NPR-अवैध शरणार्थी|घुसपैठिए पहचान: अब दस्तावेजों से साबित करनी होगी अपनी 'राष्ट्रीयता', अवैध शरणार्थी नहीं कर पाएंगे वोट!::::3 year deadline for npr rollout link to voter id likely
'अवैध' रूप से देश में रह रहे लोगों की पहचान के चुनावी वादे के मद्देनजर केंद्र सरकार अब सक्रिय हो गई है. गृह
मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नागरिकों की पहचान की प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए हैं. मंत्रालय ने नागरिकों
को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) में रजिस्टर करने के लिए अधिकारियों को तीन साल का वक्त दिया है. सरकार
चाहती है कि देश भर में घर-घर जाकर वेरिफिकेशन किया जाए और सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही एनपीआर
कार्ड दिए जाएं.
वोट देने के लिए जरूरी होगा NPR कार्ड?
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के मुताबिक, सरकार एनपीआर को वोटिंग अधिकार से भी जोड़ने की योजना बना रही है. अगर ऐसा हुआ तो वोट करने के लिए वोटिंग पहचान पत्र के साथ एनपीआर कार्ड भी साथ ले जाना पड़ेगा.
गृह मंत्री ने 19 जून को भारत के रजिस्ट्रार जनरल के साथ बैठक की और एनपीआर प्रोजेक्ट में तेजी लाने को कहा. जिन अधिकारियों को यह काम दिया जाएगा वे 2011 के जनगणना आंकड़ों के आधार पर काम करेंगे. लोगों को अपनी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए 6 तरह के तय दस्तावेजों में से कोई एक दिखाना होगा. इन दस्तावेजों का जिक्र 1955 के सिटीजनशिप एक्ट में किया गया है.
UPA लेकर आई थी NPR का कंसेप्ट
अखबार ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि यह एक बड़ा अभियान होगा और पूरी प्रक्रिया को तहसील दफ्तर से पूरा किया जाएगा. यहां रेवेन्यू अफसर हर जिले में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर नजर रखेंगे.
एनपीआर प्रोजेक्ट का कंसेप्ट 2010 में यूपीए कार्यकाल के समय लाया गया था. बायोमेट्रिक पहचान के इसके कई फीचर्स यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) यानी आधार से मिलते जुलते थे. हालांकि मोदी सरकार ने एनपीआर प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी है.
मंगलवार को बैठक में हो सकता है बड़ा फैसला
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस बार प्रोजेक्ट को लेकर सरकार का रवैया बिल्कुल साफ है. हमें भारतीय नागरिकों और अवैध शरणार्थियों की पहचान करने को कहा गया है. हमारे लोग हर घर में जाएंगे और दस्तावेज दिखाकर उनसे राष्ट्रीयता साबित करने को कहेंगे.'
एनपीआर प्रोजेक्ट के लिए पिछली सरकार ने 6649 करोड़ रुपये का बजट दिया था. इसमें से 4000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इस बारे में आगे विचार करने के लिए राजनाथ सिंह मंगलवार को बैठक करने वाले हैं. बताया जा रहा है कि इसी दिन साफ हो सकता है कि एनपीआर प्रोजेक्ट कब और कहां से शुरू होगा.
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के मुताबिक, सरकार एनपीआर को वोटिंग अधिकार से भी जोड़ने की योजना बना रही है. अगर ऐसा हुआ तो वोट करने के लिए वोटिंग पहचान पत्र के साथ एनपीआर कार्ड भी साथ ले जाना पड़ेगा.
गृह मंत्री ने 19 जून को भारत के रजिस्ट्रार जनरल के साथ बैठक की और एनपीआर प्रोजेक्ट में तेजी लाने को कहा. जिन अधिकारियों को यह काम दिया जाएगा वे 2011 के जनगणना आंकड़ों के आधार पर काम करेंगे. लोगों को अपनी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए 6 तरह के तय दस्तावेजों में से कोई एक दिखाना होगा. इन दस्तावेजों का जिक्र 1955 के सिटीजनशिप एक्ट में किया गया है.
UPA लेकर आई थी NPR का कंसेप्ट
अखबार ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि यह एक बड़ा अभियान होगा और पूरी प्रक्रिया को तहसील दफ्तर से पूरा किया जाएगा. यहां रेवेन्यू अफसर हर जिले में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर नजर रखेंगे.
एनपीआर प्रोजेक्ट का कंसेप्ट 2010 में यूपीए कार्यकाल के समय लाया गया था. बायोमेट्रिक पहचान के इसके कई फीचर्स यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) यानी आधार से मिलते जुलते थे. हालांकि मोदी सरकार ने एनपीआर प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी है.
मंगलवार को बैठक में हो सकता है बड़ा फैसला
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस बार प्रोजेक्ट को लेकर सरकार का रवैया बिल्कुल साफ है. हमें भारतीय नागरिकों और अवैध शरणार्थियों की पहचान करने को कहा गया है. हमारे लोग हर घर में जाएंगे और दस्तावेज दिखाकर उनसे राष्ट्रीयता साबित करने को कहेंगे.'
एनपीआर प्रोजेक्ट के लिए पिछली सरकार ने 6649 करोड़ रुपये का बजट दिया था. इसमें से 4000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इस बारे में आगे विचार करने के लिए राजनाथ सिंह मंगलवार को बैठक करने वाले हैं. बताया जा रहा है कि इसी दिन साफ हो सकता है कि एनपीआर प्रोजेक्ट कब और कहां से शुरू होगा.
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