मनरेगाः क्यों की व्हिसलब्लोअर ने ख़ुदकुशी? मनरेगा ने पूरे सामाजिक तंत्र को भ्रष्ट कर दिया है.मनरेगा में फर्ज़ी बिलों पर हस्ताक्षर के दबावों के चलते एक इंजीनियर ने इसी हफ़्ते ख़ुदकुशी कर ली.
सोमवार, 30 जून, 2014 को 17:30 IST तक के समाचार
मनरेगा में फर्ज़ी बिलों पर
हस्ताक्षर के दबावों के चलते एक इंजीनियर ने इसी हफ़्ते ख़ुदकुशी कर ली.
इंजीनियर पर 25 लाख रुपए के 'फ़र्जी' बिल के भुगतान पर हस्ताक्षर करने के
लिए पंचायत सदस्यों और अधिकारियों की ओर से भारी दबाव डाला जा रहा था.
कर्नाटक के चामराजनगर ज़िले के कोल्लेगल तालुक की
कुराट्टिहोसुर ग्राम पंचायत सदस्य सरदार, उनकी पत्नी सरोजम्मा और पंचायत
विकास अधिकारी वाइरामनिकयम पर आरोप है कि उन्होंने इंजीनियर पर 'पैमाइश
पुस्तिका' पर दस्तखत करने का दबाव डाला.चमराजनगर के पुलिस अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद कहते हैं, "सरदार, वाइरामनिकयम और सरदार की पत्नी सरोजम्मा ने सुरेश को दस्तखत न करने पर गंभीर परिणाम भुगतने धमकी दी थी. सुरेश ने खुद को आग लगा ली और वह 90 फ़ीसदी जल गए थे. हमने सरदार और वाइरामनिकयम को गिरफ़्तार कर लिया है."
'सिर्फ़ कंप्यूटर में दिख रहा काम'
इसके क्रियान्वयन को लेकर कई सवाल खड़े होते रहे हैं.
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस संतोष हेगड़े, कहते हैं, "मनरेगा ने पूरे सामाजिक तंत्र को भ्रष्ट कर दिया है."
जस्टिस हेगड़े कहते हैं, "अगर उस इंजीनियर को कुछ सलाह मिल गई होती, तो वह भ्रष्टाचार से लड़ने में सक्षम होते. उनका मामला हताशा का उदाहरण है, क्योंकि वह इस समस्या को दूर नहीं कर सके. अगर मैं लोकायुक्त होता तो मैं एक हेल्पलाइन शुरू करता."
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्डटीज़ (एनआईएएस) द्वारा प्रोफ़ेसर नरेंद्र पाणि और चिदंबरम अय्यर के नेतृत्व में किए गए एक शोध के अनुसार, यह योजना उत्तर-पूर्व कर्नाटक (या पूर्व हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र) में बहुत अच्छे तरीके से लागू की गई है.
प्रोफ़ेसर पाणि सकारात्मक जवाब देते हैं, ""आप विभिन्न परिस्थितियों से स्थानीय स्तर पर निपटने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम नहीं चला सकते. कर्नाटक के दक्षिणी ज़िलों में रेशम-उत्पादन बहुत लोकप्रिय है. लेकिन मनरेगा में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है."
वह कहते हैं, "यकीनन इसका पुनर्ठन किया जाना चाहिए. आप किसी राष्ट्रीय योजना को इस तरीके से लागू नहीं कर सकते."
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