बदलाव आने हैं."
वे कहती हैं, "बदलाव धीरे-धीरे आएगा. समाज को सतीप्रथा खत्म करने भी व़क्त लगा था. यहां आज भी बलात्कार के मामले सामने आते हैं. हमें तो आज अपना वजूद मिला है."
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा है कि किन्नरों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में देखा जाए.
इसके बारे में लक्ष्मीनारायण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला अभी उन्होंने नहीं पढ़ा है, और फ़ैसले की प्रति उन्हें शाम तक मिलेगी.
वो कहती हैं, "शाम को फैसले की प्रति पढ़ने के बाद में मैं इस बारे में कुछ कह पाऊंगी. मैं इस ख़ुशी का इंतजार है. मैं ये सोच कर रोमांचित हो रही हूं कि कैसे अब हमारी जिंदगी बदल जाएगी.'
उनकी बातों में अदालत के प्रति कृतज्ञता का भाव साफ़ झलकता है. वो कहती हैं, "आज मुझे भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व हो रहा है. आज पहली बार मैं खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रही हूं."
संविधान के आर्टिकल 14, 16 और 21 का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर देश के नागरिक हैं और शिक्षा, रोजगार एवं सामाजिक स्वीकार्यता पर उनका समान अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किन्नरों को विशेष दर्जा दिया जाए. इस समुदाय को भी बच्चे गोद लेने का अधिकार मिले.
सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व है: लक्ष्मी
मंगलवार, 15 अप्रैल, 2014 को 16:46 IST तक के समाचार
अपने वजूद के लिए बरसों से संघर्ष
कर रहे किन्नर समुदाय को आज एक राह मिल गई है. भारत के सुप्रीम कोर्ट ने
उन्हें स्त्री, पुरुष के बाद तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किन्नर इस देश के
नागरिक हैं और उन्हें भी शिक्षा, काम पाने और सामाजिक बराबरी हासिल करने का
पूरा हक़ है.लक्ष्मी नारायण ने कहा, "अभी तो केवल राज्य सरकार के साथ काम करना है. सुप्रीम कोर्ट ने तो फैसला दे दिया है. नई सरकार आएगी तो उसके साथ काम करेंगे."
इसके पहले निर्वाचन आयोग ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्ज़ा देकर उनको एक नई पहचान दी.
किन्नरों को तीसरे लिंग के रूप में पहचान तो मिल गई है, लेकिन सवाल है कि उनका अगला क़दम क्या होगा.
लक्ष्मी कहती हैं, "अभी तो सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी तौर पर अवसरों का दरवाजा खोला है. हमें इन अवसरों को आगे लेकर जाना है."
संपूर्ण भारतीय
इस सवाल के जवाब में लक्ष्मी ने कहा, "संभव है कि ज़मीनी स्तर पर मुश्किलें आएं, लेकिन हम उनका सामना करेंगे. अभी तो जिंदगी में बहुत सारे बदलाव आने हैं."
वे कहती हैं, "बदलाव धीरे-धीरे आएगा. समाज को सतीप्रथा खत्म करने भी व़क्त लगा था. यहां आज भी बलात्कार के मामले सामने आते हैं. हमें तो आज अपना वजूद मिला है."
"आज मुझे भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व हो रहा है. आज पहली बार मैं खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रही हूं."
लक्ष्मी नारायण, किन्नरों की नेता
इसके बारे में लक्ष्मीनारायण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला अभी उन्होंने नहीं पढ़ा है, और फ़ैसले की प्रति उन्हें शाम तक मिलेगी.
वो कहती हैं, "शाम को फैसले की प्रति पढ़ने के बाद में मैं इस बारे में कुछ कह पाऊंगी. मैं इस ख़ुशी का इंतजार है. मैं ये सोच कर रोमांचित हो रही हूं कि कैसे अब हमारी जिंदगी बदल जाएगी.'
उनकी बातों में अदालत के प्रति कृतज्ञता का भाव साफ़ झलकता है. वो कहती हैं, "आज मुझे भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व हो रहा है. आज पहली बार मैं खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रही हूं."
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