Sunday, 10 August 2014

ebola virus alert in india ministry starts helpline numbers- (011) 23063205, 23061469 और 23061302 | इबोला वायरस से हड़कंप! खतरे से बचने के लिए भारत में अलर्ट, एयरपोर्ट पर चेकिंग | इतना ख़तरनाक क्यों है इबोला?इबोला संक्रमित कितने लोग मरते हैं?

Ebola Virus alert in India Ministry Starts Helpline Numbers:- (011) 23063205, 23061469 और 23061302 

इबोला वायरस से हड़कंप! खतरे से बचने के लिए भारत में अलर्ट, एयरपोर्ट पर चेकिंग

इतना ख़तरनाक क्यों है इबोला?इबोला संक्रमित कितने लोग मरते हैं?
नई दिल्ली, 10 अगस्त 2014 | अपडेटेड: 12:50 IST
टैग्स: इबोला| वायरस| अलर्ट| दिल्ली  सरकार | इबोला विषाणु | हेल्पलाइन नंबर | Helpline | Keyword : #Ebola, #virus, #alert, #India, #Helpline #Numbers

इबोला वायरस से दुनिया भर में हड़कंप मचा हुआ है. इबोला के खतरे से बचने के लिए भारत में भी अलर्ट जारी किया गया है. तमाम एयरपोर्ट पर चेकिंग की जा रही है. दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर में इलाज के लिए केंद्र बनाए गए हैं. आम लोगों को इस वायरस के बारे में जानकारी देने के लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. सरकार भी इबोला वायरस के हमले के खतरे को लेकर सतर्क हो गई है. केंद्र सरकार ने इबोला वायरस पर निगरानी के लिए शनिवार को कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन बनाई ताकि खतरनाक वायरस को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाए जा सके. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर शुरू किए हैं- (011) 23063205, 23061469 और 23061302. दिल्ली में राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इबोला के इलाज का केंद्र खोला गया है तो मुंबई में कस्तूरबा और जेजे अस्पताल यानी दो जगहों पर स्पेशल वार्ड बनाए गए हैं. बैंगलोर में भी इबोला से निबटने के इंतजाम किए जा रहे हैं.

Ebola Virus alert in India Ministry Starts 
Helpline Numbers EBOLA INDIA:- (011) 23063205, 23061469 और 23061302


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन  के मुताबिक हिन्दुस्तान में इबोला का अभी एक भी मरीज नहीं लेकिन एक भारतीय वतन लौट चुका है जिसने उस प्लेन में सफर किया था जिसमें इबोला का मरीज था. डब्ल्यूएचओ ने सूचना दी थी कि एक भारतीय यात्री भी उस फ्लाइट पर सवार था, जिसमें इबोला वायरस से पीड़ित विदेशी ने मोनरोवियो से लागोस तक यात्रा की थी. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक उस शख्स को ढूंढ लिया गया है और वो फिलहाल स्वस्थ है.
मुंबई एयरपोर्ट पर विशेष एंबुलेंस तैनात
इबोला वायरस के खतरे को देखते हुए मुंबई एयरपोर्ट पर इमरजेंसी व्यवस्था के तहत एंबुलेंस तैनात की गई है. यहां विदेशों से आने वाले संदिग्ध मरीजों की जांच की व्यवस्था की गई है. इबोला वायरस के संक्रमण वाले संदिग्ध यात्रियों को तुरंत इलाज के लिए तय जगहों पर ले जाया जाएगा. केंद्र सरकार के अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर महाराष्ट्र सरकार ने दो विशेष एंबुलेंस छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर तैनात की है. संक्रमण की शंका वाले यात्रियों की जानकारियां एकत्र की जा रही है.

बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन से जुड़े हर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 10-10 बेड्स आरक्षित किए गए हैं. महाराष्ट्र सरकार ने सभी मेडिकल ऑफिसरों को इबोला वायरस के संक्रमण पर अलर्ट किया है.
अगले महीने टीका
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इबोला वायरस से बचाने वाला टीके का क्लिीनिकल ट्रायल अगले महीने शुरू होगा. अगले साल तक यह टीका उपलब्ध हो जाएगा. यह टीका ब्रिटिश कंपनी ग्लैक्सोस्मिथलाइन ने बनाया है. संगठन के टीकाकरण विभाग के प्रमुख जीन-मारी ओकवो बेले ने कहा कि हमारा टारगेट सितंबर में क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने का है. पहले अमेरिका और खासकर अफ्रीकी देशों में क्योंकि 



 वहीं पर ज्यादातर केस सामने आए हैं.
इस समय इबोला के लिए कोई टीका या इलाज उपलब्ध नहीं है. डब्ल्यूएचओ ने ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया है. इबोला से सबसे अधिक प्रभावित अफ्रीकी देशों जैसे गीनी, लाईबेरिया, सिएरा लियोन, नाइजीरिया में अबतक 1779 मरीज सामने आए हैं जिनमें से 961 की मौत हो गई है.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इबोला एक किस्म की वायरल बीमारी है. इबोला वायरस का संक्रमण होने पर तेज बुखार आता है. खून बहने लगता है. इसके अन्‍य लक्षण हैं कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द और गले में खराश. संक्रमित व्यक्ति की मौत की आशंका 90 प्रतिशत तक होती है. इस समय 55 से 60 प्रतिशत संक्रमित लोगों की मौत हो चुकी है. सैन डिएगो के मैप बायोफार्मास्युटिकल की बनाई जेडमैप दवा के बंदरों पर अच्छे नतीजे सामने आए हैं. अफ्रीका में संक्रमित हुए दो अमेरिकियों की सेहत में भी इस दवा से सुधार आया है.
सरकार ने देश में इबोला वाइरस के प्रसार को रोकने के लिए सघन निगरानी रखने के लिए एक नियंत्रण कक्ष और एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया ताकि आम जनता को इसके बारे में सूचना प्रदान की जा सके। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक वक्तव्य में बताया कि हेल्पलाइन नंबर 23063205, 23061469 और 23061302 को स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज सुबह चालू किया जिस पर दिन में 30 कॉल आए।
   
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवद्र्धन ने जागरूकता अभियान पहल पर आम जनता की प्रतिक्रिया पर संतोष जताते हुए कहा कि हेल्पलाइन पर ज्यादातर कॉलरों ने इस तरह के समय में सामूहिक जवाबदेही की परिपक्व समझ को दर्शाया। उन्होंने कहा कि वे लक्षणों और निरोधात्मक उपायों के बारे में जानना चाहते थे। मंत्री ने कल कहा था कि भारत में ईबोला विषाणु का कोई भी पुष्ट या इससे प्रभावित होने का कोई भी संदिग्ध मामला नहीं है।


इबोला संक्रमित कितने लोग मरते हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ ख़तरनाक क्लिक करें वायरस इबोला की चपेट में आने वालों में से क्लिक करें 90 फ़ीसदी तक मौत के मुंह में चले जाते हैं.
क्या यह सच है?
मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी की जैव सांख्यिकी और महामारी रोग विशेषज्ञ मायमुना मजूमदार कहती हैं, "90 फ़ीसदी का आंकड़ा कांगो में 2002 और 2003 में फैले इबोला संक्रमण से आया है. कांगो में इस वायरस के चलते सबसे ज़्यादा मौतें हुईं थी."
मौत की दर को निकालने के लिए इलाज कराने वाले कुल संक्रमित लोगों की संख्या में मरने वाले लोगों की संख्या से भाग दिया जाता है.
क्लिक करें पश्चिमी अफ़्रीकी देशों में फैले संक्रमण से होने वाली मौत पर मायमुना मजूमदार बताती हैं, "क्लिक करें 1976 से अब तक इबोला संक्रमण से मौत की दर 60 से 65 फ़ीसदी तक पहुंचती है. पश्चिम अफ़्रीकी देशों में इस बार मौत की दर 54 फ़ीसदी के आसपास है. हालांकि इसमें बदलाव हो सकता है."

संक्रमण का सच

वैसे अलग-अलग देशों में मौत की दर भी भिन्न है. गिनी में 73 फीसदी, लाइबेरिया में 55 फ़ीसदी, सियरा लियोन में 41 फ़ीसदी और नाइजीरिया में यह 11 फ़ीसदी है.
एक ही संक्रमण से होने वाली मौत के आंकड़े इतने भिन्न क्यों हैं? मजूमदार के मुताबिक स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता, उपलब्धता और संक्रमण से निपटने की तैयारियों पर मौत की दर निर्भर करती है.
इसके अलावा यह संक्रमण भी कई तरह का होता है. अब तक पहचान में आए पांच तरह के इबोला संक्रमण में 'ज़ायर' और 'सूडान' सबसे ज़्यादा ख़तरनाक माने जाते हैं. इनमें 'ज़ायर' संक्रमण 79 फ़ीसदी मौत दर के साथ सबसे ज़्यादा ख़तरनाक है, जबकि 'सूडान' संक्रमण में मौत की दर 54 फ़ीसदी होती है.
ऐसे में साफ़ है कि पश्चिम अफ़्रीकी देशों में इबोला संक्रमण से होने वाली मौत की दर 90 फ़ीसदी से काफ़ी कम है.
इतना ही नहीं क्लिक करें इबोला का संक्रमण इंफ्लूएंज़ा और ख़सरा के मुक़ाबले कम तेज़ी से फैलता है. 

इतना ख़तरनाक क्यों है इबोला?

पश्चिमी अफ़्रीक़ा में इबोला वायरस के संक्रमण को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) गंभीरता से ले रहा है.
पश्चिम अफ़्रीकी देशों गिनी, सियेरा लियोन और नाइजीरिया में इबोला वायरस के संक्रमण के अब तक क़रीब 930 लोगों की मौत हो चुकी है. लाइबेरिया ने इस बीमारी के चलते आपातकाल घोषित कर दिया है.
क्लिक करें डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इबोला एक क़िस्म की वायरल बीमारी है. इसके लक्षण हैं अचानक बुख़ार, कमज़ोरी, मांसपेशियों में दर्द और गले में ख़राश.
ये लक्षण बीमारी की शुरुआत भर होते हैं. इसका अगला चरण है उल्टी होना, डायरिया और कुछ मामलों में अंदरूनी और बाहरी रक्तस्राव.
मनुष्यों में इसका संक्रमण संक्रमित जानवरों, जैसे, चिंपैंजी, चमगादड़ और हिरण आदि के सीधे संपर्क में आने से होता है.

संक्रमण

एक दूसरे के बीच इसका संक्रमण संक्रमित रक्त, द्रव या अंगों के मार्फ़त होता है. यहां तक कि इबोला के शिकार व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी ख़तरे से ख़ाली नहीं होता. शव को छूने से भी इसका संक्रमण हो सकता है.
बिना सावधानी के इलाज करने वाले चिकित्सकों को भी इससे संक्रमित होने का भारी ख़तरा रहता है.
संक्रमण के चरम तक पहुंचने में दो दिन से लेकर तीन सप्ताह तक का वक़्त लग सकता है और इसकी पहचान और भी मुश्किल है.
इससे संक्रमित व्यक्ति के ठीक हो जाने के सात सप्ताह तक संक्रमण का ख़तरा बना रहता है.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़, उष्णकटिबंधीय बरसाती जंगलों वाले मध्य और पश्चिम अफ़्रीका के दूरदराज़ गांवों में यह बीमारी फैली. पूर्वी अफ़्रीका की ओर कांगो, युगांडा और सूडान में भी इसका प्रसार हो रहा है.

तेज़ी से प्रसार

पू्र्व की ओर बीमारी का प्रसार असामान्य है क्योंकि यह यह पश्चिम की ओर ही केंद्रित था और अब शहरी इलाक़ों को भी अपनी चपेट में ले रहा है.
इस बीमारी की शुरुआत गिनी के दूर दराज़ वाले इलाक़े ज़ेरेकोर में हुई थी.
बीमारी का प्रकोप देखते हुए स्वयंसेवी संस्था क्लिक करें मेडिसिंस सैंस फ्रंटियर्स ने इसे 'अभूतपूर्व' बताया है.
डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार, इबोला से पीड़ित रोगियों के शारीरिक द्रव और उनसे सीधे संपर्क से बचना चाहिए.
साथ ही साझा तौलिये के इस्तेमाल से बचना चाहिए क्योंकि यह सार्वजनिक स्थलों पर संक्रमित हो सकता है.
डब्ल्यूएचओ ने मुताबिक़ इलाज करने वालों को दस्ताने और मास्क पहनने चाहिए और समय-समय पर हाथ धोते रहना चाहिए.

चेतावनी

चमगादड़, क्लिक करें बंदर आदि से दूर रहना चाहिए और जंगली जानवरों का मांस खाने से बचना चाहिए.
लाइबेरिया की राजधानी मोनरोविया में मौजूद संवाददाता ने बताया कि वहां सुपरमार्केट और मॉल आदि में कर्मचारी दस्ताने पहन रहे हैं.
गायक यूसुओ एन'डूर
सेनेगल ने गिनी से लगती अपनी सीमा बंद कर दी है. यहां के गायक यूसुओ एन'डूर अपना एक संगीत कार्यक्रम रद्द कर चुके हैं.
उनका कहना था कि एक बंद जगह में हज़ारों लोगों को इकट्ठा करना इस समय ठीक नहीं है.
अभी तक इस बीमारी का इलाज नहीं खोजा जा सका है लेकिन नई दवाओं का प्रयोग चल रहा है.



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