पढ़ें-सुनें, मोदी का भाषण और ANALYSIS: योजना आयोग होगा खत्म, सबके लिए बैंक खाता::::Prime Minister Narendra Modi AT Red Fort
| Aug 15, 2014, 13:59PM IST
LINK: http://youtu.be/sHsGcE2fB_c
फोटोः लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते पीएम नरेंद्र मोदी।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 68 वें स्वतंत्रता
दिवस के मौके पर करीब 65 मिनट तक भाषण देकर कई मायनों में इतिहास रचा है।
प्रधानमंत्री के भाषण के प्रमुख बिंदु:
-मोदी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं, जिन्होंने लाल किले की प्राचीर से बिना लिखा हुआ भाषण दिया।
-भाषण देते समय मोदी बुलेट प्रूफ बॉक्स के भीतर खड़े नहीं हुए।
-मोदी का भाषण कई मायनों में भाषण नहीं, बातचीत जैसा लगा।
-मोदी ने भाषण खत्म करते समय वंदे मातरम के नारे लगाए। यह पहला अवसर है जब देश के सर्वोच्च सरकारी मंच पर वंदे मातरम के नारे लगे।
-भाषण देते समय मोदी बुलेट प्रूफ बॉक्स के भीतर खड़े नहीं हुए।
-मोदी का भाषण कई मायनों में भाषण नहीं, बातचीत जैसा लगा।
-मोदी ने भाषण खत्म करते समय वंदे मातरम के नारे लगाए। यह पहला अवसर है जब देश के सर्वोच्च सरकारी मंच पर वंदे मातरम के नारे लगे।
-प्रधानमंत्री ने मेड इन इंडिया, कम मेक इन इंडिया के नारे दिए।
अहम घोषणाएं:
-2 अक्टूबर से देश भर में सफाई अभियान की शुरुआत।
-एक साल में हर स्कूल में टॉयलेट बनाने का लक्ष्य।
-प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत गरीबों के बैंक खाते खुलेंगे। डेबिट कार्ड दिया जाएगा। एक लाख रुपए का बीमा होगा।
-संसद आदर्श ग्राम योजना के तहत हर संसदीय क्षेत्र में 2016 तक एक गांव का समग्र विकास किया जाएगा।
-भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का हब बनाने का एलान।
-संसद आदर्श ग्राम योजना के तहत हर संसदीय क्षेत्र में 2016 तक एक गांव का समग्र विकास किया जाएगा।
-भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का हब बनाने का एलान।
-योजना आयोग होगा खत्म।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण
प्रधानमंत्री नहीं, प्रधान सेवक हूं
'प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान कहा, 'मैं प्रधानमंत्री के रूप
में नहीं प्रधानसेवक के रूप में आपके बीच हूं। राष्ट्रीय पर्व राष्ट्रीय
चरित्र को निखारने का अवसर होता है। राष्ट्रीय पर्व से प्रेरणा लेकर जन-जन
का चरित्र जितना निखरे उतना अच्छा। यह देश किसान, युवाओं, सैनिकों,
वैज्ञानिकों, ऋषि मुनियों ने बनाया। यह देश के लोकतंत्र की ताकत है। मैं
भारत के संविधान के निर्माताओं को नमन करता हूं। भाइयों और बहनों, देश की
आजादी के बाद भारत आज जहां भी पहुंचा हैं, उसमें सभी सरकारों, सभी राज्य
सरकारों का योगदान है। मैं सभी पूर्व सरकारों को, सभी पूर्व
प्रधानमंत्रियों को इस पल आदर का भाव प्रकट करना चाहता हूं। जो देश पुरातन
सांस्कृतिक धरोहर की उस नींव पर खड़ा है, जहां हम साथ चलें, मिलकर सोचे,
मिलकर संंकल्प करें और देश को आगे बढ़ाएं।'
हम बहुत नीचे चले गए थे
'कल ही नई सरकार की प्रथम संसद सत्र का समापन हुआ। मैं गर्व के साथ कह
सकता हूं कि संसद हमारी सोच का परिचायक है। हम बहुमत के आधार पर आगे बढ़ना
नहीं चाहते। हम सहमति के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। देश ने देखा होगा कि
सभी को साथ लेकर चलने में हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है। उसका यश सरकार को
नहीं जाता। उसका श्रेय प्रतिपक्ष को, उसके नेता को भी जाता है। मैं सभी
सांसदों और सभी राजनीतिक दलों का धन्यवाद करते हूं। मैं दिल्ली के लिए
आउटसाइडर हूं। मैं दिल्ली की दुनिया का नहीं हूं। यहां की एलीट क्लास से
अछूता रहा। लेकिन एक बाहर के व्यक्ति ने, एक आउटसाइडर ने दिल्ली आकर के एक
इनसाइडर व्यू लिया। यह मंच राजनीति का नहीं, राष्ट्रनीति का है। मेरी बात
को राजनीति के रूप में न लिया जाए। मैंने जब दिल्ली आकर के एक इनसाइडर व्यू
किया, तो चौंक गया। मुझे लगा कि एक सरकार में कई सरकारें चल रही हैं। मुझे
बिखराव नजर आया, जैसे सभी की जागीरें हैं। एक डिपार्टमेंट दूसरे से लड़
रहा है। यह बिखराव, यह टकराव, एक ही देश के लोग। इसलिए मैंने कोशिश प्रारंभ
की है, उन दीवारों को गिराने की। सरकार असेंबल्ड यूनिट नहीं, ऑर्गेनिक
यूनिट बने। सरकार ने एक गति, एक मति बनाने की कोशिश की। मोदी की सरकार आ
गई, अफसर लोग समय पर ऑफिस जाते हैं। मैं देख रहा था कि हिंदुस्तान का नेशनल
मीडिया, टीवी खबरें चला रहे थे कि सब समय पर आते हैं। मुझे आनंद आना
चाहिए, लेकिन मुझे आनंद नहीं आया। क्या इस देश में सरकारी अफसर समय पर जाएं
तो वह क्या न्यूज होती है। अगर वह न्यूज होती है तो वह इस बात का सुबूत है
कि हम कितने नीचे गए हैं। इससे पता चलता है कि पूर्व की सरकारों ने कैसे
काम किया है।'
सरकार में बैठे लोगों के पास सामर्थ्य
'जन आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए जो शासन व्यवस्था नाम की मशीनरी है,
उसे धारदार बनाना है। सरकार में बैठे लोगों के पास सामर्थ्य है। मैं उस
शक्ति को जोड़ना चाहता हूं। हम उसे करके रहेंगे। हमारे महापुरुषों ने आजादी
दिलाई। क्या उनके सपनों को पूरा करने के लिए हमारी जिम्मेदारी है कि नहीं?
क्या हम जो दिन भर कर रहे हैं, क्या कभी शाम को अपने आप से पूछा कि क्या
उससे गरीबों का भला हुआ, देश का भला हुआ? दुर्भाग्य से आज देश में माहौल
बना हुआ है कि किसी के पास कोई काम लेकर जाओ तो वह पूछता है कि इसमें मेरा
क्या? जब उसे पता चलता है कि उसमें उसका कुछ नहीं है तो वह कहता है मुझे
क्या? हर चीज अपने लिए नहीं होती। कुछ चीजें देश के लिए भी होती हैं। हमें
देश हित के लिए काम करना है। हमें यह भाव जगाना है।'
लड़कों से भी पूछें मां-बाप
'आज हम जब बलात्कार की घटनाएं सुनते हैं, तो हमारा माथा ठनक जाता है।
हर कोई अपने-अपने तर्क देते हैं। मैं आज इस मंच से हर मां-बाप से पूछना
चाहता हूं जब लड़की 10 साल की होती है तो मां-बाप पूछते हैं कहां जा रही
हो? वे चिंतित रहते हैं। रेप करने वाले लड़कों के मां-बाप को अपने बेटे से
भी पूछना चाहिए। हिंसा के रास्ते पर जाने वाले नौजवानों से पूछना चाहता हूं
कि भारत मां ने आपको कुछ दिया होगा। आपके कंधे पर बंदूक होगी तो धरती को
लाल कर सकते हो। अगर आपके कंधे पर हल होगा तो धरती पर हरियाली फैलेगी।
नेपाल में एक समय था, जब लोग हिंसा के रास्ते पर चल रहे थे। अब वहां लोग
संविधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। भाइयों, बहनों अगर बुद्ध की भूमि नेपाल
संदेश दे सकती है तो क्या भारत की धरती अहिंसा का संदेश नहीं दे सकती है?'
सांप्रदायिकता से किसी को कुछ नहीं मिला
'हम लंबे समय से सांप्रदायिक हिंसा झेल रहे हैं। देश का विभाजन हो
गया। किसी को कुछ नहीं मिला। भारत मां के अंगों पर दाग के सिवा कुछ नहीं
मिला। जातिवाद, संप्रदायवाद से छुटकारा पाना होगा। 10 साल तक ऐसा करके
देखो। देश को आगे ले जाने का संकल्प लें। मुझे विश्वास है कि हम ऐसा कर
सकते हैं।'
देश की आन में बेटियों का योगदान
'भाइयो, बहनो आज सेक्स रेश्यो की क्या स्थिति है? मैं डॉक्टरों से
अपील करता हूं कि पैसे के लिए किसी मां के गर्भ में पल रही बच्ची को न
मारें। मां-बाप से कहना चाहता हूं कि बेटी को गर्भ में न मारो। बेटी अपने
सपनों को बलि चढ़ाती है, शादी नहीं करती। मां-बाप की सेवा करती है। यह
असमानता, मां के गर्भ में बेटियों की हत्या, इससे हमें मुक्ति लेनी होगी।
राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के खिलाड़ियों में 29 बेटियां हैं, जिन्होंने
मेडल जीते हैं। उन बेटियों के लिए ताली बजाइए। भारत की आन बान और शान में
बेटियों का योगदान है। सामाजिक जीवन में जो बुराइयां आईं हैं, उन्हें दूर
करना होगा। भाइयों, बहनों देश को आगे ले जाने के लिए गुड गवर्नेंस और
डेवलपमेंट को साथ-साथ आगे ले चलना होगा। कोई प्राइवेट संस्थान में नौकरी
करता है तो वह कहता है कि वह जॉब करता है। सरकारी नौकरी करने वाला कहता है
मैं सर्विस करता हूं। सरकारी सेवा में लगे लोग जॉब नहीं, सर्विस कर रहे
हैं।'
प्रधानमंत्री जन धन योजना
'मैं प्रधानमंत्री जन धन योजना की घोषणा करता हूं। इसके तहत बैंक खाते
खुलवाए जाएंगे। इस योजना के तहत जो अकाउंट खुलेगा, उसे डेबिट कार्ड दिया
जाएगा। हर गरीब परिवार को एक लाख रुपए का बीमा सुनिश्चित किया जाएगा।'
फोटोः देश को संबोधित करते पीएम मोदी।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा
'मैं ऐसे नौजवान तैयार करना चाहता हूं जो जॉब क्रिएटर हों, जो जॉब
क्रिएटर नहीं हैं वे ऐसे हों जो दुनिया की आंखों में आंखें डालकर देख सकें।
मेरे प्यारे देशवासियो, विश्व बदल चुका है। अब भारत अलग-थलग नहीं रह सकता।
हम लोगों को अब उसी रूप में सोचना होगा। सरकार ने कुछ घोषणाएं की हैं। मैं
आह्वान करना चाहता हूं कि हमें नौजवानों को रोजगार देना है तो निर्माण
क्षेत्र पर ध्यान देना होगा। हिंदुस्तान की ताकत लगे और विश्व भी लगे। आइए,
भारत में निर्माण कीजिए। हमारे पास टैलेंट है, अनुशासन है। हम विश्व को
आमंत्रित करना चाहते हैं। कम मेक इन इंडिया। मैं उद्योग क्षेत्र, छात्रों
से कहता हूं कि हमारा सपना होना चाहिए कि दुनिया के हर कोने में यह बात
पहुंचनी चाहिए, मेड इन इंडिया। क्या भगत सिंह की तरह फांसी पर लटकना
अनिवार्य है? अन्न का भंडार भरकर किसान देश की उतनी ही सेवा करता है, जितनी
सेना का जवान करता है। मैं नौजवानों से कहना चाहता हूं कि आपके रहते हमें
दुनिया से छोटी-छोटी चीजें आयात करनी पड़ती हैं। नौजवानों को सोचना चाहिए
कि हम जो चीज आयात करते हैं, उनमें से एक चीज ही बनाऊंगा ताकि हमारे देश को
आयात न करना पड़े। पूरे विश्व में नौजवानों ने हमारी पहचान बदल दी है।'
डिजिटल इंडिया का सपना
'हमें डिजिटल इंडिया का सपना देखना चाहिए। गांव के आखिरी छोर पर मौजूद स्कूल में डिस्टेंस एजुकेशन, टेलीमेडिसिन, मोबाइल
गवर्नेंस, मोबाइल से बैंक अकाउंट ऑपरेट करे। यह अगर करना है तो हमें
डिजिटल इंडिया की तरफ जाना होगा। इसके साथ हमारा यह भी सपना होना चाहिए कि
हम बहुत बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का आयात करते हैं।
डीजल-पेट्रोल लाते हैं तो दूसरे नंबर पर इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का आयात करते
हैं। डिजिटल इंडिया से हम देश के खजाने को भर सकते हैं। ई-गर्वनेंस के
माध्यम से गुड गवर्नेंस हासिल की जा सकती है। हम टूरिज्म को बढ़ावा देना
चाहता हूं। चना बेचने वाला भी कमाता है। चाय बेचने वाला भी कमाता है। क्या
हमारा देश स्वच्छ नहीं हो सकता है? अगर हम सभी संकल्प कर लें कि मैं गंदगी
नहीं करूंगा तो क्या देश साफ नहीं हो सकता? महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती
पर हम उन्हें क्या दे सकते हैं? तब क्या हम देश को साफ सुथरा रख सकते हैं?
देश की मां-बहनों के लिए शौचालय बनने चाहिए। क्या लाल किले से सफाई की बात
करना, टॉयलेट की बात करने को किस तरह लिया जाएगा, मैं नहीं जानता, लेकिन
मन की बात करना चाहता हूं। स्वच्छ भारत का अभियान 2 अक्टूबर से शुरू करना
चाहता हूं। हर स्कूल में टॉयलेट हो। बच्चियों को लिए टॉयलेट बने। सभी
सांसदों से कहना चाहता हूं कि अपने फंड का इस्तेमाल एक साल के लिए टॉयलेट
बनवाने में करें। कॉरपोरेट सेक्टर से कहना चाहता हूं कि आप भी इस काम को
करें।'
संसद आदर्श ग्राम योजना
'संसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा करता हूं। हर सांसद अपने क्षेत्र
में 3-5 हजार की जनसंख्या वाले ग्राम की पहचान करे। 2016 तक एक गांव को
आदर्श बनाएं। 2016 के बाद 2019 तक और दो गांवों को आदर्श बनाएं। 2019 के
बाद 5 आदर्श गांव का विकास आदर्श गांव की तर्ज पर करें। शहरी इलाकों के
सांसद और राज्यसभा के सांसद भी गांवों का चुनाव करें। 11 अक्टूबर को जय
प्रकाश नारायण की जयंती पर संसद आदर्श ग्राम योजना की ब्लू प्रिंट रखूंगा।
सभी विधायक एक आदर्श गांव बनाएं।'
योजना आयोग की जगह नई संस्था
'जब से सरकार बनी है तब से योजना आयोग को लेकर चर्चा चल रही है। बहुत
कम समय में योजना आयोग की जगह नई सोच, नए विश्वास के साथ एक नई संस्था का
निर्माण करेंगे। मुझे स्वामी विवेकानंद याद आ रहे हैं। वे कहते थे कि मैं
देख रहा हूं कि भारत माता विश्व गुरु के स्थान पर बैठ रही हैं। स्वामी
विवेकानंद के शब्द गलत नहीं हो सकते। क्या हम गरीबी को मिटा नहीं सकते?
आइए, संकल्प करें, गरीबी को परास्त करें। क्यों न हम सार्क देशों के साथ
मिलकर गरीबी खत्म करें? मारने काटने का समय बीता। मैं पड़ोसी देशों से
गरीबी मिटाने के लिए सहयोग लेने और अपना सहयोग देना चाहता हूं। हम दुनिया
के सामने ताकत के रूप में उभर सकते हैं। देश-दुनिया में भारत की सोच को आगे
बढ़ाना चाहता हूं। भाइयों, बहनों आज 15 अगस्त को देश के लिए कुछ करने का
संकल्प लेने का दिन है। अगर आप 12 घंटे काम करेंगे तो मैं 13 घंटे करूंगा।
आप 14 घंटे काम करेंगे तो मैं 15 घंटे करूंगां, क्योंकि मैं आपका
प्रधानमंत्री नहीं प्रधान सेवक हूं। मैं सेना, सुरक्षा बलों का अभिनंदन
करता हूं। वंदे मातरम, वंदे मातरम...।'
फोटोः लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते पीएम नरेंद्र मोदी।
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की एनालिसिस
विपक्ष को साथ लेकर चलना
पीएम का भाषण
'कल ही नई सरकार की प्रथम संसद सत्र का समापन हुआ। मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि संसद हमारी सोच का परिचायक है। हम बहुमत के आधार पर आगे बढ़ना नहीं चाहते। हम सहमति के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। देश ने देखा होगा कि सभी को साथ लेकर चलने में हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है। उसका यश सरकार को नहीं जाता। उसका श्रेय प्रतिपक्ष को, उसके नेता को भी जाता है। हम सभी सांसदों और सभी राजनीतिक दलों का धन्यवाद करते हैं।'
'कल ही नई सरकार की प्रथम संसद सत्र का समापन हुआ। मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि संसद हमारी सोच का परिचायक है। हम बहुमत के आधार पर आगे बढ़ना नहीं चाहते। हम सहमति के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। देश ने देखा होगा कि सभी को साथ लेकर चलने में हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है। उसका यश सरकार को नहीं जाता। उसका श्रेय प्रतिपक्ष को, उसके नेता को भी जाता है। हम सभी सांसदों और सभी राजनीतिक दलों का धन्यवाद करते हैं।'
भाषण का मायना
अच्छे शासन के लिए संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया तेज होनी चाहिए। संसद के कामकाज में व्यवधान से सरकार के नीतिगत फैसले अटक जाते हैं। नरेंद्र मोदी को यूपीए सरकार के कार्यकाल में संसद के न चलने से नीतियां बनाने और उन्हें जमीन पर उतारने में हुई दिक्कत का अंदाजा है। यही नहीं, नरेंद्र मोदी को पता है कि राज्यसभा में उनकी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। इसलिए सभी सांसदों और राजनीतिक दलों को साथ लाकर वे अपनी सरकार के कामकाज को आसान बनाना चाहते हैं। इसके अलावा देश के सामने वे ऐसे नेता के रूप में अपनी छवि पेश करना चाहते हैं जो कमजोर विपक्ष को भी सम्मान देता है और उनकी सहमति चाहता है।
अच्छे शासन के लिए संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया तेज होनी चाहिए। संसद के कामकाज में व्यवधान से सरकार के नीतिगत फैसले अटक जाते हैं। नरेंद्र मोदी को यूपीए सरकार के कार्यकाल में संसद के न चलने से नीतियां बनाने और उन्हें जमीन पर उतारने में हुई दिक्कत का अंदाजा है। यही नहीं, नरेंद्र मोदी को पता है कि राज्यसभा में उनकी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। इसलिए सभी सांसदों और राजनीतिक दलों को साथ लाकर वे अपनी सरकार के कामकाज को आसान बनाना चाहते हैं। इसके अलावा देश के सामने वे ऐसे नेता के रूप में अपनी छवि पेश करना चाहते हैं जो कमजोर विपक्ष को भी सम्मान देता है और उनकी सहमति चाहता है।
सरकार का कामकाज संगठित हो
'मैं दिल्ली के लिए आउटसाइडर हूं। मैं दिल्ली की दुनिया का नहीं हूं।
यहां की एलीट क्लास से अछूता रहा। लेकिन एक बाहर के व्यक्ति ने, एक
आउटसाइडर ने दिल्ली आकर के एक इनसाइडर व्यू लिया। यह मंच राजनीति का नहीं,
राष्ट्रनीति का है। मेरी बात को राजनीति के रूप में न लिया जाए। मैंने जब
दिल्ली आकर के एक इनसाइडर व्यू किया, तो चौंक गया। मुझे लगा कि एक सरकार
में कई सरकारें चल रही हैं। मुझे बिखराव नजर आया। जैसे सभी की जागीरें हैं।
एक डिपार्टमेंट दूसरे से लड़ रहा है। यह बिखराव, यह टकराव, एक ही देश के
लोग। इसलिए मैंने कोशिश प्रारंभ की है, उन दीवारों को गिराने की। सरकार
असेंबल्ड यूनिट नहीं, ऑर्गेनिक यूनिट बने। सरकार एक गति, एक मति बनाने की
कोशिश की। मोदी की सरकार आ गई, अफसर लोग समय पर ऑफिस जाते हैं। मैं देख रहा
था कि हिंदुस्तान का नेशनल मीडिया, टीवी खबरें चला रहे थे कि सब समय पर
आते हैं। मुझे आनंद आना चाहिए। लेकिन मुझे आनंद नहीं आया। क्या इस देश में
सरकारी अफसर समय पर जाएं तो वह क्या न्यूज होती है। अगर वह न्यूज होती है
तो वह इस बात का सुबूत है कि हम कितने नीचे गए हैं। इससे पता चलता है कि
पूर्व की सरकारों ने कैसे काम किया है।'
मायना
मोदी ने यह बयान देकर विपक्ष के उन आरोपों का जवाब दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि मोदी अकेले फैसले ले रहे हैं। वे कैबिनेट के सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को नजरअंदाज कर काम कर रहे हैं। मोदी ने लाल किले से अपनी कार्यशैली के पीछे की वजह से देश को परिचित कराने की कोशिश की। उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा निर्णय लेने में उनकी भागीदारी से सरकार की गति और उसके संदेश में फर्क नहीं आता है। इससे सरकार के काम करने की दिशा तय रहती है।
मोदी ने यह बयान देकर विपक्ष के उन आरोपों का जवाब दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि मोदी अकेले फैसले ले रहे हैं। वे कैबिनेट के सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को नजरअंदाज कर काम कर रहे हैं। मोदी ने लाल किले से अपनी कार्यशैली के पीछे की वजह से देश को परिचित कराने की कोशिश की। उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा निर्णय लेने में उनकी भागीदारी से सरकार की गति और उसके संदेश में फर्क नहीं आता है। इससे सरकार के काम करने की दिशा तय रहती है।
'मेरे लिए नहीं तो मुझे क्या' की सोच
'हमारे महापुरुषों ने आजादी दिलाई। क्या उनके सपनों को पूरा करने के
लिए हमारी जिम्मेदारी है कि नहीं? क्या हम जो दिन भर कर रहे हैं, क्या कभी
शाम को अपने आप से पूछा कि क्या उससे गरीबों का भला हुआ, देश का भला हुआ?
दुर्भाग्य से आज देश में माहौल बना हुआ है कि किसी के पास कोई काम लेकर जाओ
तो वह पूछता है कि इसमें मेरा क्या? जब उसे पता चलता है कि उसमें उसका कुछ
नहीं है तो वह कहता है मुझे क्या? हर चीज अपने लिए नहीं होती। कुछ चीजें
देश के लिए भी होती हैं। हमें देश हित के लिए काम करना है। हमें यह भाव
जगाना है।'
मायना
प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार और स्वार्थ से परे हटकर देश के लिए कुछ काम करने की अपील। उन्हें पता है कि इच्छाशक्ति और देशभक्ति के भाव के बिना भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से लगाम कभी भी नियम कानून से नहीं लग सकता है। शायद इसलिए मोदी ने कोई भी काम करते समय देश को ऊपर रखने की बात कही। इस मुद्दे को उन्होंने महापुरुषों के सपनों से जोड़ा।
प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार और स्वार्थ से परे हटकर देश के लिए कुछ काम करने की अपील। उन्हें पता है कि इच्छाशक्ति और देशभक्ति के भाव के बिना भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से लगाम कभी भी नियम कानून से नहीं लग सकता है। शायद इसलिए मोदी ने कोई भी काम करते समय देश को ऊपर रखने की बात कही। इस मुद्दे को उन्होंने महापुरुषों के सपनों से जोड़ा।
भगत सिंह की तरह फांसी पर लटकना जरूरी नहीं
'मैं ऐसे नौजवान तैयार करना चाहता हूं जो जॉब क्रिएटर हों, जो जॉब क्रिएटर नहीं हैं वे ऐसे हों जो दुनिया की आंखों में आंखें डालकर देख सकें। मेरे प्यारे देशवासियो, विश्व बदल चुका है। अब भारत अलग-थलग नहीं रह सकता। हम लोगों को अब उसी रूप में सोचना होगा। सरकार ने कुछ घोषणाएं की हैं। मैं आह्वान करना चाहता हूं कि हमें नौजवानों को रोजगार देना है तो निर्माण क्षेत्र पर ध्यान देना होगा। हिंदुस्तान की ताकत लगे और विश्व भी लगे। आइए, भारत में निर्माण कीजिए। हमारे पास टैलेंट है, अनुशासन है। हम विश्व को आमंत्रित करना चाहते हैं। कम मेक इन इंडिया। मैं उद्योग क्षेत्र, छात्रों से कहता हूं कि हमारा सपना होना चाहिए कि दुनिया के हर कोने में यह बात पहुंचनी चाहिए, मेड इन इंडिया। क्या भगत सिंह की तरह फांसी पर लटकना अनिवार्य है? अन्ना का भंडार भरकर किसान देश की उतनी ही सेवा करता है, जितनी सेना का जवान करता है। मैं नौजवानों से कहना चाहता हूं कि आपके रहते हमें दुनिया से छोटी-छोटी चीजें आयात करनी पड़ती हैं। नौजवानों को सोचना चाहिए कि हम जो चीज आयात करते हैं, उनमें से एक चीज ही बनाऊंगा ताकि हमारे देश को आयात न करना पड़े। पूरे विश्व में नौजवानों ने हमारी पहचान बदल दी है।'
मायना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता है कि उनसे देश को तेज आर्थिक तरक्की और रोजगार के अनगिनत मौके उपलब्ध कराने की उम्मीद है। वे इन्हीं मुद्दों पर चुनाव जीतकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं। देश की आर्थिक सेहत को दुरुस्त करने और करोड़ों नौजवानों को काम देने के लिए औद्योगिक उत्पादन सबसे असरदार उपायों में से एक है। प्रधानमंत्री ने देश को विनिर्माण क्षेत्र का हब बनाने का आह्वान कर एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता है कि उनसे देश को तेज आर्थिक तरक्की और रोजगार के अनगिनत मौके उपलब्ध कराने की उम्मीद है। वे इन्हीं मुद्दों पर चुनाव जीतकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं। देश की आर्थिक सेहत को दुरुस्त करने और करोड़ों नौजवानों को काम देने के लिए औद्योगिक उत्पादन सबसे असरदार उपायों में से एक है। प्रधानमंत्री ने देश को विनिर्माण क्षेत्र का हब बनाने का आह्वान कर एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की।
फोटोः लाल किले पर गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
स्वतंत्रता दिवस पर क्या रहा खास
इस बार स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर कई ऐसी तैयारियां की गई जो पहले कभी नहीं हुईं।
- समारोह स्थल पर पहली बार 10 हजार से ज्यादा लोगों का बैठने का इंतजाम किया गया।
- 7 रेसकोर्स रोड स्थित प्रधानमंत्री आवास और लाल किले के बीच नरेंद्र
मोदी के काफिले ने करीब 10 किलोमीटर की दूरी तय की और इस पूरे रास्ते पर
500 सीसीटीवी कैमरों की मदद से नजर रखी जा रही है। ऐसा शायद ही पहले कभी
हुआ हो।
- दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) ने पहली बार अपनी 3,800 वातानुकूलित और
गैर-वातानुकूलित लो-फ्लोर बसों में पैसेंजर एड्रेस प्रणाली के जरिए
देशभक्ति संगीत बजाए। इनमें 'ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम', 'ये देश है वीर
जवानों का','जहां डाल-डाल पे सोने की चिड़िया', 'मेरा रंग दे बसंती
चोला','है प्रीत जहां की रीत सदा' आदि गाने बजाए जा रहे हैं।
- सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मोदी के भाषण के चुनिंदा अंशों के करीब 40 करोड़ मैसेज भेजने की तैयारी कर ली है।
- दूरदर्शन पर मोदी के जीवन पर बनी फिल्म और लघुचित्र दिखाए गए। यूट्यूब के जरिए मोदी के भाषण का लाइव प्रसारण होगा और ट्विटर और फेसबुक का भी जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है।
सुरक्षा रही चाक-चौबंद
स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए सुरक्षा के जबर्दस्त इंतजाम हैं। पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के 10 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया। इनमें दिल्ली पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बल और एनएसजी के कमांडो शामिल हैं। लाल किले के आसपास 200 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। काफिले के रास्ते की 360 ऊंची इमारतों की पहचान कर उन पर शार्प शूटर तैनात हैं। निगरानी के लिए मानव रहित विमान (ड्रोन) का भी इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा लाल किला और आसपास के इलाकों में एंटी एयरक्राफ्ट गनों की तैनाती भी की गई है।
सुरक्षा रही चाक-चौबंद
स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए सुरक्षा के जबर्दस्त इंतजाम हैं। पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के 10 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया। इनमें दिल्ली पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बल और एनएसजी के कमांडो शामिल हैं। लाल किले के आसपास 200 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। काफिले के रास्ते की 360 ऊंची इमारतों की पहचान कर उन पर शार्प शूटर तैनात हैं। निगरानी के लिए मानव रहित विमान (ड्रोन) का भी इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा लाल किला और आसपास के इलाकों में एंटी एयरक्राफ्ट गनों की तैनाती भी की गई है।
फोटोः लाल किला पहुंचे पीएम मोदी।
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