EXCLUSIVE INTERVIEW:
हाफ़िज़ सईद इंटरव्यू-: मुंबई हमलों से न लेना, न देना ; कश्मीर आज़ाद होना चाहिए ; अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने को तैयार
अमरीका के अनुसार यह संस्था चरमपंथी
समूह का अंग है और उसने हाफ़िज़ सईद की गिरफ़्तारी के लिए एक करोड़ डॉलर
(क़रीब 60 करोड़ रुपए) का इनाम घोषित कर रखा है.
लाहौर में संवाददाता से सईद ने कहा, ''अमरीका हमेशा भारत के कहने पर फ़ैसले लेता है. अब उसने नए प्रतिबंध इसलिए लगाए हैं, क्योंकि उसे अफ़ग़ानिस्तान में भारत का सहयोग चाहिए. मेरा मुंबई हमलों से कोई लेना-देना नहीं है. पाकिस्तान की अदालतों ने कहा है कि मेरे ख़िलाफ़ भारत के सभी सबूत केवल प्रचार भर हैं.''
हाफ़िज़ सईद ने जमात उद दावा पर अमरीकी प्रतिबंधों के ऐलान के बाद पाकिस्तान के लाहौर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा था
हाल ही में जब नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह
में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ दिल्ली गए थे, तो सईद ने इस
यात्रा का विरोध किया था.
हाफ़िज सईद ने कहा, ''पाकिस्तान के लोग मुझे जानते हैं और प्यार करते हैं. इसीलिए इनाम की राशि पाने के लिए अभी तक किसी ने भी अमरीकी अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है. मेरी भूमिका साफ़ है और अल्लाह मेरी मदद कर रहा है.''
अमरीका ने उन पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है, लेकिन सईद कहते हैं कि इससे उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.
मैंने हमेशा क़ानून और इंसाफ़ का रास्ता अख़्तियार किया है. इंडिया और अमरीका के कहने पर मुझे बार-बार गिरफ़्तार किया गया. मैं हर बार अदालतों में गया और अदालतों ने मुझे राहत दी. पाकिस्तान की हुकूमतें तो हमेशा दबाव का शिकार रही हैं. हुकूमत इंडिया से दोस्ती चाहती थी और इसके लिए अमरीका का दबाव भी था. लेकिन पाकिस्तान में आज़ाद अदालत है और उसने हमेशा मेरे हक़ में फ़ैसला दिया है.
मैं दुनिया की किसी भी अदालत में जाने को तैयार
हूँ लेकिन पहले यह साबित करना पड़ेगा कि पाकिस्तान की अदालतें इस काबिल
नहीं हैं कि वे फ़ैसला दे सकें.
साथ ही ये दुनिया में साबित किया जाए कि पाकिस्तान में कोई न्याय व्यवस्था नहीं है. तो उसके बाद मैं किसी का सामना करना को तैयार हूँ. लेकिन अगर हम आज़ाद मुल्क़ हैं, हमारी न्याय व्यवस्था स्वतंत्र है तो हमें इस प्रोपगैंडे का निशाना क्यों बनाया जाए और पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था पर शक क्यों किया जाए.
हाफ़िज़ सईद इंटरव्यू-: मुंबई हमलों से न लेना, न देना ; कश्मीर आज़ाद होना चाहिए ; अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने को तैयार
सोमवार, 30 जून, 2014 को 11:45 IST तक के समाचार
जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफ़िज़
सईद ने अपनी संस्था पर लगाए अमरीकी प्रतिबंधों को ख़ारिज किया है. भारत और
अमरीका उन्हें 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड मानते हैं.
सईद ने कहा है कि भारत को ख़ुश करने के लिए अमरीका ने उनकी संस्था पर प्रतिबंध लगाया है.जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफ़िज़ सईद के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के खास हिस्से .
हालांकि वह अभी भी लाहौर में खुलेआम रह रहे हैं.लाहौर में संवाददाता से सईद ने कहा, ''अमरीका हमेशा भारत के कहने पर फ़ैसले लेता है. अब उसने नए प्रतिबंध इसलिए लगाए हैं, क्योंकि उसे अफ़ग़ानिस्तान में भारत का सहयोग चाहिए. मेरा मुंबई हमलों से कोई लेना-देना नहीं है. पाकिस्तान की अदालतों ने कहा है कि मेरे ख़िलाफ़ भारत के सभी सबूत केवल प्रचार भर हैं.''
हाफ़िज़ सईद ने जमात उद दावा पर अमरीकी प्रतिबंधों के ऐलान के बाद पाकिस्तान के लाहौर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा था
कश्मीर आज़ाद होना चाहिए
जमात उद दावा प्रमुख हाफ़िज़ सईद
का कहना है, ''कश्मीर से ध्यान हटाने के लिए भारत मुझे मुद्दा बना रहा
है.'' हाफ़िज़ सईद से लाहौर में उनके घर पर संवाददाता ने बात की.
जब उनसे कहा गया कि दोनों पड़ोसी मुल्कों के बेहतर
सबंधों में उन्हें रोड़ा माना जाता है तो उनका कहना था, ''कश्मीर आज़ाद
होना चाहिए और उस इलाक़े पर क़ब्ज़ा किए हुए दसियों हज़ार सैनिकों को भारत
को वापस बुलाना होगा. कश्मीरियों को अपने भविष्य का फ़ैसला ख़ुद करने का
अधिकार देना होगा.''हाफ़िज सईद ने कहा, ''पाकिस्तान के लोग मुझे जानते हैं और प्यार करते हैं. इसीलिए इनाम की राशि पाने के लिए अभी तक किसी ने भी अमरीकी अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है. मेरी भूमिका साफ़ है और अल्लाह मेरी मदद कर रहा है.''
अमरीका ने उन पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है, लेकिन सईद कहते हैं कि इससे उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.
अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने को तैयार
जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफ़िज़
सईद ने हुई ख़ास बातचीत में कहा कि वो मुंबई हमले के मामले में
किसी भी अंतरराष्ट्रीय अदालत का सामना करने को तैयार हैं, बशर्ते उससे पहले
यह साबित किया जाए कि पाकिस्तान की अदालतें फ़ैसला देने के काबिल नहीं
हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के हर अदालत ने उन्हें बेकसूर ठहराया है.मुंबई हमलों की अंतरराष्ट्रीय जाँच पर हाफ़िज़ सईद
इंडिया पाकिस्तानी अदालतों के फ़ैसलों को स्वीकार नहीं कर रहा है क्योंकि अदालतों ने मुझे मुंबई हमलों के मामलों में बरी कर दिया है. अदालत ने माना है कि मेरी जमात का इस हमले से कोई संबंध नहीं है लेकिन अफ़सोस है कि हमारे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला इंडिया नहीं मानता.मैंने हमेशा क़ानून और इंसाफ़ का रास्ता अख़्तियार किया है. इंडिया और अमरीका के कहने पर मुझे बार-बार गिरफ़्तार किया गया. मैं हर बार अदालतों में गया और अदालतों ने मुझे राहत दी. पाकिस्तान की हुकूमतें तो हमेशा दबाव का शिकार रही हैं. हुकूमत इंडिया से दोस्ती चाहती थी और इसके लिए अमरीका का दबाव भी था. लेकिन पाकिस्तान में आज़ाद अदालत है और उसने हमेशा मेरे हक़ में फ़ैसला दिया है.
साथ ही ये दुनिया में साबित किया जाए कि पाकिस्तान में कोई न्याय व्यवस्था नहीं है. तो उसके बाद मैं किसी का सामना करना को तैयार हूँ. लेकिन अगर हम आज़ाद मुल्क़ हैं, हमारी न्याय व्यवस्था स्वतंत्र है तो हमें इस प्रोपगैंडे का निशाना क्यों बनाया जाए और पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था पर शक क्यों किया जाए.
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