ज़रूर पढ़ें:
ऑगस्टस की राह पर मोदी!...लेकिन, धीरे-धीरे उन्हें समझ में आया कि ऑगस्टस उन्हें केवल बोलने देते थे, करते वही थे जो वह चाहते थे.
रोमन साम्राज्य के पहले सम्राट
ऑगस्टस अपने 40 साल के शासन के पहले कुछ वर्षों में शक्तिशाली सीनेटरों को
कमज़ोर करने के बजाय साथ लेकर चले. प्रशासन के ढाँचे के साथ छेड़छाड़ नहीं की.
सीनेटरों को ऐसा लगा कि वो अब भी शक्तिशाली हैं.
लेकिन, धीरे-धीरे उन्हें समझ में आया कि ऑगस्टस उन्हें केवल बोलने देते थे, करते वही थे जो वह चाहते थे.एक तो वह 20 साल के गृहयुद्ध के बाद शांति लाए और दूसरे रोम को आर्थिक स्थिरता दी.
दोनों ने एनेस्थीसिया का काम किया. शांति और आर्थिक समृद्धि के नशे में चूर जनता को पता भी नहीं चला कि ऑगस्टस कब तानाशाह बन गए.
पार्टी के बड़े कद के नेताओं का सफाया तो वो पहले ही कर चुके थे. पार्टी की बागडोर जब अमित शाह को सौंपी गई तो उस समय ये साफ़ हो गया कि अब पार्टी में किसकी चलेगी.
गुरु-चेला जोड़ी
गुरु और चेले की जोड़ी गुजरात के बाद दिल्ली में भी बनी रहेगी.
पार्टी का बॉस कौन है इसका संकेत हैं वो बैठकें जो इन दिनों मोदी पार्टी के नए चुने सांसदों के साथ बारी-बारी से कर रहे हैं.
इन बैठकों की तस्वीरों को देखकर नरेंद्र मोदी की अपनी महत्ता की सोच का ठोस सुबूत भी मिलता है.
दबंग अंदाज़
जिन लोगों को सवाल करना होता है वो अपनी कुर्सी से खड़े होकर करते हैं.
बैठकों में शामिल सांसद सहमे से लगते हैं और अपनी बात धीमे अंदाज़ में कहते हैं
मुगलों के दरबार भी कुछ इसी तरह के होते थे जहाँ बादशाह तख़्त पर ऊंचे प्लेटफॉर्म पर बैठते थे और वज़ीर और सीनियर दरबारी उनके सामने थोड़ा नीचे बैठा करते थे.
पार्टी और प्रशासन
एक तरह से ये उनका गुजरात मॉडल है जहाँ पार्टी और मंत्रिमंडल को जाहरी तौर पर काम करने देते थे, लेकिन दोनों मंचों पर चलती केवल उनकी ही थी.
प्रधानमंत्री का ये ‘राष्ट्रपति’ वाला अंदाज़ आने वाले दिनों में तानाशाही की तरफ इशारा करता है. इतिहास के विषयों में वह कमज़ोर ज़रूर हैं लेकिन ऐतिहासिक रूप से ऐसे लोग लंबा शासन करते हैं. ठीक सम्राट ऑगस्टस की तरह.
Did this Post help you? Share your experience below.
Use the share button to let your friends know about this update.
WANT TO DONATE FOR SITE?
DONATE! GO TO LINK: http://kosullaindialtd.blogspot.in/p/donate.html
No comments:
Post a Comment